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Delhi Election: मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन से कैसे मिले अरविंद केजरीवाल? बता दी एक-एक बात

Delhi Election 2025: अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी दिल्ली में चुनाव आने वाले हैं. बीजेपी के पास कोई मुद्दा ही नहीं है. बीजेपी 24 घंटे केवल यही बात करती है कि केजरीवाल का घर ऐसा है और जैकेट ऐसी है.

Delhi Asembly Election 2025: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में ‘द दिल्ली मॉडल’ किताब का विमोचन किया. AAP के वरिष्ठ नेता जस्मीन शाह की ओर से लिखी गई इस किताब में पार्टी के उद्भव की वजह से लेकर मौजूदा वक्त की छोटी-बड़ी घटनाओं का जिक्र है. इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम अपने काम की बदौलत दिल्ली में चौथी बार सरकार बनाने जा रहे हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पास कोई मुद्दा और विजन नहीं है. इनको सिर्फ केजरीवाल को गाली देना है.

उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हमारी सरकार ने शिक्षा-स्वास्थ्य, बिजली-पानी, महिलाओं का बस में सफर मुफ्त कर दिल्लीवालों की मूलभूत समस्याओं का समाधान किया है. हमने इन्हें भी मुद्दों पर बात करने के लिए मजबूर किया, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात में फर्जी स्कूल में फोटो खिंचवानी पड़ी. इस दौरान मुख्यमंत्री आतिशी, वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया, सत्येन्द्र जैन और किताब के लेखक जस्मीन शाह समेत अन्य लोग मौजूद रहे.

अरविंद केजरीवाल ने ‘द दिल्ली मॉडल' किताब लिखने के लिए जस्मीन शाह को बधाई देते हुए कहा कि यह केवल दिल्ली के गवर्नेंस मॉडल के बारे में नहीं, बल्कि यह 'आप' की राजनीति का मॉडल भी है. दिल्ली का गवर्नेंस मॉडल या 'आप' की राजनीति क्या है? हमने लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी की मूलभूत समस्याओं को सुलझाने की बस कोशिश की है. यह और कुछ नहीं है. लोगों के बच्चों को शिक्षा चाहिए, बीमार हो जाएं तो अस्पताल चाहिए. महंगाई बढ़ रही है, इसमें सरकार थोड़ी मदद कर दे, बिजली मुफ्त कर दे, पानी फ्री कर दे.

उन्होंने कहा कि हमने इन मूलभूत समस्याओं का समाधान करने की कोशिश की है. लेकिन, सवाल उठता है कि यह हमसे पहले किसी सरकार ने क्यों नहीं किया? देश को आजाद हुए 75 साल हो गए. हमारे पहले इतनी पार्टियां और इतने नेता आए, लेकिन किसी ने यह नहीं किया.

मनीष सिसोदिया को लेकर क्या बोले अरविंद केजरीवाल?

केजरीवाल ने आगे कहा कि इसके सारे डेटा और एनालिसिस किताब में मिल जाएंगे. उन्होंने इसके पीछे की कुछ कहानियां साझा करते हुए कहा कि हमारे साथ कई ऐसे अहम लोग हैं जो दिल्ली के इस गवर्नेंस मॉडल या 'आप' की राजनीति के लिए जिम्मेदार हैं. इनमें सबसे पहले मैं मनीष सिसोदिया से मिला था. मैं जब उन दिनों इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में डिप्टी कमिश्नर के तौर पर काम करता था, यह एक मध्यमवर्गीय पद होता है. हम कौशांबी के फ्लैट में रहते थे. इसलिए एक मिडल क्लास परिवार की जड़ समस्याएं होती हैं, वही समस्याएं हमारी भी थीं.

