Corona Vaccine For Animal: इंसानों में कोरोना का प्रकोप फैलने के बाद अब ये महामारी जानवरों में तेजी से अपने पैर पसार रही है. कुत्ते, बिल्ली, शेर, तेंदुआ, हिरन समेत कई अन्य जानवरों में इसका असर देखने को मिल रहा है. थोड़ी राहत की बात यह है कि भैंस, गाय, भेड़ और बकरी जैसे पालतू और दुधारू जानवरों में कोरोना वायरस का कोई लक्षण नहीं दिख रहा है. दरअसल एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है, जिसने सबकी चिंता बढ़ा दी है. 


15 से ज्यादा शेरों की मौत 
इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल इंस्टीट्यूट (आइसीएआर) के सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 18 से 20 प्रतिशत जानवरों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाडी पाई गई है. भारत में पाए जाने वाले शेरों में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है. माना जा रहा है कि जानवरों में यह संक्रमण इंसानों से ही गया है क्योंकि जितने जानवरों में वायरस पाया गया है कि वह या तो चिड़ियाघर में रहते हैं या फिर  पालतू हैं. यही नहीं इससे अब तक 15 से ज्यादा शेरों की मौत हो चुकी है. 


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वैक्सीन कुत्तों, शेरों, तेंदुओं और खरगोशों के लिए सुरक्षित
लेकिन राहत की बात ये है कि जानवरों में फैल रही इस महामारी की जांच और रोकथाम के लिए वैक्सीन तैयार हो चुकी है. जिसे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने लॉन्च किया है. जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुताबिक यह वैक्सीन कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रोन वैरिएंट से बचाती है. यह कुत्तों, शेरों, तेंदुओं, चूहों और खरगोशों के लिए सुरक्षित है. वहीं कोरोना के प्रकोप से देश के विभिन्न चिड़ियाघरों में अब तक 15 से अधिक शेर और कई तेंदुओं के मरने की रिपोर्ट दर्ज है.


एंकोवेक्स वैक्सीन विकसित की गई
आइसीएआर के अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने जानवरों में कोरोना की जांच के लिए किट और वैक्सीन तैयार कर ली है. इस बारे में आइसीएआर के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्र ने बताया 'शेरों में मिला डेल्टा वैरिएंट इंसानों में पाए जाने वाले डेल्टा वैरिएंट के समरूप पाया गया है. जानवर से जानवर में और इसके साथ इंसान में इसके संक्रमण को रोकने के लिए एंकोवेक्स वैक्सीन विकसित की गई है.' उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान) डा. वीके त्रिपाठी ने बताया कि कोरोना की वजह से 15 से अधिक शेरों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. भोपाल स्थित लैब में सैंपल टेस्ट के बाद इसकी पुष्टि हुई है. हालांकि उन्होंने यह भरोसा भी जताया कि अश्व अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित वैक्सीन इसके प्रसार को रोकने में सक्षम है और सुरक्षित है.


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