Delhi News: राजधानी दिल्ली की हवा इस समय दम घोंटू बनी हुई है. पटाखे और पराली जलाने की घटनाओं से दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. बढ़ते प्रदूषण से सांस के मरीजों को भारी समस्या झेलनी पड़ रही है. आंकड़ों पर नजर डालें तो 15 सितंबर से 28 अक्टूबर 2022 तक देश में पराली जलाने के सबसे अधिक मामले पंजाब में सामने आए हैं. इस दौरान पंजाब में पराली जलाने की 10,214 (77.44%) घटनाएं सामने आईं. इसके बाद हरियाणा से 1701 यानी (12.90%), यूपी से 632 (4.79%), दिल्ली से 5 (0.04%), राजस्थान से 190 (1.44%), मध्य प्रदेश से 448 (3.40%) पराली जलाने की घटनाएं सामने आई हैं.  इन सभी घटनाओं को मिलाकर आधिकारिक तौर पर इस दौरान कुल 13,190 पराली जलाने के मामले सामने आए.


पंजाब में पिछले पांच दिनों में पराली जलाने के मामलों में तेज वृद्धि हुई है. इन पांच दिनों में पंजाब में 5,616 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं. राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद पंजाब में पराली जलाने के पिछले साल से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.


पिछले साल के मुकाबले ज्यादा बढ़े केस


पंजाब- साल 2021 से तुलना करें तो पिछले साल पंजाब में 7,648 पराली जलाने के मामले सामने आए थे जबकि इस साल अब तक 10,214 केस सामने आ चुके हैं. यानी पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की घटनाओं 2,566 (34%) ज्यादा हुई हैं.


हरियाणा/यूपी-  हरियाणा और यूपी में स्थिति इससे उलट है. यहां पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की कम घटनाएं सामने आई हैं. हरियाणा में पिछले साल 2,252 जबकि इस साल 1,701 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में 24% की कमी आई है. इसी तरह यूपी में पिछले साल 805 जबकि इस साल 632 मामले सामने आए हैं. यानी पराली जलाने में  21% की कमी आई है.


दिल्ली- दिल्ली में पिछले साल जीरो केस सामने आए थे जबकि इस साल 5 केस सामने आए हैं. 


राजस्थान- राजस्थान में पिछले साल 66 जबकि इस साल 190 केस सामने आए. यानी घटनाओं में 188% की बढ़ोत्तरी हुई है. 


मध्य प्रदेश- मध्य प्रदेश में  इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 14% की कमी आई है. राज्य में पिछले साल 518 जबकि इस साल 448 पराली जलाने की घटनाएं सामने आई हैं.


कुल मिलाकर इस साल 13,190 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले साल 11,289 केस सामने आए थे. यानी इस साल पराली जलाने की घटना पिछले साल की तुलना में 17% (1901) अधिक हुई हैं.


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