Delhi AQI: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिन पर दिन वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. बीते दो दिनों दिल्ली-एनसीआर में धुंध की चादर छाई रही. पूरा दिल्ली-एनसीआर एक गैस चैंबर की तरह हो गया है. इस सीजन में आज मंगलवार (19 नवंबर) को दूसरे दिन भी प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है. आज सुबह एक्यूआई 495 दर्ज किया गया. इस बीच बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने सोमवार से GRAP-4 लागू कर दिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या अब प्रदूषण में कमी आएगी?


बता दें हर साल एयर पॉल्यूशन को काबू में करने के लिए पाबंदियां लागू की जाती हैं, नियम बनाए जाते हैं और बड़े-बड़े ऐलान भी होते हैं, लेकिन प्रदूषण जस का तस बना रहता है. पिछले साल भी ग्रैप-4 लागू किया गया था, लेकिन जब तक बारिश नहीं हुई तब तक प्रदूषण वैसै ही बना रहा. इस साल भी दिवाली के बाद से दिल्ली-एनसीआर में पाबंदियों का दौर चल रहा है, लेकिन प्रदूषण के आंकड़ों में कमी होने की बजाय सीवियर प्लस में पहुंच गया है.


दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर
दिल्ली-एनसीआर में फिर प्रदूषण की स्थिति गंभीर है. दमघोंटू हवाएं चल रही हैं. आज सुबह घना कोहरा और प्रदूषण की वजह से धुंध छाई है. ठंड ने भी जबरदस्त दस्तक दी है. सोमवार को कई जगहों पर विजिबिलिटी शून्य रिकॉर्ड की गई. CPCB के आंकड़े कहते हैं कि दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है.


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, आज सुबह अलीपुर में 500, अशोक विहार में 500, बवाना में 500, डीटीयू में 496, द्वारका में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, मुंडका में 500, वजीरपुर में 500, आर के पुरम में  494, ओखला में 499, नरेला में 491, विवेक विहार में 500 एक्यूआई दर्ज किया गया.


पिछले 10 दिनों का AQI



  • 9 नवंबर को AQI 352 (बहुत खराब)

  • 10 नवंबर को AQI 334 (बहुत खराब)

  • 11 नवंबर को AQI 352 (बहुत खराब)

  • 12 नवंबर को AQI 334 (बहुत खराब)

  • 13 नवंबर को AQI 418 (गंभीर)

  • 14 नवंबर को AQI 424 (गंभीर)

  • 15 नवंबर को AQI 396 (बहुत खराब)

  • 16 नवंबर को AQI 417 (गंभीर)

  • 17 नवंबर को AQI 441 (गंभीर)

  • 18 नवंबर को AQI 494 (गंभीर)

  • 19 नवंबर को AQI 488 (गंभीर)


दिल्ली क्यों बनी गैस चैंबर?
दिल्ली में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर हर साल चिंता जताई जाती है. प्रबंधन को लेकर नियम भी बनाए जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट भी निर्देश देता है, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं होता है. ऐसे में क्या कारण है कि हर साल यहां की हवा इतनी खराब हो जाती है? दरअसल इसका प्रमुख कारण दिल्ली-एनसीआर में खराब प्रबंधन को माना जाता है. दिल्ली में वैसे तो लोगों को पूरे साल जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर होना पड़ता है, लेकिन नवंबर आते ही हालात बद से बद्दतर हो जाते हैं.


एक रिपोर्ट के अनुसार,  दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने की भूमिका सिर्फ आठ प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय राजधानी को को गैस चैंबर बनाने में यहां के वाहनों की सबसे बड़ी भूमिका है. इन वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन से प्रदूषण फैल रहा है और लोग बीमार पड़ रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि वाहनों के कार्बन उत्सर्जन की अनुमानित हिस्सेदारी करीब 13 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक है. 


इसके बाद पराली जलाने से उत्सर्जन हो रहा है. जबकि, आसपास के राज्यों में पराली जलाने से स्थिति और खराब हो गई है. यहां हवाओं में प्रदूषक तत्व पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10) का लेवल भी सबसे ज्यादा है. 


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