Arvind Kejriwal News: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के चीफ जस्टिस की एक समिति का गठन करने का आदेश दिया. इसके अलावा अडानी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए एम सप्रे (A M Sapre) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. इस पर दिल्ली (Delhi) के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है. सीएम केजरीवाल ने ट्वीट किया, "चुनाव आयोग और अडानी दोनों मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट का लैंडमार्क ऑर्डर. हम दोनों आदेशों का स्वागत करते हैं."


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता भारत के मुख्य न्यायाधीश की एक समिति का गठन करने का आदेश दिया. जस्टिस के एम जोसफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि यह समिति तब तक रहेगी, जब तक संसद इस संबंध में कानून नहीं बना देती. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव आयोग को कार्यपालिका से स्वतंत्र रहना होगा. एक कमजोर चुनाव आयोग के परिणामस्वरूप कपटपूर्ण स्थिति पैदा होगी और आयोग की कुशलता प्रभावित होगी. सुप्रीम कोर्टा का फैसला चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश करने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए आया है. 



अडानी-हिंडनबर्ग विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?


इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अडानी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच करने के लिए अपने सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए एम सप्रे की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया. भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने अधिवक्ता विशाल तिवारी, एम एल शर्मा, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और अनामिका जायसवाल की याचिका पर यह आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति में ओ पी भट, न्यायमूर्ति जे पी देवधर (सेवानिवृत्त), के वी  कामत, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन को शामिल किया गया है.


पीठ ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे करेंगे. समिति स्थिति का समग्र मूल्यांकन प्रदान करेगी और सुरक्षा बाजारों में अस्थिरता के कारण कारकों का नेतृत्व करेगी. समिति निवेशकों की जागरूकता को मजबूत करने के उपायों का सुझाव देगी और यह भी जांच करेगी कि अदानी समूह या अन्य कंपनियों के संबंध में प्रतिभूति बाजार से संबंधित कानूनों के कथित उल्लंघन में नियामक विफलता तो नहीं हुई है.


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