Delhi Commission for Women: हाल ही में एक नर्सिंग समाजशास्त्र की पाठ्यपुस्तक में लिखा एक गद्यांश सोशल मीडिया (Social Media) में वायरल हो रहा था, जिसमें दहेज (Dowry) के गुण और दोषों के बारे में बात की गई थी. इसे लेकर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) को पत्र लिखा है और कार्रवाई की मांग की  है. इसके साथ ही इस तरीके के मामलों में सुधार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक टास्क फोर्स बनाने का भी सुझाव दिया गया है.


लिखी गई है ये बात 
दरअसल, इसमें लेखक ने लिखा था की आकर्षक दहेज की वजह से सुंदर ना दिखने वाली लड़कियों की शादी में सहायता मिलती है. दिल्ली महिला आयोग ने इस मामले में मीडिया रिर्पोटों का संज्ञान लेते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान  को पत्र लिखा और मामले में निराशा व्यक्त करते हुए दहेज जैसी महिला द्वेषी कुप्रथा को बढ़ावा देने वाले लेखक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.


दंडात्मक कार्रवाई की मांग
स्वाति मालीवाल ने नर्सिंग छात्रों के लिए इस पाठ्यपुस्तक को मंजूरी देने में शामिल संबंधित सभी अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की भी मांग की है, उन्होंने देश में विद्या के "लिंग समावेशी" तथा "लैंगिक संवेदनशील" ना होने पर शिक्षा मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए विस्तृत सिफारिशें भी दी हैं. अपने पत्र में स्वाति मालीवाल ने ये भी कहा की ये गद्यांश जो दुर्भाग्य से नर्सिंग स्टूडेंट्स को पढ़ाया जा रहा था, वो भारत सरकार के 'बेटी बचाओ और बेटी पढाओ' के उद्देश्य को पूरी तरह विफल करता है.


मालीवाल ने इस बात की तरफ भी किया इशारा
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने अपने पत्र के माध्यम से इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ये घटना देश में हुई कोई पहली घटना नहीं थी. उन्होंने हाल ही में सीबीएसई की तरफ से दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में दिए गए स्त्री विरोधी गद्यांश की ओर भी इशारा किया. पत्र में युवा छात्रों के दिमाग पर किताबों में दहेज का महिमामंडन करने वाले ऐसे अंशों के प्रभाव के बारे में भी गंभीर चिंता व्यक्त की गई है.


टास्क फोर्स बनाने की मांग
आयोग ने गद्यांश के लेखक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि ये बेहद निराशापूर्ण है कि आज तक हमारे देश में कई क्षेत्रों में, पाठ्यपुस्तकों एवं प्रश्नपत्रों में पुरुषवाचक सर्वनामों का बेझिझक उपयोग किया जाता है. आयोग ने अपनी सिफारिशों के माध्यम से भारत सरकार से सभी पाठ्यक्रम को लैंगिक समावेशी एवं संवेदनशील बनाने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स बनाने की मांग की है. आयोग ने कहा की इस टास्क फोर्स का काम अलग-अलग क्षेत्रों को महिलाओं के दृष्टिकोण से समझना और पाठ्यक्रम में सुधार एवं सुझाव देना होना चाहिए.


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