Delhi News: दिल्ली में हर दिन लाखों की संख्या में निजी और सार्वजनिक वाहन चलते हैं. इसके अलावा, दिल्ली से सटे NCR के क्षेत्रों से भी भारी संख्या में बड़े-छोटे वाहनों का हर दिन राजधानी में आवागमन होता है. इन वाहनों में बसों की संख्या भी काफी होती है. दिल्ली में प्रदूषण स्तर जान लेवा होने के पीछे इन बसों की भूमिका भी अहम है. अब सेंटर फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CQAM) ने इससे निपटने की कवायद को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है. अब दिल्ली में सिर्फ इलेक्ट्रिक, सीएनजी और BS-6 वाले वाहनों को चलने की अनुमति दी जाएगी.


CQAM के निर्णय के अनुसार नवंबर से दिल्ली की सड़कों पर अब वहीं बसें दौड़ेंगी जो इलेक्ट्रिक, CNG या फिर BS-6 वेरिएंट की होंगी. पुरानी बसों को नवंबर से दिल्ली में चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके लिए CQAM दिल्ली के अलावा यूपी, हरियाणा और राजस्थान के अधिकारियों को भी निर्देश दिया है कि इस बात का ख्याल रखा जाए कि जो भी बसें उनके राज्य से दिल्ली जाती हैं वो क्लीन फ्यूल वाली यानी BS-6 वेरिएंट, सीएनजी या फिर इलेक्ट्रिक हों. इंटरसिटी और इंटरसिटी बसों के क्लीन फ्यूल वाली होने से दिल्ली-NCR के प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आएगी.


डीजल बसों को दिल्ली में नहीं मिलेगी एंट्री


वहीं, दिल्ली से सटे राज्यों आने वाली डीजल बसों को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक और CNG बसों को तब्दील करने के लिए जून 2026 और सिर्फ इलेक्ट्रिक बसों को चलाने के लिए जून 2028 का समय दिया गया है. दिल्ली परिवहन निगम के एक अधिकारी के अनुसार दिल्ली में अभी चार से पांच हजार डीजल की बसें हर दिन आवाजाही करती हैं, जिससे दिल्ली में काफी प्रदूषण हो रहा है. राजधानी में ज्यादातर पैसेंजर और कॉमर्शियल गाड़ियां तो सीएनजी पर शिफ्ट हो गई हैं, लेकिन अब भी कई गाड़ियां ऐसी हैं जो क्लीन फ्यूल पर नहीं चलती हैं. सबसे बड़ी दिक्कत दूसरे राज्यों से दिल्ली में आने-जाने वाली गाड़ियों से होती हैं, जिनमें क्लीन फ्यूल का इस्तेमाल ना के बराबर होता है. सर्दियों के मौसम में हर साल यूपी और हरियाणा की सरकारों को लिखा जाता है कि वे क्लीन फ्यूल से चलने वाली बसें ही दिल्ली भेजें, जिससे यहां प्रदूषण में और इजाफा ना हो, लेकिन उस पर अमल नहीं हो पता है.


 ई-बसें होंगी बेहतर विकल्प


अगर दिल्ली में आने-जाने वाली सभी बसें क्लीन फ्यूल वाली हो जाती है तो यह प्रदूषण नियंत्रण के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि दिल्ली समेत अन्य राज्यों के स्टेट रोडवेज और बस ऑपरेटर इस पर कितना अमल करते हैं. एनफोर्समेंट एजेंसिया इसे सही तरीके से लागू कराने के लिए कितनी सख्ती बरतती हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो BS-6 और CNG के बदले अगर सिर्फ इलेक्ट्रिक बसों को बढ़ावा देने की पहल की जाए, तो यह ज्यादा बेहतर होगा. बता दें कि इससे पहले प्रदूषण से निपटने की कवायद में NGT और सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सड़कों से उम्र पूरी कर चुके छोटे वाहनों को स्क्रैप करने या फिर NOC लेकर दिल्ली से बाहर ले जाने का आदेश जारी किया था. 


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