Delhi Air Pollution: दिल्ली सरकार ने शहर में खतरनाक वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आर्टिफिशियल रेन (Artificial Rain) की प्रक्रिया पर आने वाले पूरे खर्च को वहन करने का फैसला किया है. मुख्य सचिव को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सरकार के इस विचार को पेश करने का निर्देश दिया है. इस बात की जानकारी अधिकारियों ने दी है.
कैसे होती है कृत्रिम बारिश?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि आर्टिफिशियल बारिश कराने का प्रयास तभी किया जा सकता है जब बादल हों या नमी हो. ‘क्लाउड सीडिंग’ में संघनन को बढ़ावा देने के लिए पदार्थों को हवा में फैलाया जाता है जिसके नतीजतन बारिश होती है. ‘क्लाउड सीडिंग’ के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे आम पदार्थों में सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड और शुष्क बर्फ (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) शामिल हैं. इस तकनीक का उपयोग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किया गया है. मुख्य रूप से उस स्थान पर जहां पानी की कमी या सूखे की स्थिति होती है.
दिल्ली के अधिकारी ने गुरुवार (9 नवंबर) को कहा कि अगर केंद्र फैसले का समर्थन करता है, तो दिल्ली सरकार 20 नवंबर तक शहर में पहली आर्टिफिशियल बारिश की व्यवस्था कर सकती है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने आर्टिफिशियल रेन पर आने वाली लागत वहन करने का फैसला किया है. अगर केंद्र, दिल्ली सरकार को अपना समर्थन देता है तो 20 नवंबर तक कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है.’
दिल्ली में होगी आर्टिफिशियल बारिश!
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को कहा था कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इस महीने ‘क्लाउड सीडिंग’ के जरिए आर्टिफिशियल बारिश कराने की योजना बना रही है. राय ने आईआईटी-कानपुर के वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक की, जिन्होंने बताया कि ‘क्लाउड सीडिंग’ की कोशिश तभी की जा सकती है जब वातावरण में नमी या बादल हों.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि, विशेषज्ञों का अनुमान है कि 20-21 नवंबर के आसपास ऐसे हालात बन सकते हैं. हमने वैज्ञानिकों से बृहस्पतिवार तक एक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है जिसे सुप्रीम कोर्ट को सौंपा जाएगा. राय ने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिए केंद्र और राज्य सरकारों दोनों से मंजूरी प्राप्त करना समय के हिसाब से संवेदनशील मामला है.
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