नई दिल्ली: दिल्ली सरकार (Delhi Government) कोंडली स्थित अपने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) में एक बड़ा 'गाद उपचार संयंत्र' (silt treatment plant) लगा रही है. जिसके बाद रोजाना 200 टन गाद (कीचड़) उपचार करने  की क्षमता हो जाएगी. नया अपशिष्ट उपचार संयंत्र मौजूदा कोंडली एसटीपी (Kondli STP) के परिसर के अंदर बनाया जा रहा है.


 जल मंत्री एवं दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने कहा है कि डीजेबी (DJB) प्रतिदिन एसटीपी से 700-800 टन गाद का उत्पादन करती है, जिसे आधुनिक तकनीक का उपयोग करके हम संसाधन में परिवर्तित करेंगे.


राजधानी दिल्ली में गाद प्रबंधन एक बड़ी समस्या


बता दें राजधानी दिल्ली में गाद प्रबंधन एक बड़ी समस्या है, रोजाना सीवेज उपचार संयंत्रों से निकलने वाले अवशेष और तरल पदार्थ को गाद कहा जाता है. सीवेज से निकला गाद ठोस, अर्ध-ठोस या घोल अवशिष्ट सामग्री वाला होता है, जो सीवेज उपचार प्रक्रियाओं के दौरान बच जाते हैं.  इस गाद को एक खुरचनी का उपयोग करके हटा दिया जाता है, और फिर एक टैंक में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जहां बायोगैस का उत्पादन करने के लिए इसे एनारोबिक बैक्टीरिया द्वारा विघटित किया जाता है. इस बायोगैस का उपयोग बिजली पैदा करने के लिए कम लागत वाले ईंधन के रूप में किया जाता है.  इस प्रक्रिया के बाद भी गाद का कुछ अवशेष बच जाता है और इस शेष गाद को डीजेबी या एमसीडी की साइट के बड़े डंपयार्ड में डाल दिया जाता है.


गाद भूमि प्रदूषण का एक बड़ा कारक बनता है


डंपयार्ड में डाला गया गाद दुर्गंध पैदा करता है, जो आस पास में रह रहे लोगों के लिए असुविधा का कारण बनता है और आसपास के निवासियों के लिए एक स्वच्छता का मुद्दा बन जाता है. इसके अलावा, बायोगैस के उत्पादन के बाद बचा हुआ अवशेष अक्सर लैंडफिल साइटों तक पहुंच जाता है, जिससे गाद के पानी का मिट्टी में रिसने का खतरा बढ़ जाता है, इसके अलावा, यह मिट्टी के प्राकृतिक छिद्रों को भरता है और बारिश के दौरान भूमिगत जलभृतों को रिचार्ज होने से भी रोकता है, इससे यह भूमि प्रदूषण का एक बड़ा कारक बन जाता है और साथ ही क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा भी होता है.


समाधान के लिए केजरीवाल सरकार वन-स्टॉप सोल्यूशन


गाद जैसे मुद्दे का समाधान करने के लिए केजरीवाल सरकार वन-स्टॉप सोल्यूशन लाने जा रही है, जिसके अंतर्गत दिल्ली सरकार अपने कोंडली स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में प्रति दिन 200 टन गाद के उपचार की क्षमता के साथ 'गाद उपचार संयंत्र' का निर्माण कर रही है. नया उपचार संयंत्र पूर्वी दिल्ली में मौजूदा कोंडली सुविधा के परिसर के भीतर स्थापित किया जाएगा, जहां 4 एसटीपी पहले से ही काम कर रहे हैं, डीजेबी ने पहले ओखला एसटीपी में 1 टन प्रतिदिन की उपचार क्षमता के साथ एक पायलट गाद उपचार संयंत्र की स्थापना की थी, जो कई महीनों के निरंतर संचालन के बाद सफल रहा था. दिल्ली सरकार द्वारा उपयोग की जाने वाली इस तकनीक को ‘थर्मल एस्टेबलाइज़ेशन’ कहा जाता है.


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नया गाद उपचार संयंत्र गर्म हवा के ऑक्सीडाइजेशन की तकनीक पर बेस्ड है


नया गाद उपचार संयंत्र गर्म हवा के ऑक्सीडाइजेशन की तकनीक पर आधारित है, जिसमें गर्म हवा का उपयोग करके गाद को सुखाया जाता है और बायोचार में परिवर्तित किया जाता है. इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद सीवेज़ से निकालने वाले गाद का उपचार किया जा सकेगा और सिर्फ 5 फीसदी गाद अवशेष ही बचेंगे, अवशेषों का उपयोग आगे टाइल बनाने और मिट्टी की कंडीशनिंग करने में किया जाएगा. यह डीजेबी की पहली हाइब्रिड मॉडल परियोजना है, जहां टेक्नोलॉजी मुहैया कराने वाली कंपनी द्वारा 40 फीसद निवेश किया जाएगा. इस परियोजना में 15 साल की संचालन और रखरखाव की अवधि होगी, जिसका अर्थ है कि संबंधित एजेंसी द्वारा 15 सालों तक रखरखाव का काम किया जाएगा और इस दौरान किसी भी तरह की आने वाली ख़ामी को कंपनी ही दुरुस्त करेगी.


DJP रोज एसटीपी से 700-800 टन गाद का उत्पादन करती है


जल मंत्री एवं दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने कहा कि डीजेबी प्रतिदिन एसटीपी से 700-800 टन गाद का उत्पादन करती है, जिसके बाद अब उसे आधुनिक तकनीक का उपयोग करके संसाधन में परिवर्तित किया जाएगा. सत्येंद्र जैन ने आगे कहा कि 2 साल के भीतर दिल्ली के सभी एसटीपी में एक स्वतंत्र गाद उपचार संयंत्र होगा, ताकि भविष्य में हमे एमसीडी पर लैंडफ़िल के लिए ज़मीन मुहैया कराने की किसी प्रकार की कोई भी निर्भरता न रहे.


कोंडली में गाद उपचार संयंत्र बनने का काम 31 मार्च तक पूरा हो जाएगा


उन्होंने बताया कि नए स्लज ट्रीटमेंट प्लांट में, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से उत्पन्न गाद को बायोगैस बनाने के लिए बायो-गेस्टर में डाला जाएगा, जिससे आगे बिजली बनाने में उपयोग किया जाएगा. कोंडली में गाद उपचार संयंत्र बनने का काम 31 मार्च 2022 तक पूरा हो जाएगा. एक बार सफल होने के बाद, यह मॉडल दिल्ली के सभी 36 एसटीपी पर लागू किया जाएगा, जो न केवल बड़ी मात्रा में गाद को निपटाने में मदद करेगा, बल्कि निवासियों को प्रदूषित हवा से भी राहत दिलाएगा.


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