Delhi AIIMS News: अंगदान (Organ Donation) करके दूसरों को जीवन प्रदान करने को सबसे बड़ा परोपकार माना गया है और इसी कड़ी में समाज के लिए नजीर बनते हुए मासूम माहिरा और मानसी के अंगदान से दूसरे जरूरतमंद लोगों को नई जिंदगी मिली है. 6 नवंबर को हरियाणा (Haryana) के मेवात (Mewat) की रहने वाली 18 महीने की माहिरा अपने घर के बालकनी से गिरकर बुरी तरह घायल हो गई थी. इसके बाद उसे दिल्ली के एम्स में उपचार के लिए लाया गया. इलाज के दौरान डॉक्टरों द्वारा उसके ब्रेन डेड (Brain Dead) होने की सूचना अभिभावकों को दी गई. इसके बाद उसके अभिभावक ने माहिरा के अंगदान का फैसला लिया. माहिरा अंगदान करने वाली दिल्ली एनसीआर (Delhi-NCR) की दूसरी सबसे छोटी डोनर है. इससे पहले 16 महीने के रिशांत का अंगदान हो चुका है.


दो मासूमों का अंगदान
वहीं 2 नवंबर को यूपी (Uttar Pradesh) के मथुरा (Mathura) की रहने वाली 8 साल की मासूम मानसी भी एक दुर्घटना में घायल हो गई थी. मानसी को उपचार के लिए एम्स लाया गया. डॉक्टरों द्वारा बच्ची के ब्रेन डेड की सूचना मिलने के बाद इनके परिवार ने भी अंगदान का साहसिक फैसला लिया. इस फैसले के बाद गांव के प्रधान ने परिवार का भावुकता के साथ विशेष आभार जताया. माहिरा और मानसी के निधन के बाद परिवार में बेहद गमगीन माहौल है, लेकिन परिवार में इस बात को लेकर एक तरफ संतोष भी है कि अंगदान से दूसरों के जीवन को बचाया जा सकेगा.


पिता ने क्या कहा
मानसी के पिता रमाकांत और माहिरा के पिता जमशेद ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान कहा कि बच्ची के निधन से परिवार में एक खालीपन हो गया है. डॉक्टरों ने बच्ची को बचाने का पूरा प्रयास किया लेकिन नहीं बचाया जा सका, इसका दुख जीवन भर रहेगा लेकिन इस बात का संतोष जरूर है कि अंगदान से और जरूरतमंद लोगों को एक नई जिंदगी मिलेगी. इसके अलावा माहिरा के पिता ने लोगों से अपील भी की है कि, अंगदान से कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है, समाज हित को देखते हुए परिस्थितियों के अनुसार लोगों को अंगदान जरूर करना चाहिए.


दूसरो को मिली जिंदगी
माहिरा के लीवर को आईएलबीएस अस्पताल में 6 साल के बच्चे में ट्रांसप्लांट किया गया है. वहीं दोनों किडनी एम्स में एडमिट 17 साल के मरीज के उपचार में लगाया गया है. इसके अलावा माहिरा की दोनों कार्निया और हार्ट वाल्व को सुरक्षित रखा गया है. वहीं मानसी के किडनी और लीवर को आईएलबीएस के 12 साल के मरीज के उपचार में लगाया गया है. कार्निया को नेशनल आई बैंक में और हार्ट वाल्व को एम्स में सुरक्षित रखा गया है.


डॉक्टरों ने क्या कहा
भारत में अंगदान को लेकर कई प्रकार के जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और वर्तमान हालात में अनेक रोगों को बढ़ता देख चिकित्सकों की तरफ से भी ठोस अपील की जा रही है. दिल्ली एम्स के जाने-माने चिकित्सक डॉक्टर एस. लालवानी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत के दौरान कहा-इन मासूम बच्चियों के अभिभावकों की अनुमति के बाद ही अंगदान कराया गया जिसके बाद दूसरे जरूरतमंद लोगों को भी नई जिंदगी मिल रही है. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि पहले की तुलना में अब लोग अंगदान को लेकर जागरूक हुए हैं और आगे आ रहे हैं. ब्रेन डेड, शारीरिक स्थिति शून्य होने की अवस्था में अब अंगदान के लिए परिवार निर्णय ले रहा है जो वर्तमान हालात को देखते हुए आवश्यक भी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अब तक दिल्ली एम्स में कुल 15 अंगदान हो चुके हैं जिससे 52 से ज्यादा लोगों को नई जिंदगी मिल चुकी है.


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