Cyber Fraud: आज के तकनीकी युग में लोग घर बैठे देश-दुनिया की जानकारी हासिल कर रहे हैं, वहीं लेन-देन का तरीका भी बदल चुका है. पहले लोगों को खातों से पैसे निकालने के लिए बैंक में चेक या निकासी फॉर्म की सहायता लेना पड़ता था. अब एटीएम/डेबिट कार्ड की सुविधा होने से बैंक जाने की जरूरत नहीं रही. एटीएम चंद मिनट में आपको पैसे निकालकर दे देती है.


तकनीक ने लोगों को पैसे निकालना आसान कर दिया. लेकिन ठगों को पैसे उड़ाने का भी नया रास्ता मिल गया. हम आपको कुछ मामलों के बारे में बताते हैं. एटीएम कार्ड का इस्तेमाल किये बिना कार्ड धारक के खाते से पैसे निकल गए. 


एटीएम जेब में फिर भी निकल गए पैसे
दिल्ली के समयपुर बादली निवासी रिटायर्ड बुजुर्ग रात घर पर सो रहे थे. उनके मोबाइल पर बैंक खाते से पैसे निकलने का मैसेज आया. समझने से पहले तीन बार में बैंक खाते से 49 हजार रुपये निकल गए. रिटायर्ड कर्मचारी का एटीएम कार्ड जेब में था. ठगी की दूसरी घटना रोहिणी में 14 वर्षीय किशोर के साथ घटी. पिता के कहने पर एटीएम से पैसे निकालने बेटा पहुंचा.


कई बार की कोशिश के बाद भी पैसे नहीं निकाल पाया. पीछे खड़े शख्स ने पैसे निकालने में मदद की पेशकश की. किशोर एटीएम कार्ड लेकर घर की तरफ रवाना हो गया. घर पहुंचने से पहले पिता के मोबाइल पर दो बार पैसे निकाले जाने का मैसेज आया. एटीएम कार्ड किशोर के पास था. 


स्किमिंग कर किया जाता है कार्ड क्लोन
साइबर ठगी कार्ड स्किमिंग या क्लोनिंग के जरिये की जाती है. आसान शब्दों में कार्ड के डेटा की चोरी कर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन या फिर क्लोनिंग कर एटीम से पैसे की निकासी हो जाती है. एटीएम, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की क्लोनिंग के लिए जरूरत होती है स्किमर की. स्किमर को स्वाइप मशीन या एटीएम में फिट कर दिया जाता है. कार्ड स्वाइप करने या एटीएम में यूज करने पर सारी डिटेल स्किमर में कॉपी हो जाती है.


जालसाज कार्ड की डिटेल कंप्यूटर में डालकर क्लोन तैयार कर लेते हैं. ज्यादातर क्रेडिट कार्ड क्लोनिंग फ्रॉड स्किमर्स के इस्तेमाल से किए जाते हैं. स्किमर्स चुंबकीय पट्टी के माध्यम से क्रेडिट/डेबिट कार्ड की जानकारी जैसे नंबर, पिन, सीवीवी पढ़ते हैं और फिर जानकारियों की मदद से साइबर चोर खातों को खाली कर सकते हैं. 


भारत में कमजोर है एटीएम का सिस्टम
भारत का एटीएम सिस्टम तकनीकी तौर पर असुरक्षित है. खुलासा 2019 में बुल्गारिया के गिरफ्तार दो एटीएम ठगों से हुआ था. दोनों एटीएम ठगी के लिए टूरिस्ट वीजा पर भारत आते थे. उन्होंने खुलासा किया था कि भारत के एटीएम सेफ्टी फीचर अनसेफ दिखने पर तीन साल से टूरिस्ट वीजा पर आने लगे और ठगी के बाद वापस लौट जाते. उन्होंने बताया कि यूरोप में तकनीक के हिसाब से एटीम सुरक्षित है. क्लोनिंग या गड़बड़ी होने का पता चल जाता है. भारत में एटीएम के असुरक्षित होने से ठगी कर पैसे निकालना बेहद आसान है. 


एटीएम यूज करते समय बरतें सावधानी
साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने बताया कि कभी भी एटीएम कार्ड की गोपनीय जानकारियां किसी के साथ साझा ना करें. एटीम में कार्ड इस्तेमाल करने के दौरान सावधानी और सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि एटीएम कार्ड इस्तेमाल करने से पहले तसल्ली कर लें कि एटीएम में डिवाइस तो नहीं है. कार्ड डालने से पहले जांच ले कि स्किमिंग डिवाइस, कीपैड लूज तो नहीं है.


अगर हां तो एटीएम कार्ड यूज न करें. हो सकता है हिडन कैमरा लगा हो. पासवर्ड डालते समय दूसरे हाथ से ढंक कर रखें. एटीएम में आपके अलावा और भी लोगों मौजूदगी होने पर एटीएम कार्ड इस्तेमाल करने से बचें. किसी से मदद ना लें, और ना ही किसी को कार्ड दें. हो सकता है बातों में उलझा कर ठग कार्ड बदल दें. 


बैंक और 1930 नंबर पर दें जानकारी
अगर आपका कार्ड आपके पास है, फिर भी आपके बैंक खाते से पैसे निकल गए हैं, तो समझ जाइये की आपका कार्ड क्लोन हो चुका है और तुरंत शिकायत 1930 पर करें. ऐसा करने से ज्यादातर मौकों पर निकाले गए पैसे अगर बैंकिंग चैनल के होते हैं तो उसे वहीं फ्रीज कर दिया जाता है, और फिर आपको, आपका पूरा पैसा वापस मिल सकता है. लेकिन आपको इसके लिए बैंक को लिखित में शिकायत देना आवश्यक है.


90 दिन के अंदर बैंक आपके पैसों को रिकवर कर आपके खाते में डाल देगा. बैंक खाते में जरूरत के अनुसार पैसों को रखें. कभी भी डेट ऑफ बर्थ, मोबाइल नंबर के अंकों को एटीएम कार्ड का पासवर्ड ना बनायें और ना ही मोबाइल या वाट्सएप पर सेव करें. ऐसा करते हैं तो फोन के गुम होने या हैक होने पर भी साइबर अपराधी चूना लगा सकते हैं. बचाव के लिए कार्डलेस कैश विड्रॉल और टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन सुरक्षित विकल्प है. 


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