Delhi Politics: PAC के बैठक में शामिल होने के लिए CM आवास पर पहुंचे राघव चड्ढा, इन मुद्दों पर हो सकता है फैसला
Delhi: आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति PAC की बैठक में शामिल होने के लिए आप नेता राघव चड्ढा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर पहुंचे.
Delhi News: आम आदमी पार्टी (AAP) ने बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक से पहले आज पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) की बैठक बुलाई है. ऐसे में इस बैठक में शामिल होने के लिए आप नेता राघव चड्ढा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के आवास पर पहुंचे हैं. वहीं पंजाब के सीएम भगवंत मान (Bhagwant Mann) भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीएसी बैठक में शामिल होंगे.
आप ने PAC की बैठक बुलाई
मिली जानकारी के अनुसार बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक में हिस्सा लेने का फैसला इस बैठक के बाद लिए जाने की संभावना है. साथ ही कांग्रेस केंद्र अध्यादेश के खिलाफ आप का साथ देगी इसका औपचारिक ऐलान भी बैठक के बाद हो सकता है. वहीं इससे पहले कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के केंद्र के अध्यादेश वाले बयान पर नेता राघव चड्ढा ने कहा था कि, कांग्रेस ने दिल्ली अध्यादेश का स्पष्ट विरोध करने की घोषणा की.
क्या विपक्षी बैठक में शामिल होगी AAP
दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी का चुनावी रथ रोकने के लिए बेंगलुरू में 17-18 जुलाई को विपक्षी एकता की बैठक आयोजित की जाएगी. जिसमें कई विपक्षी पार्टियां शामिल होंगी, लेकिन अभी तक इस बैठक को लेकर आम आदमी पार्टी का रुख साफ नहीं हुआ है. इस पीएसी की बैठक में इसपर फैसला हो सकता है कि, पार्टी बैठक में शामिल होगी या नहीं. बता दें कि, दिल्ली में आए केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस के रुख को देखते हुए आम आदमी पार्टी में नाराजगी थी. ऐसी बातें सामने आई कि केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस द्वारा रुख स्पष्ट न किए जाने के चलते केजरीवाल की पार्टी इस बैठक से दूरी बना सकती है.
जानें क्या है मामला?
केंद्र सरकार ने बीते महीने दानिक्स कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित करने के उद्देश्य से एक अध्यादेश जारी किया था. दिल्ली की आप सरकार इसका विरोध कर रही है और इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस अध्यादेश के आने से पहले दिल्ली में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था.