Air Pollution: पिछले कुछ सालों से सर्दियां शुरू होते ही दिल्ली एनसीआर में एक धुंध सी दिखाई देने लगती है, दरअसल ये धुंध असल में बढ़ता हुआ प्रदूषण होता है जिसे स्मॉग भी कहा जाता है. प्रदूषण बढ़ने के साथ में ही एक चर्चा भी शुरू हो जाती है जोकि है पीएम 2.5 और पीएम 10 की. तो आपको बताते हैं कि दरअसल इन दोनों का मतलब क्या होता है? और इनके बढ़ने के साथ-साथ वायु गुणवत्ता कैसे खराब होती चली जाती है.


ये है पीएम 2.5 और पीएम 10 का मतलब


सेंट्रल फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के पर्यावरणविद विवेक चट्टोपाध्याय ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि पीएम का मतलब होता है पार्टिकुलेट मैटर , जो हवा के अंदर मौजूद सूक्ष्म कणों को मापते हैं. और 2.5 और 10 हवा में मौजूद कणों के आकार को दर्शातें है. यानि कि पार्टिकुलेट मैटर (PM) का आंकड़ा जितना कम होगा, हवा में मौजूद कण उतने ही छोटे होते हैं.


सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचते हैं कण


उन्होंने बताया कि पीएम 2.5 का स्तर धुएं से ज्यादा बढ़ता है यानि कि अगर हम कुछ चीजें वातावरण में जलाते हैं. तो वो पीएम 2.5 का स्तर बढ़ाता है. ये धुएं, धूल आदि के कणों को दर्शाता है यानि कि हवा में मौजूद कण 2.5 माइक्रोमीटर छोटे हैं. वहीं पीएम 10 का मतलब होता है कि हवा में मौजूद कण 10 माइक्रोमीटर से भी छोटे हैं, और जब पीएम 10, पीएम 2.5 का स्तर 100 से ऊपर पहुंचता है. तो ये खराब श्रेणी को दर्शाता है यानि हवा में धूल, मिट्टी, धुंध के कण ज्यादा मात्रा में मौजूद है. जो आसानी से सांस के जरिए आप के फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं.




इन बीमारियों का होता है खतरा


पर्टिकुलर मैटर 2.5 और 10 जो की हवा में मौजूद कणों को मापने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. वायु में पीएम 2.5 और 10 का स्तर बढ़ने के बाद सांस लेने में तकलीफ आंखों में जलन आदि की समस्या शुरू हो जाती है, सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों को आती है जो सांस के मरीज और अस्थमा के मरीज है. इसके साथ ही लगातार खराब वायु में सांस लेने से लंग्स कैंसर की समस्या भी हो सकती है.


इंसान के बाल से भी छोटे होते हैं कण


विवेक चट्टोपाध्याय ने बताया कि इंसानों के बाल का साइज 50 से 60 माइक्रोन का होता है, लेकिन पीएम 10 का मतलब है कि हवा में मौजूद धूल, गर्दा और धातु के कण हमारे बाल से भी छोटे होते हैं और पीएम 2.5 का मतलब है कि वो कण पीएम 10 से भी छोटे हैं और आसानी से हमारे शरीर में जा सकते हैं यहां तक कि हमारे खून में भी घूल सकते हैं.




रंगो से पता चलती है गुणवत्ता


सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक प्रदूषण की गुणवत्ता कितनी खतरनाक है इसके लिए हल्का, हरा, गाढ़ा हरा, हल्का पीला,नारंगी, लाल गाड़ा लाल, काला आदि रंगों को चिन्हित किया गया है. जो कि वायु में प्रदूषण के लेवल को दर्शाता है आम भाषा में समझाने के लिए रंगो को बताया गया है जिसमें की हल्का हरा रंग जो कि बेहद ही अच्छी वायु गुणवत्ता को दर्शाता है, वही लाल रंग जो कि खराब वायु गुणवत्ता का निशान है. इसके अलावा गाड़ा लाल रंग और काला रंग वायु प्रदूषण में आपातकालीन चिन्हित करता है.


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