Delhi Weather Today: देश की राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता अचानक बहुत खराब स्थिति पहुंच गया है. इसका असर शनिकवार शाम और रविवार सुबह के समय देखने को भी मिला. रात के समय लोग प्रदूषण की वजह से असहज महसूस कर रहे थे. खासकर बुजुर्ग और बच्चों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा. दिल्ली के आनंद विहार, मुंडका, डीटीयू, बवाना, नरेला, जहांगीरपुरी, द्वारका ओखला, आदि इलाकों में प्रदूषण बहुत खराब स्तर पर रहने की सूचना है. प्रदूषण की वजह से मौसम में उतार चढ़ाव का सिलसिला भी जारी है.
दिल्ली की वायु गुणवत्ता शनिवार को 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई तथा आने वाले दिनों में प्रतिकूल आबोहवा के चलते इसके और भी खराब होने की आशंका है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक शहर का 24 घंटे का औसत गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 304 (बहुत खराब) रहा जबकि शुक्रवार को यह 261 (खराब) में था. गुरुवार को यह 256, बुधवार को 243 और मंगलवार को 220 था.
माह के अंत तक एक्यूआई खराब रहने की आसार
दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक्यूआई 291, फरीदाबाद में 272, गुरुग्राम में 252, नोएडा में 284 और ग्रेटर नोएडा में 346 दर्ज किया गया. बता दें कि एक्यूआई शून्य से 50 के बीच अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिल्ली में हवा की धीमी गति और रात के समय तापमान में गिरावट के कारण शहर की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई है. उसने कहा कि महीने के अंत तक हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रहने की आशंका है.
बचके रहने की जरूरत
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिन में कहा था कि पड़ोसी राज्यों में अब तक दर्ज की गई पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल की तुलना में कम हैं और शहर के वायु प्रदूषण में इन घटनाओं से उठे धुएं का समग्र योगदान कम होने की उम्मीद है. हालांकि उन्होंने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियों के चलते प्रदूषण बढ़ सकता है. अब तक केवल लगभग 2,500 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान ऐसे 5,000 मामले दर्ज किए गए थे.
पराली जलाने की के मामलों में आई कमी
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार हर वर्ष पराली जलाने के सबसे अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार पंजाब में 2022 में पराली जलाने की 49,922 घटनाएं, 2021 में 71,304 घटनाएं एवं 2020 में 83,002 घटनाएं हुईं थीं. हरियाणा में 2022 में पराली जलाने की 3,661 घटनाएं दर्ज की गईं जो 2021 में 6,987 और 2020 में 4,202 ऐसी घटनाएं हुई थीं. प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां और प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों के अलावा, पटाखों और धान की पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन के चलते, सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर में पहुंच जाती है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के विश्लेषण के अनुसार एक नवंबर से 15 नवंबर तक राजधानी में प्रदूषण शीर्ष पर पहुंच जाता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर पहुंच जाती हैं.
हाल ही में, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण स्रोतों का पता लगाने के लिए दिल्ली सरकार के अध्ययन को डीपीसीसी अध्यक्ष अश्चिनी कुमार के आदेश पर 'एकतरफा और मनमाने ढंग से' रोक दिया गया है. दिल्ली सरकार ने पिछले महीने सर्दियों के मौसम के दौरान राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए 15-सूत्री कार्ययोजना शुरू की थी जिसमें धूल, वाहन और औद्योगिक प्रदूषण पर लगाम लगाने पर विशेष बल दिया गया है. दिल्ली सरकार ने पिछले महीने शहर में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध की घोषणा कर दी थी.
हॉट स्पॉट पर विशेष टीमें तैनात
सरकार ने नरेला, बवाना, मुंडका, वजीरपुर, रोहिणी, आरके पुरम, ओखला, जहांगीरपुरी, आनंद विहार, पंजाबी बाग, मायापुरी, द्वारका सहित पहचान किए गए अधिक प्रदूषण वाले कुल 13 जगहों के लिए प्रदूषण शमन योजना तैयार की है. राय ने हाल में कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में मौजूदा, सर्वाधिक प्रदूषित 13 स्थानों के अलावा आठ और ऐसे स्थानों की पहचान की है तथा प्रदूषण के स्रोतों पर लगाम लगाने के लिए वहां विशेष टीम तैनात की जाएंगी. दिल्ली सरकार ने शहर में धूल प्रदूषण को रोकने के लिए रासायनिक पाउडर का उपयोग करने का भी निर्णय लिया गया है.