Delhi News: दक्षिणी दिल्ली के हौज खास स्थित एएन झा पार्क (AN Jha Park) जिसे डिअर पार्क के नाम से जाना जाता है, दिल्ली के लोगों के लिए काफी खास पार्क है. इस पार्क में लोग हिरन को देखने के लिए तो आते ही थे, साथ ही यह पार्क दिल्ली वालों के लिए पसंदीदा पिकनिक स्पॉट भी बन गया है. 62 साल पहले 1960 के दशक में इस पार्क में 6 हिरण लाए गए थे, जिनकी संख्या समय के साथ बढ़ती गई. हिरनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सेंट्रल जूलॉजिकल अथॉरिटी (CJDA) द्वारा इसे मिनी जू (Mini Zoo) का दर्जा दिया गया था. आज इस पार्क में हिरणों की संख्या 650 हो गयी हैं. ये सभी एक ही वंश के हैं. लेकिन अब दिल्ली वालों को डियर पार्क में हिरन देखने को नहीं मिलेंगे.


कई हिरण बीमार तो कई जैविक बीमारियों से ग्रसित


हिरनों की बढ़ती संख्या, वेटनरी डॉक्टर के न होने और ट्रेंड स्टाफ की कमी के कारण पार्क में हिरणों की देखभाल सही तरीके से नहीं हो पा रही थी. कई हिरन बीमार हो गए हैं, और कई तो जैविक बीमारियों से ग्रसित हैं. जिसे देखते हुए डियर पार्क की मिनी जू वाली मान्यता को खत्म कर दिया गया और पार्क में रख रहे हिरण एवं अन्य जंगली जीवों को दूसरे चिड़ियाघर में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया है. इस बाबत, पर्यावरण वन एवं जलवायु मंत्रालय के अधीन केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने 08 जून को यह आदेश जारी किया था. हालांकि, हिरनों को स्थानांतरित करने की समय सीमा अभी तय नहीं कि गयी है.


IUCN की गाइडलाइन्स का पालन करना अनिवार्य


बता दें कि देश के सभी चिड़ियाघर और सफारी में हिरणों और अन्य वन्य जीवों के रख-रखाव और खानपान के लिए इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की गाइडलाइन का  पालन करना अनिवार्य है. लेकिन डियर पार्क में उन गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा था.


इनब्रीडिंग बनी बड़ी समस्या


सीजेडए के मेंबर सेक्रेटरी डॉ. संजय कुमार शुक्ला ने बताया कि डियर पार्क को जिस उद्देश्य से मिनी जू की मान्यता दी गई थी उसे वो पूरा नहीं कर पाया है. इसके अलावा रिवेल्यूशन रिपोर्ट भी नहीं दी गई है. पार्क में मौजूद सभी हिरन इनब्रीडिंग के कारण एक ही वंश के हैं. इनब्रीडिंग को रोकने के लिए पार्क का मैनेजमेंट देख रही डीडीए ने दूसरी नस्ल के डियर भी नहीं लाए.


इनब्रीडिंग से हिरनों में बढ़े आनुवंशिक रोग


इनब्रीडिंग की वजह से हिरणों में आनुवंशिक रोग तेजी से बढ़े. सीजेडए के एक दूसरे अधिकारी ने बताया की पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (यूपी) के पीएचडी स्कॉलर ममता मिश्र और नारायण यादव ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इनब्रीडिंग से पैदा होने वाले वन्य जीवों का शरीर कमजोर होता है. वजन कम होता है साथ ही रोग से लड़ने की क्षमता न के बराबर होती है. इन सब कारणों से डियर पार्क की मान्यता को खत्म कर हिरणों एवं अन्य वन्य जीवों को स्थानांतरित करने का फैसला किया गया है.


प्राकृतिक आवास में छोड़े जाएंगे हिरन


अधिकारियों के अनुसार, हिरणों को स्थानांतरित करने के बाद डियर पार्क को संरक्षित वन के रूप में रखा जाएगा. डियर पार्क की मान्यता समाप्त होने के बाद, यहां के हिरनों और जंगली जीवों को 70 और 30 प्रतिशत के अनुपात में दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान के प्राकृतिक आवासों में छोड़ा जाएगा.