Delhi Jal Board Scam: हरकत में आई ACB तो नप गए घोटाले के आरोपी जेडी, जानें उन तक कैसे पहुंचे क्राइम ब्रांच के हाथ
Delhi Jal Board: डीजेबी के नरेश सिंह पर आरोप है कि वो ऑरम और फ्रेश पे के निदेशकों से लाखों रुपए की रिश्वत ले रहे थे. इसके एवज में उन्होंने ऑरम और नए वेतन के साथ बिल के भुगतान का मिलान नहीं किया.
Delhi Jal Board Scam News: दिल्ली सरकार की सतर्कता एजेंसी एसीबी (ACB) लंबे अरसे बाद एक बार फिर हरकत में नजर आई. इस बार दिल्ली भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) में बिलों की वसूली घोटाले के आरोपी संयुक्त निदेशक नरेश सिंह (DJB Joint director Naresh singh) को गिरफ्तार किया है. इस मामले में तीन लोग पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं. डीजेबी (DJB Scam) में 20 करोड़ रुपए की गड़बड़ी से जुड़े मामले में ज्वाइंट डायरेक्टर नरेश सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में दिसंबर में एफआईआर दर्ज हुई थी. इससे पहले फ्रेश पे और ऑरम के कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है.
एसीबी के मुताबिक एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली जल बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर नरेश सिंह को 20 करोड़ के डीजेबी ई-कियोस्क पानी बिल घोटाले में गिरफ्तार किया है. आरोप है कि डीजेबी के संयुक्त निदेशक नरेश सिंह ऑरम और फ्रेश पे के निदेशकों से लाखों रुपए की रिश्वत ले रहे थे. उन्होंने ऑरम और नए वेतन के साथ बिल के भुगतान का मिलान नहीं किया था. आरोप ये भी है कि 2015 में जब पहली बार ठेका बढ़ाया गया था तब से हर साल 2020 तक ई-कियोस्क से बिल भुगतान की वसूली के ठेके को बढ़ाने में उन्होंने फ्रेश पे की मदद की. इस बात की जांच एसीबी कर रही थी. जांच के दौरान एसीबी को नरेश सिंह के खिलाफ सबूत भी मिले. सबूत मिलने के बाद एसीबी ने उन्हें गिरफ्तार किया है.
बता दें कि इससे पहले एंटी करप्शन ब्रांच ने दिल्ली जल बोर्ड में 20 करोड़ के घोटाले मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार किया था. इसमें ऑरम ई पेमेंट का मालिक और डायरेक्टर राजेंद्रन नायर, सीएफओ गोपी कुमार केडिया और फ्रेश पे के डायरेक्टर डॉ. अभिलाष पिल्लई शामिल थे.
ये है पूरा मामला
दरअसल, दिल्ली की एसीबी को मिली शिकायत के मुताबिक दिल्ली जल बोर्ड ने कॉर्पोरेशन बैंक को अपने उपभोक्ताओं के बिल कलेक्शन की जिम्मेदारी सौंपी थी. इसके लिए बैंक से साल 2012 में 3 साल के लिए अनुबंध किया. बाद में इसे साल 2016, फिर 2017 और 2019 तक के लिए बढ़ा दिया गया. उपभोक्ताओं के कैश और चेक के लिए जल बोर्ड के ही स्थानीय दफ्तरों में ई-कियोस्क मशीनें लगाई गईं. ताकि उपभोक्ता अपने-अपने पानी के बिलों का भुगतान जमा करा सकें. इस प्रक्रिया में डीजेबी के अधिकारी और कंपनियों के मालिकों ने एक योजना के तहत 20 करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया. मामला प्रकाश में आने के बाद पहले तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया. अब डीजेबी के जेडी नरेश सिंह को भी एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया है.
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