Delhi News: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की राजनीति एक बार फिर अहम मोड़ पर है. बताया जा रहा है कि केंद्र के अध्यादेश (Ordinance) के मसले पर कांग्रेस (Congress) ने आम आदमी पार्टी (AAP) को समर्थन देने का फैसला ले लिया है. अगर ऐसा होता है तो इसे सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की कांग्रेस पर रणनीतिक जीत ही मानी जाएगी. साथ ही इस बात की संभावना से भी आप इनकार नहीं कर सकते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 और दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए कि आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पहले संकेत ही दे चुके हैं कि वो कांग्रेस का समर्थन उसी स्थिति में करेंगे जब देश की सबसे पुरानी पार्टी अध्यादेश सहित दिल्ली और पंजाब में आप के खिलाफ चुनाव न लड़े.


यही बात आप से पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी कह चुकी है. ऐसे में आप को अध्यादेश के मसले पर समर्थन देने का मतलब कांग्रेस पर ममता बनर्जी की राजनीति का दबाव बढ़ना तय है. यानी कांग्रेस को बीजेपी विरोध की इस रणनीति में सियासी स्तर पर बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है.  इस मसले पर कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर एक बड़ी बैठक हुई है. माना जा रहा है कि कांग्रेस बहुत जल्द इस मसले पर अपना रुख आधिकारिक रूप से साफ कर देगी. बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल कांग्रेस की आड़ में जहां आप की जीत सुनिश्चित करते आए हैं, वहीं देश की सबसे पुरानी पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ा है. कम से कम दिल्ली में 2013 से अभी तक आप की मजबूती का राज यही है वो कांग्रेस को मैनेज करती आई है.


कांग्रेस पर दबाव बनाने में सफल रहे केजरीवाल


अध्यादेश के मसले पर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के सामने सख्त रवैया अख्तियार एक बार फिर वही किया है. सबसे पहले साल 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा बनने पर अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस का समर्थन लेकर सरकार बनाई. बाद में कांग्रेस को ही गच्चा देते हुए 49 दिनों बाद सीएम पर से आप प्रमुख ने इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद साल 2015 विधानसभा चुनाव में आप ने कांग्रेस के वोट बैंक बल पर प्रचंड बहुमत हासिल की. साल 2020 के चुनाव में भी सीएम केजरीवाल ने कांग्रेस के वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनाए रखी, जबकि बीजेपी अपने वोट बैंक पर पकड़ बनाए रखने में सफल रही. बीजेपी के वोट बैंक में उसके बाद इजाफा ही हुआ है. दिल्ली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के नौ पार्षद जीते थे. सभी पार्षद मुस्लिम बहुल इलाके से जीते हैं. उसके बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रही थी, लेकिन अब कांग्रेस ने अध्यादेश पर आप का समर्थन देने का संकेत देकर साफ कर दिया है कि वो बीजेपी विरोध और विपक्षी एकता के नाम पर आप   दिल्ली में मजबूत होने का सियासी वाकओवर दे सकती है.


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