नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने का मुद्दा गरमाया हुआ है. बीते कुछ दिनों से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एलजी विजय सक्सेना के बीच इसी मुद्दे पर काफी तकरार भी देखने को मिली है. इसी कड़ी में रविवार को आम आदमी पार्टी (AAP) ने त्यागराज स्टेडियम में विदेशी दौरा करके आए 1500 सरकारी अधिकारियों के साथ एक कार्यक्रम रखा जिसमें दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन के सदस्यों ने कई सवाल पूछे.


उन्होंने पूछा कि ट्रेनिंग के नाम पर विदेशी दौरों पर लगभग 1400 प्रिंसिपल/HOS भेजे गए. इन सबको विदेशों में यदि उच्च शिक्षा स्तर ट्रेनिंग ली थी तो उनके द्वारा अपने स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए गए. इसका कोई एनालिसिस नहीं किया गया? सरकार द्वारा विदेशी शिक्षा संस्थानों का चयन क्यों किया गया, जबकि वहां का वातावरण और सरकार पॉलिसी हमारे देश से मेल नहीं खाती? शिक्षा में सालों से बेहतरीन प्रदर्शन देने वाले अपने देश के ही अन्य राज्यों जैसे केरल पर ध्यान केंद्रित क्यों नहीं किया गया? सरकार द्वारा विदेशी दौरों का कॉस्ट एनालिसिस (Cost Analysis) कहां है? ये विदेशी दौरे कितने इफेक्टिव हैं?



अधिकारियों से जवाब सुनने के बाद दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि हमारा मानना है जो पैसा विदेशी दौरों पर खर्च किया गया वो पूर्णतया टैक्स पेयर्स के पैसों का दुरुपयोग है. क्योंकि सरकारी स्कूल बुनियादी सुविधा देने में असमर्थ है. स्कूलों में बच्चों और टीचर्स की सुरक्षा से सम्बंधित खिलवाड़ हो रहा है. हाल ही लगातार कई स्कूलों में टीचर्स पर घातक हमले भी हुए हैं. सरकार विदेशी दौरों के नाम पर पैसों की बर्बादी को तुरंत रोके और उस पैसे को सरकारी स्कूलों में बच्चों पर खर्च करे तो बेहतर होगा. कागजों में 1050 सरकारी स्कूल हैं तो आज तक 1500 प्रिंसिपल/ HOS कैसे भेजे जाने चाहिए थे. लेकिन ऊपर से भेजे गए ये 500 लोग कौन हैं? इनकी उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है.