Delhi Latest News: दिल्ली सरकार पर्यटन विभाग ने आज से 100 टूरिज्म हेरिटेज वॉक की शुरुआत सिविल लाइंस के म्यूटिनी मेमोरियल से की है. इसकी शुरुआत करते हुए आप सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस वॉक के जरिए हम लोगों को भारत का इतिहास, उसकी संस्कृति, खान-पान, प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी यादगार पहलुओं रूबरू कराएंगे.
दिल्ली सरकार में मंत्री और आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने 100 टूरिज्म हेरिटेज वॉक की शुरुआत करते हुए कहा, "आज से दिल्ली सरकार के पर्यटन विभाग ने '100 पर्यटन हेरिटेज वॉक' की शुरुआत की है. इसके तहत हम प्रशिक्षित गाइड और इतिहासकारों के साथ लोगों को दिल्ली के गुमनाम स्मारकों की सैर कराएंगे."
सिविल लाइंस से हुई वॉक की शुरुआत
उन्होंने कहा, "इसकी शुरुआत सिविल लाइंस स्थित म्यूटिनी मेमोरियल से हुई है, जिसे अंग्रेजों ने आजादी की पहली लड़ाई में मारे गए ब्रिटिश सैनिकों की याद में बनवाया था, लेकिन देश की आजादी के बाद हम इसे उन भारतीयों के लिए याद करते हैं, जिन्होंने उस लड़ाई में अपनी जान गंवाई."
दिल्ली पर्यटन विभाग 100 टूरिज्म हेरिटेज वॉक के तहत लगभग रोज एक हेरिटेज वॉक होगी. इस वॉक के दौरान हम लोगों दिल्ली के जाने-माने या गुमनाम मोनूमेंटस पर ले जाएंगे. उनके साथ एक टूरिस्ट गाइड और इतिहासकार जो उसके बारे में लोगों को बताएंगे.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अजा हम लोग सिविल लाइंस स्थित म्यूटिनी मेमोरियल में आए हैं. यह अंग्रेजों के खिलाफ हुए स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है. इस संग्राम में काफी संख्या में अंग्रेज अफसर मारे गए थे. अंग्रेज पहले उनकी याद में इसे मनाते थे. मगर आजादी के बाद इस स्मारक को उन स्तंत्रता सेनानियों की याद में रूप्ले में जान ते हैं किन हम लोग इसे अपने स्वतंत्रता सेनानियों के याद मानते हैं, जिनमें उन्होंने हिस्सा लिया था.
'1857 के विद्रोह का प्रतीक'
दिल्ली में 100 हेरिटेज वॉक उत्सव का मकसद इसके प्रतिभागियों को शहर की विरासत, कला, संस्कृति और जीवनशैली के करीब लाना है. हेरिटेज वॉक “भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ाई (अजीतगढ़)” नामक वॉक के साथ शुरू होगा और 31 दिसंबर तक चलेगा. इस वॉक में कई इतिहासकारों और कहानीकारों को शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक कार्यक्रम में 25 सीटें होंगी. इस योजना के तहत अक्टूबर में 23, नवंबर में 40 और दिसंबर में 37 हेरिटेज वॉक आयोजित करने की योजना है.
अंग्रेजों ने अपने शहीद सैनिकों के सम्मान में यह स्मारक बनवाया था, लेकिन हमारे लिए यह सिपाही विद्रोह और 1857 के विद्रोह का प्रतीक है. यह स्मारक स्वतंत्रता के लिए हमारी लड़ाई के शुरुआती बिंदु का प्रतिनिधित्व करता है.
क्या 2025 में भी कांग्रेस के लिए दिल्ली की राह मुश्किल? AAP के तेवर ने बढ़ाई टेंशन