Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में दिल्ली में गिरते तापमान के बीच सियासी पारा चढ़ता ही जा रहा है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस बार आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल विरोधियों को मात देने के लिए नया दांव चल रहे हैं.
दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. इसी कोशिश और रणनीति के तहत पुराने और अनुभवी नेताओं को पार्टी में शामिल किया जा रहा है. पार्टी को उम्मीद है कि इन नेताओं का अनुभव और जनाधार आप को जीत दिलाने में मददगार साबित होगा.
क्या है आप की रणनीति?
सूत्रों की मानें तो सत्ता विरोधी लहर के असर को कम करने के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव में मौजूदा विधायकों की जगह इस बार आम आदमी पार्टी कई पुराने कांग्रेस और बीजेपी नेताओं को टिकट दे सकती है. ये नेता पहले कांग्रेस या बीजेपी से चुनाव लड़ चुके हैं. पार्टी का मानना है कि इन पुराने नेताओं के आने से आप की स्थिति और मजबूत होगी और ये नेता अपने साथ अनुभव और समर्थक भी लाएंगे.
'सत्ता विरोधी लहर से भी निपटने चेहरा बदलना जरूरी'
आप के एक वरिष्ठ नेता का मानना है कि, सरकार और विधायकों दोनों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है. इससे निपटने का एक तरीका मौजूदा विधायकों को बदलना है. 2020 में आप ने लगभग 16 विधानसभा क्षेत्रों में मौजूदा विधायकों को बदला था. पार्टी नेता ने कहा कि इस बार यह संख्या बढ़ सकती है. इनमें विरोधी दलों के वे नेता हो सकते हैं, जिन्होंने पिछले चुनाव में आप के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दी थी और दूसरे नंबर पर रहे थे.
बीजेपी-कांग्रेस से आप में आए नेताओं को टिकट
आम आदमी पार्टी ने पिछले महीने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी. जिसमें 6 ऐसे उम्मीदवार थे जो पहले बीजेपी और कांग्रेस में थे. वहीं, पार्टी के दो वर्तमान विधायकों के चुनाव न लड़ने की घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर आप ने उन सीटों पर पहले चुनाव लड़ चुके नेताओं को पार्टी में शामिल कर लिया और उन्हें टिकट मिलना तय माना जा रहा है.
कांग्रेस और बीजेपी के पूर्व विधायकों की आप में एंट्री
कांग्रेस से वीर सिंह धींगान और सुमेश शौकीन और बीजेपी से ब्रह्म सिंह तंवर, सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू और अनिल झा जैसे नेता हाल ही में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं. धींगान 1998, 2003 और 2008 में सीमापुरी से लगातार विधायक रहे. बिट्टू ने 2003 और 2008 में तिमारपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था, बाद में वो बीजेपी में शामिल हो गए. सुमेश 2008 में मटियाला से विधायक चुने गए थे. झा ने 2008 और 2013 में किराड़ी से चुनाव जीता था. जबकि तंवर 2013 में छतरपुर से विधायक बने थे.
ये भी पढ़ें
रोहिंग्या को लेकर AAP का BJP हमला, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का पुराना पोस्ट किया शेयर