Delhi News: दिल्ली की लाइफ लाइनफ कही जाने वाली मेट्रो के बाद, सार्वजनिक परिवहन के रूप में जिस साधन का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है, वह है DTC की बस. दिल्ली की सड़कों पर दौड़ने वाली बसें, लोगों को उन स्थानों तक कि कनेक्टविटी प्रदान करती है, जहां मेट्रो की पहुंच नहीं है. यहां तक कि मेट्रो तक जाने के लिए भी लोगों को बस का इस्तेमाल करना पड़ता है. इसलिए बस दिल्ली में ट्रांसपोर्टेशन का एक अहम साधन है और बसों में सवार होने वाली लोगों की भीड़ को देखकर यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि दिल्ली में जरूरत के अनुसार बसे नहीं हैं.
हर दिन 500-700 बसें हो रही खराब
अब जब पहले से ही दिल्ली के लोगों को बसों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब सड़कों पर चलने वाली बसों में से कुछ बसें खराब हो जाए तो लोगों को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा. जी हां, ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि आंकड़े बताते हैं कि हर दिन औसतन 500 से 700 बसों का ब्रेकडाउन हो रहा है, जो बस यात्रियों के साथ सड़क पर चलने वाले अन्य राहगीरों के लिए भी परेशानी का सबब बन रहा है.
DTC के बेड़े में शामिल हैं 3992 बसें
वर्तमान में DTC के बेड़े में अभी 3992 बसें हैं, जिनमें 488 इलेक्ट्रिक बसें भी शामिल हैं. आलम यह है कि पुरानी बसें तो हर दिन ब्रेकडाउन हो ही रही हैं, साथ ही नई इलेक्ट्रिक बसों में से भी हर दिन लगभग दर्जन भर बस का ब्रेकडाउन हो रहा है. वजह है इन बसों का सही तरीके से मेंटेनेंस न हो पाना. लेकिन जो सबसे बड़ा कारण सामने आया है कि DTC की जितनी भी CNG बसें अभी सड़कों पर दौड़ रही हैं, वे सभी अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं, बावजूद इसके दिल्ली में उन बसों को चलाया जा रहा है, जो सुरक्षा के नजरिये से भी सही नहीं है.
तेज गर्मी और बारिश में बढ़ती है परेशानी
उम्र पूरी हो जाने की वजह से बसें जल्दी-जल्दी खराब हो रही हैं और ये समस्या गर्मियों एवं बारिश के मौसम में और भी बढ़ जाती है, जब ज्यादा हीट हो जाने या फिर जल भराव से गुजरने के दौरान बस बंद पड़ जाती है. इससे बस यात्रियों को तो परेशानी होती ही है, साथ ही इससे जाम की भी समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिसमें घंटो फंस कर लोगों को इस अनचाही मुसीबत को झेलना पड़ता है. यह समस्या उस वक़्त और भी विकट हो जाती है, जब दो लेन वाली सड़क पर बस का ब्रेकडाउन हो जाता है. ऐसे में जब तक मैकेनिक नहीं आता है तब तक बस वहीं खड़ी रहती है. वहीं दूसरी तरफ ब्रेकडाउन होने से कम से कम उस दिन उस रुट पर वह बस फिर से नहीं चल पाती है, नतीजन बस स्टॉप और बसों में बस यात्रियों का दवाब बढ़ जाता है.
40 डिपो मैनेज करने महज 26 डिपो मैनेजर
जब हमने बसों के लगातार ब्रेकडाउन होने के कारणों की पड़ताल की तो पता चला कि बसों की उम्र तो पूरी हो ही चुकी है, वहीं इन बसों का मेंटेनेंस भी ठीक से नहीं हो पा रहा है. ईस्ट, वेस्ट, साउथ और नॉर्थ जॉन मिला कर दिल्ली में कुल 40 DTC की डिपो हैं, जिन्हें मैनेज करने के लिए महज 26 स्टोर मैनेजर हैं. नतीजन एक डिपो मैनेजर को एक से अधिक डिपो की निगरानी करनी पड़ती है. अब एक मैनेजर कई डिपो मैनेज करे, कर्मियों की निगरानी कर और बसों के मेंटेनेन्स पर ध्यान दे. इतने सारे काम एक साथ कर पाना काफी कठिन है और इसी वजह से बसों की मेंटेनेंस सही तरीके से नहीं हो पा रही है. जिसका खामियाजा दिल्ली के लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
पहाड़गंज में सबसे ज्यादा बसें हुई ब्रेकडाउन
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने के आखिरी सप्ताह में सभी जोन मिला कर बीते 26 जुलाई को कुल 558 बसें ब्रेकडाउन हुई, जबकि 27 जुलाई को 533 बसें, 28 जुलाई को 669 बसें, 29 जुलाई को 394 बसें, 30 जुलाई को 376 बसें और 31 जुलाई को 542 बसें ब्रेकडाउन हुई. आंकड़ों के मुताबिक, हर महीने 15 हजार से ज्यादा ब्रेकडाउन हो रहे हैं. बात करें अलग-अलग इलाकों कि तो सबसे ज्यादा बसें पहाड़गंज इलाके में खराब हुई, उसके बाद पटेल नगर, दिल्ली कैंट और फिर वसंत विहार इलाके में सबसे ज्यादा बसें खराब हुई हैं. वहीं बात हर दिन चलने वाली बसों में से ब्रेकडाउन होने वाले बसों के प्रतिशत की तो यह 7 प्रतिशत से भी ज्यादा है.
नेता प्रतिपक्ष ने उठाए सवाल
इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि डीटीसी की CNG बसें ओवरएज होने के कारण सड़कों पर लगातार खराब हो रही है. उन्होंने कहा कि पांच से सात सौ बसें रोजाना सड़कों पर खराब हो रही हैं, जिससे डीटीसी का घाटा पिछले पांच साल में ही 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है. बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली में DTC का कुल बेड़ा 3992 बसों का है लेकिन उनमें से 3504 सीएनजी बसें अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं. वहीं दिल्ली सरकार ने DTC के बेड़े के लिए एक भी CNG बस नहीं खरीदी. जिस कारण असुरक्षित बसों को ही सड़क पर चलाना पड़ रहा है.