Ganesh Chaturthi 2023: दिल्ली की नदियों-तालाबों विसर्जित कीं मूर्तियां, तो देना पड़ेगा 50 हजार का जुर्माना, गाइडलाइंस जारी
Delhi News: NMCG के 2019 और 2021 में जारी आदेश के अनुसार, गंगा और उसकी सहायक नदियों में मूर्ति विसर्जन करने पर 50 हजार रुपये का पर्यावरण क्षति शुल्क लगाया जाएगा.
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Delhi News: सावन महीने की पूर्णिमा को पड़ने वाले रक्षा बंधन के बाद से ही हिंदुओं के त्योहारी सीजन की शुरुआत हो जाती है. रक्षा बंधन के बाद, जन्माष्टमी, विश्वकर्मा पूजा, तीज, गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi), दशहरा (Dussehra), दीवाली (Diwali) और फिर छठ (Chhath) महापर्व से साल के त्योहार का अंत होता है. इस दौरान, विश्वकर्मा पूजा, गणेश चतुर्थी और दशहरा ऐसे त्योहार हैं, जिनमें मूर्तियों की स्थापना कर पूजा की जाती है. फिर पूजा सम्पन्न होने के बाद उनका विसर्जन किया जाता है. सामान्यतः इन मूर्तियों का नदियों, तालाबों या जोहड़ों में विसर्जन होता आया है, लेकिन अगर अब आपने ऐसा किया तो आप पर 50 हजार का जुर्माना लग सकता है.
दरअसल, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने इसके लिए गाइडलाइंस जारी की है. इन गईडलाइन्स में DPCC ने स्पष्ट किया है कि नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा (NMCG) के 2019 और 2021 में जारी आदेश के अनुसार, गंगा और उसकी सहायक नदियों में मूर्ति विसर्जन करने पर 50 हजार रुपये का पर्यावरण क्षति शुल्क लगाया जाएगा. वहीं, NMCG के एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के सेक्शन पांच के अनुसार नदियों को प्रदूषित करने पर एक लाख रुपये जुर्माना, जेल या दोनों की सजा हो सकती है. डीपीसीसी ने मूर्तिकारों और आम लोगों के लिए विसर्जन की गाइडलाइंस जारी की है.
इस कारण यमुना में मूर्ति विसर्जित करने पर लगाई गई रोक
गौरतलब है कि नदियों में मूर्ति विसर्जित करने पर मर्करी, जिंक ऑक्साईड, क्रोमियम, लेड और कैडमियम जैसे कई तरह के केमिकल जिनका इस्तेमाल मूर्ति बनाने में किया जाता है, वो नदी के पानी मे घुल जाते हैं, जो जल-जीवों के लिए के लिए काफी हानिकारक होता है. वहीं जब ऐसे पानी में रहने वाली मछलियों को लोग खाते हैं, तो उस कारण वे कई बार बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. DPCC ने नदी-तालाबों में मूर्ति विसर्जन से होने वाले प्रदूषण और उससे प्रभावित होने वाले जल-जीवों को देखते हुए मूर्तिकार, संबंधित विभाग, आम लोगों और आरडब्ल्यूए के लिए दिशा निर्देश जारी कर ऐसा करने से बचने की सलाह दी है.
मूर्तिकारों को दिए गए यह निर्देश
DPCC ने मूर्तिकारों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी और बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों का इस्तेमाल करें. वहीं उनकी सजावट में प्राकृतिक रंगों और बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं का उपयोग करें. इसके अलावा मूर्तिकारों को POP की मूर्तियों को न बनाने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि तालाबों, नदियों, जोहड़ों और झीलों में मूर्तियां विसर्जित नहीं की जा सकती हैं. वहीं DPCC ने सिविक एजेंसियों से कहा है कि मूर्ति विसर्जन के लिए अस्थाई तालाबों की व्यवस्था की जाए, जबकि दिल्ली नगर निगम को ऐसे मूर्तिकारों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जो बिना लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन के मूर्तियां बेच रहे हैं.
सम्बंधित सरकारी विभागों के लिए जारी किए ये दिशा-निर्देश
इसके अलावा एमसीडी से यह भी कहा गया है कि वो और दिल्ली पुलिस मिल कर उन वाहनों की जांच कर उन्हें रोकें जो मुर्तियों के विसर्जन के लिए यमुना कि तरफ जा रहे हों. वहीं, सम्बंधित डीएम को अपने क्षेत्र में ऐसा करने वालों पर जुर्माना लगाने के लिए टीमों को बनाने के निर्देश दिया गया है. इसके अलावा एनजीओ की भी मदद लेने को कहा गया है, ताकि लोगों को जागरूक बना कर उन्हें ऐसा करने से रोका जा सके. वहीं, मूर्तियों के विसर्जन के बाद यमुना और तालाबों के पानी के प्रदूषण की भी जांच करने को कहा गया है.
DPCC ने यमुना और तालाबों को प्रदूषण से बचाने के लिए लोगों से अपील की है कि वे गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा आदि में POP की मूर्तियों का विसर्जन यमुना नदी, झीलों, जोहड़ों और तालाबों में न करें. जहां तक संभव हो, टब या बाल्टी के पानी में मूर्ति विसर्जित करें और विसर्जन से पहले पूजा के सामान जैसे फूल, सजावटी सामान आदि हटा लें.
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