Doctors Strike IN Delhi: दिल्ली के बड़े अस्पतालों से लेकर देश के कई राज्यों में डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर सरकार से नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. अपनी मांग को लेकर हड़लात कर रहे है. इलाज के लिए आए मरीज कड़कड़ाती ठंड में अस्पतालों के बाहर रात गुजारने को मजबूर हैं. हालत ये है कि क्रिटिकल मरीजों की जिंदगी पर बन आई है. हड़ताल कर रहे डॉक्टर्स बुधवार देर शाम कैंडिल लेकर डॉक्टर दिल्ली की सड़कों पर उतरे. पिछले सात दिन से रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में मरीजों की तकलीफ बढ़ती जा रही है नीट पीजी की काउंसलिंग में देरी से ये डॉक्टर्स 17 दिसंबर से हड़ताल पर हैं. डॉक्टरों की मांग है कि चिकित्सकों के खाली पद को भरा जाए. 


कोर्ट में है जूनियर डॉक्टरों का मामला


प्रदर्शन कर रहे ये डॉक्टर्स अपने हाथों में तरह-तरह के पोस्टर लिए हुए हैं. पोस्टरों में उनकी मांग से जुड़ी कई बातें लिखी हुई हैं. उन पोस्टर में बस एक चीज का जिक्र नहीं है, वो है उन मरीजों की तकलीफों का जिनके नाम की शपथ लेकर ही ये डॉक्टर बनते हैं. अब जूनियर डॉक्टरों का मामला कोर्ट में अटका पड़ा है, इसलिए सरकार के भी हाथ बंधे हैं.


डॉक्टरों की हड़ताल का पूरा मामला ये है


दरअसल नीट काउंसलिंग 2021 में हो रही देरी को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल जारी है. फिलहाल मेडिकल PG में 27% OBC और 10% EWS आरक्षण की व्यवस्था है. वहीं EWS (यानी गरीब आय वर्ग) के लिए सालाना 8 लाख रूपये सीमा का मामला सुप्रीम कोर्ट में है. मामले में केंद्र ने कहा है कि 8 लाख की सीमा पर फिर से विचार करेगी. नए डॉक्टरों की भर्ती न होने से डॉक्टर परेशान हैं. अब मामले पर 6 जनवरी को सुनवाई होनी है


बताते चलें कि दिल्ली के अलावा कई शहरों के सरकारी अस्पतालों में मरीज इसी तरह भटक रहे हैं. हड़ताल के कारण लगभग 1000 से ज्यादा ऑपरेशन नहीं हो पाए. अब यह मरीजों की जान पर बन आई है. डॉक्टरों का पहला कर्तव्य मरीजों की जान बचाना है, लेकिन अगर उन्हीं डॉक्टरों के कारण मरीज की मौत हो जाए तो फिर सवाल तो उठेंगे. वहीं सवाल सरकार पर भी हैं जो ना समाधान ढूंढ पा रही है और ना ही हड़ताल खत्म करवा पा रही है.


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