दिल्ली में वायु और यमुना में प्रदूषण कैसे हो सकता है कम? जानें एक्सपर्ट्स ने क्या बताया?
New Delhi: दिल्ली की जहरीली हवा और यमुना नदी प्रदूषण को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने दिल्ली सरकार की आलोचना करते हुए प्रदूषण को कम करने के उपाय बताएं.
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New Delhi: राजधानी दिल्ली की आबोहवा बद से बदतर होती जा रही है. लगातार दिल्ली की हवा खराब श्रेणी में बनी हुई है. दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में AQI 300 के पार है. वहीं दूसरी तरफ यमुना प्रदूषण भी एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. यमुना प्रदूषण और दिल्ली की जहरीली हवा को लेकर रविवार (10 नवंबर) यानी आज केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के सदस्य डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने मीडिया से खास बातचीत की.
इस दौरान उन्होंने बताया "जो मौजूदा स्थिति है उसे देखकर ऐसा नहीं लगता है कि दिल्ली में प्रदूषण कम होगा, लेकिन एक्सपर्ट को शामिल कर अगर 5 साल का एक पर्यावरण प्लान तैयार किया जाए या फिर कम से कम एक साल का प्लान बनाया जाए तो दिल्ली को जहरीली हवा और यमुना प्रदूषण से कुछ हद तक राहत मिल सकती है."
क्या पटाखों से प्रदूषण बढ़ा है?
दिवाली के मौके पर क्या पटाखों से भी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा है? इस सवाल पर उन्होंने कहा, "दीपावली के दिन शाम को 7 बजे से लेकर रात के 12 बजे तक हर एक घंटे में एक्यूआई का बुलेटिन आता है. मैंने उसे नोट किया अगले दिन भी मैंने इसे नोट किया. मैंने कहा कि 6 पैरामीटर कंट्रोल में है, पटाखे से ज्यादा से ज्यादा पीएम 2.5 बढ़ेगा. इस बार दिवाली के मौके पर पटाखे जलाने से हल्का असर देखने को मिला है. हवा की गुणवत्ता का स्तर गिरा है और इसे सुधारने के लिए कई प्वाइंट पर काम करने की जरूरत है. ट्रैफिक मैनेजमेंट पर काम नहीं हो रहा है, इस पर काम करने की जरूरत है."
'दिखावटी उपायों से कम नहीं होगा प्रदूषण'
दिल्ली की जहरीली हवा को सुधारने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि "मेरा मानना है कि सरकारे दिखावटी उपायों पर ज्यादा फोकस देती है और प्रदूषण के स्रोत पर ध्यान नहीं देती जिस वजह से कई सालों में एक्यूआई 500 तक पहुंच चुका है, और लगभग हर साल खतरे के निशान पर होता है. एक्यूआई 999 तक पहुंच जाता है, जोकि बेहद अजीब सी स्थिति है. मैंने हमेशा कहा है कि ऑड-ईवन योजना और पानी के छिड़काव से कुछ नहीं होने वाला है. दिल्ली में प्रदूषण इतनी जल्दी कम नहीं हो सकता है. दिल्ली के अंदर करीब 28,500 किलोमीटर की सड़कें हैं और सड़कों से ज्यादा गड्ढे हैं".
इन गड्ढों से धूल प्रदूषण बढ़ता है. प्रदूषण के दो ही कारण है, एक कारण प्रकृति और दूसरा मानव निर्मित. दिल्ली में आंधी तुफान बेहद कम आते हैं, लेकिन मानव निर्मित प्रदूषण काफी ज्यादा है. इसलिए मैं कहता हूं कि सोर्स ऑफ पॉल्यूशन को खत्म करने की आवश्यकता है. वही यमुना नदी की गंदगी को लेकर उन्होंने कहा कि दिल्ली के सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 32 नालों का पानी यमुना नदी में बहाया जाता है. ये ऐसे नाले हैं जो यमुना में प्रदूषण बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं. यह सरकार की विफलता को दर्शाता है.
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