Delhi News: दिल्ली की नौकरशाही पर नियंत्रण को लेकर केंद्र और केजरीवाल सरकार के बीच जारी तनातनी पर 11 मई को शीर्ष अदालत ने आप सरकार के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था. उसके बाद से सीएम अरविंद केजरीवाल एक्शन मोड में हैं. उनके इस रुख से दिल्ली में तैनात अधिकारियों के बीच हड़कंप की स्थिति है.


अधिकारियों में बेचैनी की स्थिति इसलिए है कि सीएम ने अदालत का फैसला आने के बाद कहा था कि दिल्ली सरकार की बात नहीं मानने वाले अधिकारियों को अब अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ेगा. खास बात यह है कि सीएम केजरीवाल अपने बयान पर अमल करते हुए पहले सेवा विभाग के सचिव को बदलने का फैसला लिया और अब दिल्ली के मुख्य सचिव को बदलने के संकेत दिए हैं. 


अधिकारियों में असमंजस की स्थिति


यही वजह है कि अधिकांश अधिकारी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वो क्या करें. ऐसा इसलिए कि अधिकारियों के सामने धर्म संकट यह है कि अगर वो केंद्र की बात मानते हैं तो सीएम केजरीवाल नाराज होते हैं और दिल्ली सरकार के आदेशों पर अमल करते हैं तो एलजी और एमएचए का कोपभाजन बनना पड़ सकता है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्थिति स्पष्ट है, लेकिन संशोधित जीएसीटीडी एक्ट की आड़ में एलजी विनय सक्सेना अभी भी दिल्ली सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करने की स्थिति में हैं. वहीं दूसरी तरफ दिल्ली सरकार के एक अन्य फैसले के मुताबिक अब किसी भी श्रेणी के कर्मचारी को लेकर कोई भी आदेश मुख्य सचिव या सेवा विभाग के सचिव बिना प्रभारी मंत्री के मंजूरी के नहीं करेंगे. बता दें कि इसे लेकर कई बार सरकार व अधिकारियों के बीच विवाद भी रहा है.


नरेश और अशीष के खिलाफ कार्रवाई


इसके बावजूद सीएम अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर दनादन फैसले ले रहे हैं. सबसे पहले सीएम अरविंद केजरीवाल सरकार निशाने पर सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे आये. उन्होंने सचिव पद से हटाए जाने के बाद अपना फोन बंद कर लिया था. हालांकि, नोटिस जारी होने के बाद उन्होंने मंत्री के आदेशानुसार काम करने पर अपनी सहमति जता दी है. अब केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को बदलने का फैसला लिया है. उनकी जगह आईएएस पीके गुप्ता को मुख्य सचिव बनाने का प्रस्ताव एलजी के पास भेजा गया है. साथ ही उम्मीद जताई है कि वो अपनी सह​मति दे देंगे. यदि केंद्र सरकार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अपील स्वीकार करती है तो पीके गुप्ता नरेश कुमार के स्थान पर प्रदेश के नए मुख्य सचिव बनेंगे. इन फैसलों के जरिए सीएम अरविंद केजरीवाल अधिकारियों को बताया दिया है कि या तो सरकार के कहे के मुताबिक काम करें या ​परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें. 


सीएम केजरीवाल के निशाने पर कौन?


आठ दिन पहले शीर्ष अदालत का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कुछ ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने पिछले एक-डेढ़ साल में दिल्ली की जनता के काम रोके हैं। मोहल्ला क्लीनिक और अस्पतालों में दवाइयां बंद करा दी. दिल्ली जल बोर्ड की पेमेंट रोककर कई जगहों पर पानी की आपूर्ति बंद कराने में अहम भूमिका निभाई. इतना ही नहीं, अधिकारियों ने बुजुर्गों की पेंशन तक रोक दी। उन्होंने कहा था कि ऐसे सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अब अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ेगा। उनके इस बयान से साफ है कि सेवा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, दिल्ली जल बोर्ड, समाज कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी दिल्ली सरकार के निशाने पर हैं. 


केंद्र सीएम की अपील माने के लिए बाध्य नहीं


दूसरी तरफ इस मसले पर कानून के जानकारों का कहना है कि दिल्ली के चीफ सेक्रेट्री की नियुक्ति केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, क्योंकि दिल्ली का दूसरे पूर्ण राज्यों की तरह आईएएस अधिकारियों का अपना काडर नहीं है। दिल्ली में सेवा देने वाले अधिकारियों को एजीएमयूटी काडर से लाया जाता है, जोकि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है। एमएचए से ही उनकी एक जगह से दूसरे जगह पर पोस्टिंग होती है. ऐसे में केंद्र सरकार चीफ सेक्रेट्री की नियुक्ति के लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अपील को मानने के लिए बाध्य नहीं है।


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