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Delhi Election 2025: दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने का 'फैक्टर 18', समझें आंकड़ों का चौंकाने वाला गणित

Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होने हैं. नतीजे 8 फरवरी को आएंगे. सियासी दल जीत के दावे कर रहे हैं. इस बीच पिछले चुनावी आंकड़ों के विश्लेषण को समझने की जरूरत है.

दिल्ली में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सफलता मिलती रही है. वहीं विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी सत्ता पर काबिज हो जाती है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वोटिंग पैटर्न कैसे बदलता रहा है इसके लिए 'फैक्टर 18' को समझने की जरूरत है. 2024 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर बीजेपी जीती. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. 

2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण

अगर लोकसभा के हिसाब से 2024 में विधानसभा के समीकरण देखें तो 52 विधानसभा सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिलती नजर आई. आम आदमी पार्टी को 10 और कांग्रेस को 8 सीटों पर बढ़त दिखी. वोट प्रतिशत देखें तो बीजेपी को 54.3, आम आदमी पार्टी को 24.2 और कांग्रेस को 18.9 फीसदी वोट मिले. 

2020 विधानसभा चुनाव के नतीजे

अब अगर 2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें तो आम आदमी पार्टी 62 और बीजेपी 8 सीटें जीतीं. कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली. आप का वोट प्रतिशत 53.6 और बीजेपी का 38.5 फीसदी रहा. कांग्रेस ने 4.3 फीसदी वोट हासिल किए. बाकी अन्य के खाते में गए.

इस वोटिंग पैटर्न से जो बड़ी तस्वीर निकलकर सामने आई वो ये कि जिसके जितने वोट घटते हैं, दूसरी पार्टी के करीब-करीब उतने ही वोट बढ़ते हैं. यानि विधानसभा वाली बाजी लोकसभा में बिल्कुल पलटी हुई नजर आती है. लोकसभा में बीजेपी जो बढ़त बनाती है तो विधानसभा में वही बढ़त आम आदमी पार्टी बना लेती है.

ऐसा कैसे होता है कि दिल्ली की जनता लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी को जिताने के लिए वोट करती है, वही जनता दिल्ली के रण में अरविंद केजरीवाल को 'किंग' बना देती है. 

क्या है फैक्टर 18?

'फैक्टर 18' से मतलब दिल्ली के उन 18 फीसदी वोटर्स से है जो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी के तौर पर अपनी पसंद बदलते रहे हैं. यानि लोकसभा में वो बीजेपी को वोट देते हैं और विधानसभा चुनाव में पाला बदलकर आम आदमी पार्टी के सिंबल के सामने ईवीएम का बटन दबाते हैं. 

18 फीसदी स्विंग वोटर्स का आंकड़ा सामने कैसे आया?

माना जाता है कि दिल्ली की चुनावी धुरी इन्हीं 18 फीसदी स्विंग वोटर्स के इर्द-गिर्द घूम रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 18.1 फीसदी वोट मिले. बीजेपी को 56.8 और कांग्रेस को 22.5 फीसदी वोट मिले. 2020 के विधानसभा चुनाव में तस्वीर उलट गई. आम आदमी पार्टी को 53.8 फीसदी वोट मिले. बीजेपी को 38.7 और कांग्रेस को 4.3 फीसदी वोट मिले. 2019 के लोकसभा चुनाव से 2020 के विधानसभा चुनाव तक 9 महीने के अंतराल में आम आदमी पार्टी को लोकसभा के मुकाबले विधानसभा में 35.7 फीसदी का फायदा हुआ. जबकि बीजेपी को 18.1 और कांग्रेस को 18.2 प्रतिशत का नुकसान हुआ. यानि जो करीब 18 फीसदी वोटर लोकसभा में बीजेपी और कांग्रेस के पास गए उन्होंने विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ जाने का मन बनाया.

2014 लोकसभा और 2015 विधानसभा के नतीजे

इसके अलावा अगर 2014 के लोकसभा और 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 32.9, बीजेपी को 46.4 और कांग्रेस को 15.1 फीसदी वोट मिले. जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 54.5, बीजेपी को 32.2 और कांग्रेस को 9.7 फीसदी वोट मिले. आम आदमी पार्टी को 21.6 फीसदी वोटों का फायदा हुआ जबकि बीजेपी को 14.1 और कांग्रेस को 5.4 फीसदी का नुकसान हुआ. यानि दोनों विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के लोकसभा चुनाव के मुकाबले जितने वोट घटे उतने ही आम आदमी पार्टी के खाते में क्रेडिट हुए.

कौन हैं ये 18 फीसदी स्विंग वोटर्स?

औसतन 18 फीसदी वोटर ऐसे नजर आए जो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग मत बना रहे हैं. अब सवाल ये उठता है कि ये 18 फीसदी वोटर कौन हैं? इन 18 फीसदी वोटरों में गरीब, निचला सामाजिक-आर्थिक तबका, SC और अल्पसंख्यक समुदाय के वोटर शामिल हैं.ऐसे में माना जा रहा है कि सत्ता की चाबी इसी 18 फीसदी स्विंग वोटर्स के हाथ में है.बता दें कि ये पूरा विश्लेषण बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव परिणामों के आधार पर तैयार किया गया है. ऐसे में 2025 के विधानसभा चुनाव की तस्वीर इससे अलग भी हो सकती है.

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