Delhi AIIMS Master Plan: देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में रहने वालों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. खबर यह है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Delhi AIIMS) में आईसीयू बेड (ICU Beds) की संख्या बड़ी संख्या में बढ़ने वाली है. अगर इस योजना पर तेजी से काम हुआ तो दिल्ली सहित यहां पर इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों व उनके तीमारदारों को इलाज के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. न ही पहले की तरह मरीजों को आईसीयू बेड (ICU Beds) के लिए जद्दोजहद करनी होगी. खास बात यह है कि एम्स के मास्टर प्लान में अलग हैलीपेड (helipad facility) बनाने की योजना भी शामिल है.


दरअसल, एम्स निदेशक एम श्रीनिवास ने 28 फरवरी तक प्रशासनिक अधिकारियों को इस मामले में प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है. ताजा प्लान के मुताबिक एम्स में आईसीयू और एचडीयू बिस्तरों की संख्या जरूरत के हिसाब से 10 प्रतिशत कम है. एम्स मास्टर प्लान पर अमल के बाद यह संख्या बढ़कर 30 प्रतिशत से ज्यादा हो सकती है. इतना ही नहीं, मरीजों को आईसीयू व एचडीयू बेड उपलब्ध करवाने के लिए मौजूदा वार्ड बेड को बदला जा सकता है. बताया जा रहा है कि यह पहल एम्स में क्रिटिकल केयर क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित होगा. 


सभी वार्डों में बनेंगे आईसीयू-एचडीयू वार्ड: एम्स डायरेक्टर 


फिलहाल, एम्स निदेशक डॉक्टर एम श्रीनिवास ने आदेश दिया है कि सभी विभाग अपने वार्डों के भीतर छोटा आईसीयू और एचडीयू वार्ड बनाएंगे. जरूरत के हिसाब से टास्क शिफ्टिंग और टास्क शेयरिंग सिस्टम को लागू कर मौजूदा मानव संसाधनों का कुशलतम  उपयोग किया जाएगा. ऐसा करने से क्रिटिकल केयर में प्रशिक्षित मानव संसाधनों के पूल का विस्तार करने में भी मदद मिलेगी. इस योजना से युवाओं के लिए रोजगार सृजन के अवसर भी बढ़ेंगे.चालू वित्तीय वर्ष यानी 2023-24 के लिए विभाग के बजट में इसे प्रोजेक्ट करके आवश्यकता के अनुसार मौजूदा चिकित्सा उपकरणों का अधिकतम उपयोग और नए चिकित्सा उपकरणों की खरीद की जाएगी. ऑक्सीजन बेड की संख्या बढ़ाई जाएगी. अतिरिक्त ऑक्सीजन, वैक्यूम, एयर प्वाइंट्स का भी विस्तार किया जाएगा.


ICU बेडों की संख्या बढ़कर होगी 300


बता दें कि दिल्ली एम्स की सबसे बड़ी समस्या इमरजेंसी बेड की कमी है. ताजा मास्टर प्लान के तहत 300 बेड का इमरजेंसी ब्लाक बनेगा, जिससे एम्स की इमरजेंसी विभाग में बेडों की संख्या लगभग ढाई गुना तक बढ़ जाएगी. इससे इमरजेंसी में पहुंचने वाले गंभीर मरीजों का इलाज जल्द हो पाएगा. आने वाले समय में मरीजों को इलाज के लिए लंबे समय तक का इंतजार नहीं करना होगा. वर्तमान में इमरजेंसी में प्रतिदिन 250 से 300 मरीज देखे जाते हैं, जबकि इमरजेंसी विभाग के लिए करीब 120 बेड हैं. एक से 13 जनवरी के बीच यहां की इमरजेंसी में 3,379 मरीज देखे गए. इमरजेंसी में ज्यादातर दूसरे अस्पतालों से रेफर गंभीर मरीज पहुंचते हैं जिन्हें जल्द अस्पताल में भर्ती करना जरूरी होता है. बेड न मिलने से मरीज इमरजेंसी के बाहर स्ट्रेचर पर घंटों पड़े रहते हैं. 


9053 करोड़ की लागत से एम्स का होगा कायाकल्प


बता दें कि दिल्ली एम्स मास्टर प्लान के तहत 9053 करोड़ रुपए की लागत से एम्स का कायाकल्प होना है. सितंबर 2022 में ही पर्यावरण विभाग ने इसकी स्वीकृति दे दी थी. बहुत जल्द ताजा प्लान पर काम शुरू होने वाला है. एम्स में 3000 बेड बढ़ाए जाएंगे. 50 नए आपरेशन थियेटर बनेंगे. मरीजों के इलाज के लिए 7 क्लीनिकल टावर बनेंगे. इमरजेंसी ब्लाक के पास एंबुलेंस के लिए विशेष कारिडोर बनेगा. कॉरिडोर रेड जोन से जुड़ा होगा. ताकि एंबुलेंस आसानी से रेड जोन के पास पहुंच सकें. मास्टर प्लान के तहत एम्स में हैलीपैड बनाने की भी योजना है. यानी हैलीपैड तैयार होने के बाद दूसरे राज्यों से लोग सीधे हैलीकॉप्टर से भी एम्स कैंपस में उपचार के लिए पहुंच पाएंगे.


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