Delhi News: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर 15 सितंबर को ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी समस्याओं के मुद्दे को लेकर 360 गांवों के खाप नेताओं ने महापंचायत करने का फैसला किया है. पालम 360 खाप के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने शुक्रवार (30 अगस्त) को इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उनकी अध्यक्षता में बवाना गांव में हुई बैठक में अलग-अलग गांवों के प्रधानों ने जंतर-मंतर पर महापंचायत करने का फैसला लिया है.


सुरेंद्र सोलंकी ने बताया कि गांवों के प्रतिनिधियों और प्रधानों ने पिछले साल की तुलना में अधिक प्रभावी तरीके से महापंचायत करने का फैसला किया है, ताकि शहर के ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े ग्यारह प्रमुख मुद्दों को उठाया जा सके. उन्होंने कहा कि पिछले साल उनकी महापंचायत के बाद सरकार और उपराज्यपाल ने तीन से चार मुद्दों पर विचार किया था, लेकिन अभी तक बाकी मुद्दों पर कुछ नहीं किया गया है.


सुरेंद्र सोलंकी ने शहर में गांवों के निवासियों और मूल निवासियों को संदेश देते हुए कहा कि वह महापंचायत में शामिल होकर आवाज उठाएं और उन ज्वलंत मुद्दों को उठाएं जो लंबे समय से शहर की ग्रामीण आबादी को प्रभावित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में ऐसा कानून लागू है जो पूरे देश में कहीं नहीं है. दिल्ली भूमि सुधार (डीएलआर) अधिनियम में संशोधन की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि यह पुराना और अप्रचलित हो चुका है.


खाप पंचायत ने की ये मांग
उनका दावा है कि शहर के गांवों की जमीन बहुत कम कीमत पर अधिग्रहित की गई है और बदले में गांवों को ठीक से बुनियादी नागरिक सुविधाएं भी नहीं दी गई हैं, जिससे गांव के निवासी दयनीय स्थिति में रहने को मजबूर हैं. खाप प्रमुख के अनुसार, प्रमुख मांगों में भूमि का म्यूटेशन शुरू करना, मास्टर प्लान 2041 को लागू करना, धारा 74/4 के तहत गरीब किसानों को जमीन और कृषि भूमि का आवंटन करना शामिल है, जो बहुत लंबे समय से लंबित है, जिससे भूमिहीन किसानों का जीवन प्रभावित हो रहा है.


इन मुद्दों में दिल्ली सरकार द्वारा अधिग्रहित कृषि भूमि के बदले वैकल्पिक जमीनों का आवंटन और शहर के गांवों में बुनियादी ढांचे के विकास की कमी के कारण कई अन्य नागरिक समस्याएं शामिल हैं, जिससे शहर का ग्रामीण क्षेत्र गंभीर संकट में फंस गया है. खाप नेताओं ने गांवों में चल रही सीलिंग को रोकने और स्वामित्व योजना के तहत मालिकाना हक देने की भी मांग की है. 


सोलंकी ने कहा कि शहरीकरण के नाम पर ये गांव अब गांव नहीं रह गए हैं और विकास कार्यों से दूर हैं, जिससे इनकी हालत झुग्गी-झोपड़ियों जैसी हो गई है. सोलंकी ने शहर में जल निकायों की उपेक्षा का मुद्दा भी उठाया और साहिबी नदी का जिक्र करते हुए कहा कि जो नदी कभी छोटी नदी हुआ करती थी, वह अब नाले में तब्दील हो गई है और इसकी स्थिति सुधारने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है.



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