Delhi News: दिल्ली में वायु प्रदूषण (Air Pollution) को लेकर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (Gopal Rai) ने कहा है कि पिछले 2-3 दिनों में प्रदूषण का स्तर बढ़ा था. लेकिन, रविवार को 'गंभीर' श्रेणी से बाहर आ गए हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि हवा की गति और बढ़ेगी. साथ ही हल्की बारिश की भी संभावना है. ऐसे में वायु गुणवत्ता में जो सुधार देखा जा रहा है, वह आने वाले दिनों में और बेहतर होगा. अगले 1-2 दिनों में स्थिति में सुधार होगा. दिल्ली की वायु गुणवत्ता रविवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही. राजधानी में सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 385 रहा.


दूसरी तरफ दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ताप ऊर्जा संयंत्रों की ओर से उत्सर्जन मानकों का पालन नहीं किए जाने से क्षेत्र में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है. एक नए विश्लेषण में यह जानकारी सामने आई है. पर्यावरण से जुड़े 'थिंक टैंक' ‘सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरमेंट’ (सीएसई) ने दिल्ली-एनसीआर में 11 ताप ऊर्जा संयंत्रों (टीपीपी) से उत्सर्जित प्रदूषक तत्वों, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक अध्ययन किया है.


पीएम2.5 प्रदूषण में टीपीपी का हिस्सा करीब आठ फीसदी


यह अध्ययन केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की वेबसाइट पर मौजूद अप्रैल 2022 से अगस्त 2023 तक की उनकी पर्यावरणीय स्थिति रिपोर्ट पर आधारित है. अध्ययन के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में पीएम2.5 प्रदूषण में टीपीपी का हिस्सा करीब आठ फीसदी है. सीएसई में ‘रिसर्च एंड एडवोकेसी’ की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा, ''अगर ताप ऊर्जा संयंत्र जैसे प्रदूषण के स्त्रोत इतने उच्च स्तर पर प्रदूषण करेंगे तो दिल्ली-एनसीआर स्वच्छ वायु के मानदंड और जन स्वास्थ्य की रक्षा के अपने लक्ष्य को कभी हासिल नहीं कर सकेगा.


मानदंडों को पूरा करने में असमर्थ हैं संयंत्र 


इस तरह के संयंत्र मानदंडों को पूरा करने में असमर्थ हैं, जिसकी शुरुआती वजह समयसीमा को लगातार आगे बढ़ाया जाना है.'' सीएसई रिपोर्ट के मुताबिक, समयसीमा को बार-बार आगे बढ़ाए जाने और केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से संशोधित वर्गीकरण के बावजूद क्षेत्र में बहुत से संयंत्र नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड प्रदूषक तत्वों के उत्सर्जन के लिए तय मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं.


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मंत्रालय ने दिसंबर 2015 में कोयला आधारित संयंत्रों के लिए सख्त उत्सर्जन मानक लागू किए थे, जिनका दो वर्ष के भीतर पालन किया जाना था. बाद में मंत्रालय ने दिल्ली-एनसीआर को छोड़कर सभी ऊर्जा संयंत्रों के लिए तय समयसीमा को पांच साल के लिए बढ़ा दिया था, जिसपर क्षेत्र में उच्च प्रदूषण स्तर को देखते हुए 2019 तक अमल किया जाना था.


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