Delhi News: दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में छह साल की बच्ची के ब्रेन ट्यूमर का सफल आपरेशन वहां के डॉक्टरों की टीम में उसे होश रखते हुए करने में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. इतना ही नहीं आपरेशन के समय मासूम बच्ची से डॉक्टरों ने उसके टूटे दांतों के बारे में पूछा, तो बच्ची ने कहा कि उसके दांत चूहे ले गए. अब आप सोच रहे होंगे कि ये कौन सी खबर है? जी हां, खबर ये नहीं है. डॉक्टरों द्वारा बच्ची से पूछे गए इस सवाल के दौरान आसपास के दृश्यों के बारे में आप जानेंगे तो निश्चित ही अवाक रह जाएंगे. दरअसल डॉक्टरों ने बच्ची से यह सवाल उस समय पूछा जब उसकी ओपन ब्रेन सर्जरी कर ट्यूमर निकाला जा रहा था. हैरानी की बात यह है कि उस वक्त बच्ची पूरी तरह से चेतना यानी होश में थी.


दुनिया में पहली बार हुआ बच्ची को होश में रख उसके ब्रेन की सर्जरी 


दिल्ली एम्स के डॉक्टरों द्वारा इस चमत्कार को अंजाम देना उसके गौरवपूर्ण इतिहास में एक नया चैप्टर जोड़ दिया है. एम्स में प्रयागराज की रहने वाली एक 5 साल 10 महीने की बच्ची जो ब्रेन ट्यूमर की परेशानी से जूझ रही थी, की चेतन अवस्था में ऑपरेशन कर डॉक्टरों ने ब्रेन से ट्यूमर निकाला. जब टीम में शामिल डॉक्टर बच्ची की खोपड़ी को खोलकर ब्रेन में औजार घुसाकर सर्जरी कर रहे थे, उस समय बच्ची हंस रही थी और डॉक्टरों से बातें कर रही थी. बच्ची के इस ऐतिहासिक सर्जरी ने विश्वस्तरीय चिकित्सा सेवा के लिए दुनियाभर में मशहूर एम्स के नाम एक और शानदार उपलब्धि को जोड़ दिया है. बच्ची की खोपड़ी खोलकर की गई यह सर्जरी दुनिया की पहली सफल सर्जरी है.


 






अब तक वयस्क मरीजों की होती थी ऐसी सर्जरी


एम्स की मीडिया चीफ डा. रीमा दादा ने दावा किया कि लिटरेचर रिव्यू में ऐसी सर्जरी पूरी दुनिया में कहीं नहीं हुई. इसे एम्स में पहली बार किया गया है. एम्स के डॉक्टरों ने पहली बार इस चमत्कार को करने में कमायाबी पाई है. जिसमें मरीज इतनी छोटी उम्र की है और कॉन्शियस सेडेशन तकनीक यानि जागती हुई हालत में इस सर्जरी को सफलतापूर्वक किया गया है. अब तक वयस्क मरीजों की ही ऐसी सर्जरी की गई है.


सर्जरी से पहले जगा दिया गया था बच्ची को


एम्स एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. मिहिर पांड्या ने बताया कि जब बच्ची को ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया तो उसकी स्कल यानि खोपड़ी में दोनों तरफ 16 इंजेक्शन लगाए गए थे. उससे पहले बच्ची को ड्रॉप दी गई थी ताकि उसे इंजेक्शन का दर्द कम महसूस हो. लेकिन इस सर्जरी में जब खोपड़ी खोलकर ब्रेन के पास पहुंचते हैं तो मरीज को पूरी तरह जगा दिया जाता है. इसलिए बच्ची को भी पूरी तरह उठा दिया गया. उससे लगातार बातें की गईं, उसे फोटो और वीडियो दिखाई गईं, उससे बुलवाया गया और हाथ-पैर उठाने के लिए कहा गया.


मरीज को इसलिए रखा जाता है होश में


एम्स में डिपार्टमेंट आफ न्यूरो सर्जरी के चीफ डॉ. दीपक गुप्ता के अनुसार इस सर्जरी में जगाए रखने का उद्धेश्य यह होता है कि सर्जरी के दौरान ही मरीज की मेमोरी, स्पीच और मोटर फंक्शन की जांच की जा सके. ताकि सर्जरी के बाद उसके ब्रेन को कोई नुकसान न हो. जबकि पूरी तरह एनेस्थीसिया वाली सर्जरी में इन तीनों में गड़बड़ होने का पता बाद में चलता है.


बच्ची के जज्बे को देख डॉक्टर हुए कायल


बच्ची को लेफ्ट पेरिसिल्वियन इंट्राक्सियल ब्रेन ट्यूमर था. इस सफल सर्जरी के बाद उसने साबित कर दिया कि उम्र बस एक नंबर होता है. बच्ची ने पूरी सर्जरी के दौरान बेहतर तरीके से सहयोग किया और सर्जरी के बाद भी खुश और मुस्कुराती रही. सर्जरी के दौरान डॉक्टर लगातार उससे बातें कर रहे थे और वह लगातार रिस्पॉन्ड करती रही. डॉक्टरों ने जब उससे हाथ उठाने के लिए कहा तो उसने हाथ उठाया. यह बीमारी बच्चों में काफी रेयर होती है.


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