Delhi News: दिल्ली की हवा में लगातार जहरीली होती जा रही है. शुक्रवार को दिल्ली वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में पहुंच गया. शहर में गुरुवार की सुबह 351 दर्ज किया गया था, जो शुक्रवार सुबह 450 के स्तर पर पहुंच गया. आनंद विहार में एक्यूआई 500 पर 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया. बवाना में भी 500 तक पहुंच गया. वहीं दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी के स्टेशन पर भी 500 पर दर्ज किया गया. आईजीआई हवाई अड्डे पर भी गंभीर श्रेणी में दर्ज हुआ. इसके अलावा आईटीओ पर 468 दर्ज किया गया.


दिल्ली में जब लोग वायु प्रदूषण से परेशान हो तो आइए हम आपको बताते हैं कि प्रदूषण का सामान्य स्तर क्या रहना चाहिए. वहीं AQI कैसे कैलकुलेट किया जाता है और वायु गुणवत्ता नियमन के लिए कणों को कितने भागों में बांटा गया है?


AQI कब अच्छा माना जाता है?


वायु गुणवत्ता सूचकांक शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है.


कैसे कैलकुलेट किया जाता है AQI?


हवा के अंदर मौजूद आठ पॉल्यूटैंट्स को ध्यान में रखते हुए एक्यूआई को कैलकुलेट किया जाता है. इन 8 पॉल्यूटैंट्स की बात करें तो सल्फर डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, PM10, PM2.5, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, अमोनिया, लेड और ग्राउंड लेवल ओजोन इसके पॉल्यूटैंट्स है. मौसम विभाग 24 घंटे तक हवा में इन 8 पॉल्यूटैंट्स की मौजूदगी के आधार पर एक खास लोकेशन पर डेटा इकट्ठा करता है, जिसके लिए 3 पॉल्यूटैंट्स में से एक में PM10 या PM 2.5 होना भी जरूरी होता है.


कणों को कितने भागों में बांटा गया है?



  • वायु गुणवत्ता नियमन के लिए कणों को तीन भागों में बांटा गया है. उनके व्यास के आधार पर ये श्रेणियां बनाई है. PM1, के अनुसार ये अल्ट्रा-फाइन कण होते हैं जिनका आकार 1 माइक्रोन या उससे कम होता है. जिसके उदाहरण हवाई रोगाणु, जीवाणु, विषाणु आदि है.

  • इसके अलावा PM2.5 के अनुसार 2.5 माइक्रोन या उससे कम के आकार वाले सूक्ष्म सांस लेने वाले कण होते हैं. जिसके उदाहरण धुआं, तंबाकू का धुआं, धुंध आदि है.

  • वहीं PM10 के अनुसार, 10 माइक्रोन या उससे कम के आकार वाले इनहेलेबल कण इस श्रेणी में आते हैं. जिसके उदाहरण हवा में उड़ने वाली धूल, फफूंद बीजाणु, पराग आदि. 


PM कहां से आता है और इसका मुख्य स्रोत क्या है?


प्राथमिक कण पदार्थ सीधे वातावरण में छोड़े जाते हैं. जो कारों, ट्रकों, बसों, कारखानों, निर्माण स्थलों, पुन लगाए गए खेतों, गंदगी वाली सड़कों, रॉक क्रशर और लकड़ी जलाने सहित कई स्रोतों द्वारा उत्पादित किए जाते हैं.  गैस रासायनिक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप द्वितीयक कण हवा में उत्पन्न हो सकते हैं. वे अप्रत्यक्ष रूप से उत्पन्न होते हैं जब जलते हुए ईंधन से निकलने वाली गैसें सूर्य के प्रकाश और जल वाष्प के साथ मिलती हैं. इन्हें ऑटोमोबाइल, बिजली संयंत्रों और अन्य औद्योगिक गतिविधियों में गैसोलीन के दहन से उत्पादित किया जा सकता है. 


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