Delhi Politics: दिल्ली सरकार और एलजी के बीच अधिकारियों के तबादले को लेकर लंबे समय से खींचतान चल रही है. सीएम ऑफिस के बयान के अनुसार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को सेवा विभाग से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ है जिसमें उन्हे अलग-अलग अनुरोध प्राप्त हुए है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहर में अधिकारियों के तबादले और तैनाती पर चर्चा करने के लिए 28 जून को राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की दूसरी बैठक बुलाई है. सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार (20 जून) को प्राधिकरण की पहली बैठक हुई. बैठक में फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में कुछ गलत कार्यों में शामिल एक अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने पर चर्चा की गई.


मुख्यमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार


इससे पहले दिन में केजरीवाल ने कहा था, “यह मामला स्पष्ट है इसलिए अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के निर्णय को लेकर प्राधिकरण एकमत है.” मुख्यमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार, सीएम केजरीवाल को सेवा विभाग से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ है जिसमें तीन अलग-अलग श्रेणियों के अनुरोध शामिल हैं. इन श्रेणियों में कुछ अधिकारियों के स्थानांतरण का विभागों का अनुरोध, रिक्त पदों पर अधिकारियों की पदस्थापना, और स्थानांतरण/तैनाती के संबंध एक अधिकारी का अनुरोध शामिल हैं.


मंगलवार को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने एनसीसीएसए को ‘बेकार’ बताते हुए कहा कि दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण से संबंधित केंद्र के अध्यादेश में मुख्य सचिव को मंत्रिमंडल से ऊपर रखा गया है और आम आदमी पार्टी सरकार इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. एनसीसीएसए की पहली बैठक में भाग लेने के बाद सीएम केजरीवाल ने कहा कि यह प्राधिकरण बेकार है और सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाएगी. उन्होंने दावा किया कि अध्यादेश के माध्यम से चुनी हुई सरकार के अधिकार छीन लिये गये हैं और केंद्र सरकार अधिकारियों के माध्यम से दिल्ली पर नियंत्रण चाहती है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हर मंत्री के ऊपर एक अधिकारी को प्रभार दिया गया है. केंद्र सरकार अधिकारियों के माध्यम से दिल्ली सरकार पर नियंत्रण चाहती है. अध्यादेश में दिल्ली के मुख्य सचिव को मंत्रिमंडल से ऊपर रखा गया है.


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