(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Delhi Flood: दिल्ली कांग्रेस की मांग, बाढ़ से मरने वालों के परिजनों को मिले एक-एक करोड़ का मुआवजा
Delhi News: मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की दिल्ली के प्रति बेरुखी और राजनीतिक अकांक्षाओं की पूर्ति की एकतरफा सोच ने दिल्ली को बाढ़ के संकट में धकेल दिया है. जिससे जान-माल का काफी नुकसान हुआ है.
Delhi News: राजधानी दिल्ली में यमुना में आई बाढ़ से जन-जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त तो हुआ ही साथ ही इसमें जान-माल का भी नुकसान लोगों को उठाना पड़ा. लेकिन अब यमुना के जल-स्तर के घटने और रिहायशी इलाकों से पानी के उतरने के बाद सरकार जन-जीवन को सामान्य और यातायात व्यवस्था को बहाल करने की कोशिश में लग गयी है. हालांकि, बाढ़ से राहत के बीच दिल्ली की सियासत भी तेज हो गयी है. जहां एक तरफ आम आदमी पार्टी और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति चल रही है तो वहीं कांग्रेस पार्टी भी केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलती नजर आ रही है. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि अगर केजरीवाल सरकार, समय रहते लोगों को बाढ़ के खतरे की सूचना दे देती तो लोगों को इतना नुकसान नही झेलना पड़ता.
बाढ़ से हर वर्ग के लोगों को हुआ बड़ा नुकसान
दिल्ली में आई बाढ़ और फिर उससे हुए जान-माल के नुकसान को लेकर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने एबीपी लाईव की टीम से बातचीत में कहा कि केजरीवाल सरकार अगर समय रहते बाढ़ की संभावना को लेकर लोगों को सतर्क कर देती तो आज दिल्ली को बाढ़ग्रस्त नहीं होना पड़ता और न ही इतना नुकसान होता. उन्होंने बताया कि बारिश और बाढ़ का पानी आने से किसानों, व्यापारियों-कारोबारियों सहित मजनू का टीला से बदरपुर तक सड़कों व रेहड़ी पटरी लगाने वाले वाले लोगों का भी बड़ा नुकसान हुआ है.
बाढ़ में मृत के आश्रितों के लिए 1-1 करोड़ के मुआब्जे की मांग
उनका कहना है कि बाढ़ से हुए नुकसान के आंकलन के लिए सरकार को उच्च स्तरीय कमिटी गठित करके सर्वे करना चाहिए और पीड़तों को राहत देने के लिए उपयुक्त घोषणा करनी चाहिए, जबकि उन्होंने 10 हजार रुपये राहत की घोषणा की है, जो नकाफी है. उनकी मांग है की बाढ़ में मरने वाले लोगों के आश्रितों को दिल्ली सरकार एक-एक करोड़ का मुआवजा दे. इसके अलावा बाढ़ के कारण जगह-जगह मृत पशु पड़े हैं, जिससे महामारी का खतरा उत्पन्न हो सकता है, इसलिए तुरंत ही मृत पशुओं के शवों को हटवाया जाए, जिससे लोगों को महामारी के खतरे से न जूझना पड़े.
बाढ़ के बाद सरकार के सामने उत्पन्न हुई कई चुनौतियां
चौधरी अनिल कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की दिल्ली के प्रति बेरुखी और राजनीतिक अकांक्षाओं की पूर्ति की एकतरफा सोच ने दिल्ली को बाढ़ के संकट में धकेल दिया है. जिससे जान-माल का काफी नुकसान हुआ है. और इस वक़्त सरकार के सामने बाढ़ प्रभावित लोगों के पुनर्वास, महामारी फैलने का खतरा, जलभराव वाली जगहों से मलबा सफाई और यमुना से समीप रह रहे लोगों को हुए भारी नुकसान की भरपाई करना बड़ी चुनौती है. लेकिन उन्हें नहीं लगता है कि वो इन चुनौतियों से पार पा सकेंगे.
मुख्यमंत्री पर लगाया मुद्दों से भटकाने का आरोप
उनका कहना है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली पर आए हर संकट के समय पूरी तरह विफल साबित रहे हैं, फिर चाहे वह 2020 में दिल्ली में हुए दंगे हो, कोविड महामारी हो या फिर अब दिल्ली में आई भीषण बाढ़. वे हर बार दिल्लीवालों की कसौटी पर विफल साबित हुए है, और हर बार जवाबदेही से बचने एवं लोगों का ध्यान हटाने के लिए मुख्यमंत्री मुद्दों को बदल करके आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरु कर देते हैं.
बाढ़ से राहत के लिए आर्मी को संभालना पड़ा मोर्चा
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार की जिम्मेदारी संकट के समय जनता को सुरक्षा देने की है लेकिन पिछले 9 वर्षों में अरविन्द केजरीवाल पूरी तरह निष्क्रिय और विफल मुख्यमंत्री साबित हुए हैं. इस दौरान उन्होंने मंत्री सौरभ भारद्वाज को भी जम कर आड़े-हाथों लिया और कहा कि मंत्री ने बाढ़ को लेकर आरोप लगाने का काम तो बखूबी निभाया लेकिन अभी तक बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की क्या व्यवस्था है, इसे लेकर कोई घोषणा नही की है. उनका कहना है कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी, बचाव और राहत पहुंचाने में विफल होने के बाद आर्मी द्वारा मोर्चा संभालने से केजरीवाल सरकार की अक्षमता दिल्लीवालों के समक्ष उजागर हो चुकी है.
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