Antibiotics: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सर्दी-खांसी-बुखार होने पर न करें एंटीबॉयोटिक के इस्तेमाल, सरकार ने जारी की चेतावनी
Govt Cautions On Antibiotics: इस समय बुखार, खांसी और जुकाम जैसी बीमारी आम हो गई है. लोग आजकल अपने मन से इससे बचाव के लिए एंटीबॉयोटिक का इस्तेमाल करने लगे हैं, जो कि नहीं करना चाहिए.
Antibiotics Side Effects: दिल्ली (Delhi) समेत देश भर में एक बार फिर से कोरोना (Corona) के मामले में उछाल देखा जा रहा है. हालांकि, कोविड 19 वायरस का मौजूदा वेरिएंट उतना खतरनाक नहीं है, लोग इसकी संक्रमण की चपेट में आने के बाद जल्दी ठीक भी हो जा रहे हैं. खतरा उन्हें है, जो पहले से बीमार हैं, फेफड़ों में इंफेक्शन की समस्या है, या फिर बुजुर्ग हैं. फिर भी इस समय एहतियात बरतने की जरूरत है. दिल्ली की हवा में इस समय कोरोना के वायरस के अलावा एच3एन2 (H3N2), एच1एन1 (H1N1) और इन्फ्लूएंजा ए (Influenza A) के वायरस मौजूद हैं, जिससे लोगों के संक्रमित होने की संभावना बनी रहती है.
पिछली लहरों की तुलना में कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या कम है, लेकिन देश भर में संक्रमणों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. सरकार की ओर से साझा किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में शनिवार को कोविड के 2994 नए मामले दर्ज किए गए और पिछले 24 घंटों में 9 मौतों की पुष्टि हुई है. इनमें केरल, कर्नाटक, दिल्ली और पंजाब से दो-दो और गुजरात से एक शामिल हैं. वहीं सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 16354 हो गई है. इससे देश में अब तक सामने आए कुल कोविड मामलों की संख्या 4.47 करोड़ हो गई है, जबकि पिछले 24 घंटो में हुई 9 मौतों के साथ देश भर में कोरोना वायरस से मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 5,30,876 हो गई.
एंटीबॉयोटिक के इस्तेमाल पर सरकार ने जारी किए दिशा-निर्देश
इस समय बुखार, खांसी और जुकाम जैसी बीमारी आम हो गई है. लोग आजकल अपने मन से इससे बचाव के लिए एंटीबॉयोटिक का इस्तेमाल करने लगे हैं, जो कि नहीं करना चाहिए. एंटीबॉयोटिक, एंटीबैक्टेरियल बीमारी के इलाज में कारगर होता है, न कि वायरल बीमारी में, इसलिए इसे बिना डॉक्टरी सलाह के लेना खतरनाक हो सकता है. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लोगों की ओर से खुल कर एंटीबॉयोटिक के इस्तेमाल को देखते हुए सरकार ने एक गाइडलाइन जारी कर कहा है कि एंटीबॉयोटिक दवाओं का तब तक इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि बैक्टेरियल बीमारी का अंदेशा न हो, क्योंकि वायरल डिजीज में इसका इस्तेमाल नुकसानदेह हो सकता है.
एंटीबॉयोटिक लेना हो सकता है नुकसानदेह
हाल के समय में देखा जा रहा है कि एंटीबॉयोटिक लेने से कोरोना के मामले गंभीर हो रहे हैं. ऐसे में एबीपी लाइव ने हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अंकुर गुप्ता, कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, अरटर्मिस लाइट से बात कर उनसे पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है और ये कितना नुकसानदेह हो सकता है? साथ ही सर्दी, खांसी या बुखार आने पर लोगों को क्या करना चाहिए? इस पर उन्होंने बताया कि लोगों को सबसे पहले तो यह ध्यान देना चाहिए कि एंटीबॉयोटिक दवा बैक्टेरियल इंफेक्शन में कारगर हो सकती है, कोरोना या इन्फ्लूएंजा जैसे वायरल इंफेक्शन में नहीं.
उन्होंने बताया कि वायरल इंफेक्शन में एंटीबॉयोटिक लेना बिल्कुल भी असरदार नहीं होगा और ये लोगों के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हानिकारक हो सकता है. आजकल ऐसा देखा जा रहा है कि लोग एंटीबॉयोटिक का इस्तेमाल इन वायरल बीमारियों से ठीक होने के लिए कर रहे हैं, जो वायरस पर असरहीन रह रहा है और लोगों की बीमारियां गंभीर हो रही हैं.
'खुद से कोई दवा न लें'
डॉ. अंकुर गुप्ता ने बताया कि अगर किसी में खांसी-जुकाम या बुखार जैसे कोरोना के लक्षण नजर आते हैं, तो लोग भूल से भी अपने मन से कोई दवा न लें, क्योंकि ऐसा करने से वो ठीक तो नहीं ही होंगे, साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ेगा. इसके लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जिससे सही तरीके से पता चल पाएगा कि वो बैक्टेरियल इंफेक्शन से बीमार हुए हैं या फिर वायरल इंफेक्शन है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली की हवा में इस समय कोरोना वायरस के अलावा H3N2, H1N1 और इन्फ्लूएंजा A के वायरस मौजूद हैं. ऐसे में सर्दी-खांसी या बुखार होने पर खुद अपने मन से दवाई लेने से बेहतर होगा कि डॉक्टर की परामर्श से दवा लें, क्योंकि अगर अपने मन से दवा लेने पर लाभ तो नहीं ही होगा, ऊपर से स्वास्थ्य पर उन दवाओं का प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है.
इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाता है एंटीबॉयोटिक
वहीं डॉ. अंकुर गुप्ता ने कहा कि तेज बुखार आना कोई बीमारी का नहीं, बल्कि ह्यूमन इम्यून सिस्टम है, जो शरीर के अंदर हुए बैक्टेरिया या वायरस को खत्म करने की कोशिश करता है. अगर किसी को तेज बुखार आए तो इसका मतलब उनके इम्यून सिस्टम पर किसी वायरस का बैक्टेरिया का हमला हुआ है, जिसे खत्म करने के लिए बॉडी अपना टेम्परेचर काफी बढ़ा लेती है, जो कि एक अच्छी चीज है. ऐसे में अगर लंबे समय तक हाई फीवर बना रहता है, तो लोगों को पैरासिटामोल जैसी दवाएं ही लेनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर जल्दी फीवर को ठीक करने की कोशिश में एंटीबॉयोटिक लेते हैं, तो ये इम्मयून सिस्टम को कमजोर कर देगा और फिर शरीर उस बीमारी से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाएगा. ऐसे में ये वायरल इंफेक्शन हुआ तो उस पर एंटीबॉयोटिक ऐसे भी असर नहीं करेग. इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ने से वायरस और भी गंभीड़ रूप से शरीर को अपनी चपेट में ले लेगा, इसलिए कभी भी अपने मन से दवा न लें, जरूरत पड़ने पर डॉ. से संपर्क कर उनके परामर्श के अनुसार ही दवा खाएं.