Delhi News: केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच इसके समर्थन और विरोध को लेकर खींचतान जारी है. मोदी सरकार के खिलाफ पटना में विरोधी दलों की बैठक के दो दिन बाद कांग्रेस ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि आप नेता अपनी बात मनवाने के लिए हमारी कनपटी पर बंदूक नहीं रख सकते. वहीं आप नेता ने पटना बैठक में ही कह दिया था कि जब तक कांग्रेस अध्यादेश के खिलाफ संसद में वोटिंग का भरोसा नहीं देती, तब तक हमारी पार्टी उसके साथ किसी भी गठबंधन या मीटिंग में शामिल नहीं होगी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी के अध्यादेश के मसले पर सख्त रुख के बावजूद कांग्रेस ने उन्हें टका सा जवाब दे दिया है. कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि आप अपनी बात मनवाने के लिए हमारी कनपटी पर बंदूक मत रखिए. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की दबाव की राजनीति पर सवाल उठाते हुए आप की भाषा पर भी नाराजगी जाहिर की है. मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि आप का बयान भड़काउ है तो केसी वेणुगोपाल ने कहा कि अपनी बात मनवाने के लिए वो हमारी कनपटी पर बंदूक नहीं रख सकते.
'अध्यादेश लोकतंत्र के लिए खतरा'
इसके उलट आप ने केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस की चुप्पी की तीखी आलोचना की है. आप ने अपने ट्विटर हैंडल पर अध्यादेश को एक काला अध्यादेश करार दिया है. आप का कहना है कि अध्यादेश का मकसद ना केवल दिल्ली में एक निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए एक खतरा भी है. आप के बयान में इस बात का भी जिक्र है कि मोदी सरकार के खिलाफ पटना में विपक्षी दलों की बैठक में भाग लेने वाले दलों में से 12 दलों ने राज्यसभा में अध्यादेश के खिलाफ समर्थन देने का ऐलान किया है. साथ ही कहा कि वे राज्यसभा में केंद्र के बिल का विरोध करेंगे.
कांग्रेस असमंजस में क्यों?
आम आदमी पार्टी ने अपने ताजा बयान में कहा है कि कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाइयों ने साफ मत है कि पार्टी को इस मसले पर केंद्र सरकार का समर्थन करना चाहिए. इसके बाद हमारी पार्टी ने पटना बैठक के दौरान कांग्रेस से खुले तौर पर केंद्र के अध्यादेश का निंदा करने की अपील की थी, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया. कांग्रेस की ये चुप्पी उसके इरादों पर संदेह पैदा करने के लिए काफी है.
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