Delhi AIIMS Cyber Security: हालिया साइबर अटैक को देखते हुए दिल्ली स्थित ऑल इंडिया आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने अपने ई-हॉस्पिटल नेटवर्क को और मजबूत करने का फैसला लिया है. दिल्ली एम्स की ओर से जारी ताजा बयान में कहा गया है कि संस्थान अब सिर्फ अपने सुरक्षित नेटवर्क के माध्यम से ही इंटरनेट का इस्तेमाल करेगा, जिसे संस्थान के कंप्यूटर विभाग की ओर से संचालित किया जाएगा. इस संबंध में एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर एम श्रीनिवास (Dr M Srinivas) की से जारी इंटरनल मैसेज में कहा है कि संस्थान के इंटरनेट का किसी अन्य काम के लिए न तो इस्तेमाल होगा और न ही किसी और को इस्तेमाल करने दिया जाएगा.
इस संदेश में कहा गया है कि खुली इंटरनेट सेवाएं अनुसंधान, शैक्षणिक और प्रशासनिक उद्देश्य के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है, जो एमटीएनएल से उचित किराए पर लिया जाएगा. साथ ही संस्थान खुद का डेटाबेस भी बनाएगा. इसे इस्तेमाल करने वाले विभागों की ओर से इसके रख रखाव और सुरक्षा को अपने अनुदान से सहयोग कर सुनिश्चित करना पड़ेगा.
एम्स तैयार करेगा अपने डेटाबेस
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस संदेश में कहा गया है कि संस्थान का आईटी विभाग ई-हॉस्पिटल नेटवर्क की सुरक्षा और रखरखाव के लिए लिए पूरी तरह जिम्मेदार होगा. साथ ही संस्थान के सभी आईटी उपकरणों का डेटाबेस मेंटेन करना होगा. आदेश में कहा गया है कि उपयोगकर्ता विभागों द्वारा मांगी गई खुली इंटरनेट सेवाओं के लिए, इंजीनियरिंग सेवा विभाग पावर प्वाइंट आवश्यकताओं की सुविधा प्रदान करेगा और इंटरनेट केबल बिछाने के लिए एमटीएनएल सेवा प्रदाताओं के साथ समन्वय करेगा और डेटाबेस भी तैयार करेगा.
एम्स के नेटर्क का किसी को इस्तेमाल करने की नहीं होगी इजाजत
इस आदेश में कहा गया है कि खुले इंटरनेट नेटवर्क और उनसे जुड़े उपकरणों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित उपयोगकर्ता विभागों की होगी. हर विभाग को खुले इंटरनेट नेटवर्क से जुड़ने के लिए अधिकृत सभी उपयोगकर्ताओं और उपकरणों का एक डेटाबेस बनाना होगा. एम्स की इंटरनेट से संबंधित नई व्यवस्था के मुताबिक किसी भी हालत में कंप्यूटर या डिवाइस का एम्स के लैन/इंट्रानेट और खुले इंटरनेट के साथ एक साथ (वायर्ड या वायरलेस) कनेक्शन नहीं हो सकता है. इंटरनेट का उपयोग करने वाले सभी विभागों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी व्यक्तिगत वाई-फाई राउटर के जरिए एम्स के लोकल नेटवर्क से जुड़ा नहीं है और कोई भी अनाधिकृत कंप्यूटर या गैजेट एम्स के लोकल नेटवर्क से नहीं जुड़े हैं.
AIIMS का सर्वर हैक कर हैकरों ने मांगी थी 200 करोड़ रुपए की फिरौती
गौरतलब है कि पिछले दिनों कुछ विदेशी हैकरों ने दिल्ली AIIMS का सर्वर हैक कर लिया था. इसके बाद हैकरों ने चुराए गए डाटा के बदले 200 करोड़ रुपए की मांग की थी. इसके साथ ही हैकर्स ने पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी में देने के लिए कहा था. इस पूरे मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने की ओर से कहा गया कि AIIMS के सर्वर पर चीनी हैकर्स ने अटैक किया था. मंत्रालय ने बताया कि AIIMS के 100 में से 5 सर्वरों हैक कर लिया गया था. उन्होंने आगे जानकारी दी कि अब इन सभी का डेटा वापस हासिल कर लिया गया है.
हैक होने की ऐसे मिली जानकारी
दरअसल, घटना वाले दिन सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर इमरजेंसी लैब के कंप्यूटर सेंटर से मरीजों की रिपोर्ट नहीं मिलने की शिकायत आई. इसके बाद बिलिंग सेंटर और दूसरे विभागों से भी कुछ इसी तरह की सूचना मिली. मामले की जब NIC की टीम ने जांच की तो पता चला कि मुख्य सर्वर पर कोई भी फाइलें नहीं खुल रही हैं. इसके बाद जब टीम ने बैकअप सिस्टम की मदद से फाइलों को रिस्टोर करने का प्रयास किया तो पता चला कि इसमें भी हैकर सेंध लग चुके हैं. इसके बाद जब जांच हुई तो पता चला कि संस्थान की फाइलों को क्लाउड में जिस एक्सटेंशन यानी ई पते पर सेव किया जाता है. उसे भी बदल दिया गया है. इसके बाद साइबर हमले की बात पूरी तरह से कंफर्म हो गई. इसके बाद हालात से निपटने के लिए भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-in) की भी मदद ली गई.