Delhi Air Pollution: दिल्ली में वायु प्रदूषण अपने खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. दिल्ली सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लगातार प्रयास के बावजूद लोगों को जीने के लिए साफ हवा तक नहीं मिल पा रही है. दीपोत्सव के बाद से ही दिल्ली एनसीआर की हवाएं दिन प्रतिदिन जहरीली होते जा रही हैं. वही हेल्थ एक्सपर्ट और मौसम वैज्ञानिकों ने भी यह अनुमान लगाया था कि तेज हवाओं के चलते दिल्ली को प्रदूषण से राहत मिलेगी लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है. दिल्ली की स्थिति बीते शुक्रवार को और भी गंभीर बनी रही इसके साथ अगले कुछ दिनों तक राहत मिलने के आसार भी दिखाई नहीं दे रहे है.
CQAM की बैठक में पाबंदियों से राहत न देने के निर्देश
खास तौर पर हर रोज अपने कामों के लिए निकलने वाले लोगों ने उम्मीद जताई थी कि प्रदूषण को लेकर लगाई गई पाबंदियों में कल CQAM की बैठक में कुछ ढील मिलेगी. निर्माणाधीन कार्य BS3 और BS4 गाड़ियों पर पाबंदी सहित कई नियमों में छूट मिलेगी लेकिन अधिकारियों ने यह कहकर पाबंदी हटाने से मना कर दिया कि बीते 2 दिनों में राजधानी में प्रदूषण और बढ़ा है. अभी ऐसी स्थिति नहीं है कि पाबंदियों में लोगों को ढील दी जा सके . इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि अगले 14 नवंबर तक दिल्ली की स्थिति और भी गंभीर बन सकती है. वहीं अगर पिछले साल की तुलना में नवंबर के इन तारीखों पर राजधानी की वर्तमान स्थिति थोड़ी बेहतर दिखाई दे रही है.
बढ़ते प्रदूषण से 5 -7 साल कम हो सकती है औसत आयु
राजधानी में बढ़ते प्रदूषण की वजह से दिल्ली में विशेष सांस अस्थमा फेंफड़े गले के रोगी लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अस्पतालों में इनकी लंबी कतार देखने को मिल रही है जो एक चिंता का विषय और भविष्य के लिए खतरे की घंटी भी है. हेल्थ एक्सपर्ट डॉ कैलाश चंद्र कपूर ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में बताया कि निश्चित तौर पर लोगों के आयु पर बढ़ते प्रदूषण का असर पड़ेगा. गंभीर बीमारियों के साथ-साथ सांस के सामान्य मरीज भी लगातार अस्पतालों में बढ़ते जा रहे हैं और इसकी सबसे प्रमुख वजह प्रदूषण है. दिल्ली की जहरीली हवाएं हर वर्ग के लोगों को बुजुर्ग युवाओं बच्चों को प्रभावित कर रही हैं जिसकी वजह से दिल्ली के लोगों की औसत आयु भी कम हो सकती है.
शुक्रवार को रिकॉर्ड 4500 से ज्यादा जगहों पर जलाई गई पराली
एनसीआर से 20% से ज्यादा आने वाले पराली का धुंआ दिल्ली में प्रदूषण की बड़ी वजह बन चुका है. शुक्रवार को तो यह आंकड़ा और भी डराने वाला सामने आया, जहां पंजाब हरियाणा राजस्थान में 4500 हजार से ज्यादा जगहों पर पराली जलाई गई. जिसमें सबसे ज्यादा पंजाब में 3916 जगहों पर पराली जली.
सियासत को एक तरफ रख कर सभी एक मंच पर ले मजबूत फैसला
हेल्थ एक्सपर्ट ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान अच्छे खान-पान, मास्क का प्रयोग और लगे पाबंदियों का पालन करने के साथ ही कहा कि अब सियासत को एक तरफ रखते हुए सभी जिम्मेदार लोगों को एक मंच पर आना चाहिए. दिल्ली को बचाने के लिए कागजों पर लिखी कार्रवाई के बजाय कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे इस प्रदूषण से बचाया जा सके. कुछ समय के लिए डीजल पेट्रोल की गाड़ी पर पाबंदी लगा देना स्कूलों को बंद कर देना ही इसका निदान नहीं बल्कि पराली जैसी गंभीर समस्या पर हमेशा के लिए समाधान, डीजल पेट्रोल गाड़ियों पर पूरी तरह पाबंदी वृक्षारोपण और भी कुछ मजबूत निर्णय कम समय में लेने चाहिए.
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