CTI की वित्त मंत्री से बड़ी मांग, इनकम टैक्स का नाम बदलकर रखा जाये राष्ट्र निर्माण सहयोग निधि
Delhi News: सीटीआई ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर बजट में टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने, बुजुर्गों को टैक्स आधारित सुविधाएं देने, इनकम टैक्स का नाम बदलने और जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने की मांग की है.
Chamber Of Trade and Industry: दिल्ली में व्यापारियों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने टैक्स और बजट में कुछ बदलाव को लेकर केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने व्यापारियों को बजट में राहत मिलने के साथ बुजुर्गों को उनके अदा किए गए टैक्स के आधार पर कुछ सुविधाओं की मांग की है.
साथ ही यह भी कहा है कि, आयकर (इनकम टैक्स) का नाम बदल कर राष्ट्र निर्माण सहयोग निधि रखा जाए. जिससे कि लोगों में ज्यादा से ज्यादा टैक्स देने की भावना जागृत हो.
सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा कर कहा है कि, बुजुर्ग टैक्सपेयर को उनके टैक्स के आधार पर ओल्ड ऐज बेनिफिट मिलना चाहिए. टैक्सपेयर की वृद्धावस्था में पिछले सालों में दिये गये इनकम टैक्स के हिसाब से उसे सोशल सिक्योरिटी और रिटायरमेंट के लाभ दिये जाएं.
छूट की सीमा को बढ़ा कर किया जाए 9 लाख
उन्होंने मिडिल क्लास टैक्सपेयरों के हित की बात करते हुए वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि 9 साल से इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही बनी हुई है. इसे 7 लाख कर देना चाहिए. इससे मिडिल क्लास के उन करोड़ों टैक्स पेयर्स को लाभ होगा, जिन्हें टैक्स न होने के बावजूद रिटर्न जमा करानी पड़ती है.
वहीं, उन्होंने मिडिल क्लास को सस्ती ब्याज दरों पर लोन मिलने की हिमायत करते हुए कहा कि कार्पोरेट्स एवं बड़ी कंपनियों को बैंक लोन सस्ती ब्याज दर से मिल जाता है, लेकिन मीडिल क्लास और छोटे व्यापारियों के लिए केन्द्र सरकार की जो मुद्रा योजना है उसमें उनको कहीं ज्यादा ब्याज देना पड़ता है. इसलिए उनकी मांग है कि मिडिल क्लास को भी सस्ती ब्याज दरों पर लोन मिलना चाहिए.
इनकम टैक्स में 45 दिन में पेमेंट का नियम वापस हो
आगे उन्होंने लिखा है कि, इनकम टैक्स में 45 दिन में पेमेंट का जो नया नियम आया है इससे करोड़ों व्यापारी और MSME व्यापारी परेशानी झेल रहे हैं, इसको वापस लिया जाए. जबकि .जीएसटी की नयी एमनेस्टी स्कीम का लाभ उन व्यापारियों को भी मिलना चाहिए जो पहले ही टैक्स, ब्याज और पेनल्टी जमा करा चुके हैं.
GST की दरों को तर्कसंगत बनाने की जरूरत
सीटीआई के चेयरमैन ने इन्शुरेन्स के बढ़ते प्रीमियम पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, पिछले कुछ सालों से मेडिकल इन्शुरेन्स प्रीमियम बेतहाशा बढ़ा है जिससे मध्यम वर्ग को भारी परेशानी हो रही है. इसके अलावा उन्होंने इनकम टैक्स में भी जीएसटी की तरह हाइब्रिड सिस्टम होने की बात की ताकि लोगों को उसकी व्यक्तिगत हियरिंग का मौका मिल सके.
उन्होंने कहा कि, आम जरूरत की बहुत सारी चीजों पर अभी भी 28% और 18% GST लगता है, इसलिए GST की दरों को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है. उनका कहना है कि केन्द्र सरकार को व्यापारियों और उद्यमियों के हित के लिए ट्रेड एंड इंडस्ट्री डेवलपमेंट बोर्ड का गठन करना चाहिए.
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