Corona Vaccine और संशय- कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए दुनियाभर में वैक्सीनेशन की रफ्तार को तेज कर दी गई है. विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस वैक्सीन, गंभीर संक्रमण से सुरक्षा देने के साथ मौत के खतरे को कम करने में सहायक हो सकती हैं. शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनाने में भी वैक्सीन को काफी कारगर माना जाता है.


भारत सरकार द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत में भी 3.33 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हुए जबकि चार लाख 44 हज़ार मौतें हुयीं. भारत में सरकार ने कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तहत आज से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोग वैक्सीन ले सकेंगे जबकि भारत में वैक्सीनेशन की शुरुआत के सिर्फ नौ महीने से भी कम समय में 21 अक्टूबर 2021 को 100 करोड़ लोगों को कोरोना के वैक्सीन का टीका लगाने का अद्भुत लक्ष्य पूरा किया जा चुका था.


वैश्विक इतिहास में ऐसा पहली बार था जब कोई महामारी समय के साथ अपना रूप बदल कर और मजबूती से विनाशकारी रूप में हमारे सामने खड़ी होती हैं. वहीं दूसरी तरफ समाज का एक बहुत बड़ा ऐसा भी है जो इसको संशय कि नज़र से देखता है, विशेषरूप से ग्रामीण परिवेश के लोग. ऐसे में प्रश्न उठता है कि वह कौन से कारण हैं जिसके कारण सरकार वैक्सीन के प्रति भरोसा नहीं जगा सकी है? और दूसरा यह कि क्या वैक्सीन न लेने से सरकार या निजी संस्था हमें सामाजिक कल्याण की योजनाओं से महरूम कर सकती हैं या उनका ऐसा करना उचित है? जिसमें हवाई यात्रायें भी शामिल है.


इसी सवाल को लेकर इम्यूनाइजेशन एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्य जे. पुलियेल ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिक दायर की. जिसपर केंद्र सरकार ने कहा कि यह लोगों के वायरस के खिलाफ टीका लेने के अधिकार का उल्लंघन है केंद्र सरकार और राज्य सरकारों का पूरा ध्यान वैक्सीन अभियान चलाने और लोगों को वैक्सीन देने में है. वहीं कई राज्य सरकारों के प्रश्न और एक आरटीआई के जवाब में केंद्र सरकार ने  अपने हलफनामे में पेज 57 के अंतिम पैर में बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि कोविड वैक्सीन टीका अनिवार्य नहीं है.


क्या हवाई जहाज में बगैर वैक्सीन के डोज़ के सफ़र कर सकते हैं?


हवाई जहाज़ में सफ़र करते समय सम्बन्धित कंपनियों के नियमों के अनुसार ही सफ़र कर सकते हैं. इसकी सहमती यात्री टिकट लेते समय दे देता है. लेकिन जैसी की भ्रान्ति फ़ैल गयी है आम लोगों को वैक्सीन को लेकर, सरकार और उससे जुड़े दूसरे तंत्र को उनकी इस भ्रान्ति को दूर करने कि कोशिश होनी चाहिए. वैक्सीनेशन से अभी तक किसी भी व्यक्ति की सरकारी या निजी तौर उपलब्ध आंकड़ों मौत नहीं हुई है. वैज्ञानिक शोधों द्वारा यह बात साबित हो चुकी है कि यह रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित करती है. प्लोस पत्रिका के अनुसार मानसिक स्थिति को बेहतर करती है. इसके अलावा किसी भी व्यक्ति कि नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी होती है उसकी वजह से किसी को कोई नुक्सान न पहुंचे. व्यक्ति विशेष की आज़ादी वहीं ख़त्म हो जाती जहाँ से दूसरे कि नाक शुरू होती है.


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