पूर्व सीएम ने कहा कि हम सब लोग जानते हैं कि सरकार में बहुत भ्रष्टाचार है. इनकम टैक्स में भी बहुत भ्रष्टाचार था और अभी भी है. इसलिए मेरे अंदर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का एक जुनून पैदा हुआ. मैं इंजीनियर भी हूं, तो मुझे थोड़ी बहुत कोडिंग करनी भी आती थी. मैंने खुद ही घर बैठकर चंतपअंतजंद.बवउ नाम की एक वेबसाइट बनाई. उस पर मैंने लिखा कि अगर आपको कोई परेशान करता है या कोई रिश्वत मांगता है तो परिवर्तन को बताना और परिवर्तन आपके लिए बिना रिश्वत के काम करवाएगा.

उन्होंने कहा, "मैं इनकम टैक्स में सीटिंग डिप्टी कमिश्नर था. इसलिए मैं उसका चेहरा नहीं बन सकता था. वरना ये लोग मुझे अंडमान भेज देते. मैं अपने ही डिपार्टमेंट के खिलाफ लड़ रहा था. इसलिए मुझे एक चेहरे की जरूरत थी. इसलिए मैंने उस वेबसाइट पर लिख दिया कि जो लोग भी परिवर्तन के साथ वालेंटियर के तौर पर जुड़ना चाहते हैं, वो जुड़ सकते हैं. मैंने 30 दिसंबर 1999 को यह वेबसाइट बनाई थी और 31 दिसंबर को सबसे पहला वालेंटियर बनने वाला व्यक्ति मनीष सिसोदिया था. सबसे पहले मनीष सिसोदिया की एंट्री आई थी."

केजरीवाल ने बताया कि उस समय मनीष सिसोदिया एक न्यूज चैनल में पत्रकार हुआ करते थे. तो मुझे बहुत खुशी हुई. मेरे पास कोई पैसा नहीं था, प्रचार करने के लिए कुछ नहीं था. ऐसे में जब एक आदमी ने उसमें वालेंटियर किया तो मैं बकायदा मनीष सिसोदिया के घर गया. उन दिनों मनीष सिसोदिया पूर्वी दिल्ली के शकरपुर में एक कमरे वाले फ्लैट में रहते थे. वहां छत के ऊपर एक ही कमरा था, उसी में इनकी किचन थी. वहां इनका परिवार रहता था. वहां छत पर बैठकर इनके साथ एक घंटा बातचीत हुई. उसके बाद हम दोनों ने मिलकर उस परिवर्तन को आगे बढ़ाया.

आप नेता ने बताया कि इसके बाद मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी, इस्तीफा दे दिया. फिर 10 साल हमने दिल्ली में सुंदर नगरी और नंद नगरी की झुग्गियों में काम किया. इस दौरान मैं खुद कई महीने उन झुग्गियों में यह देखने के लिए रहा कि झुग्गीवालों की आम जिंदगी कैसे होती है. वे अपनी जिंदगी कैसे जीते हैं? उनके बच्चे किन स्कूलों में जाते हैं? उन सबका बुरा हाल था. बगल में जीटीबी अस्पताल था, उसका भी बुरा हाल था. न इलाज के लिए उनके पास कोई सुविधा थी, न बच्चों को पढ़ने के लिए अच्छे स्कूल थे. उस बैकग्राउंड से जब हम सरकार में आए तो सबसे पहले हमने एक आम आदमी की मूलभूत समस्याओं का समाधान करने की कोशिश की.

सत्येंद्र जैन को लेकर अरविंद केजरीवाल ने बताई ये बात

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इसके बाद हमें सत्येंद्र जैन मिले. सत्येंद्र जैन वह शख्स हैं, जिन्हें आप कोई भी समस्या दे दो, ये आपको कहीं न कहीं से समाधान निकाल कर दे देते हैं. ये एक प्रोफेशनल आर्किटेक्ट हैं. शुरुआत में हम जो लोग जुड़े थे, उनमें से किसी का राजनीति से दूर-दूर तक का नाता नहीं था. हमारे बाप, दादा, नाना, परनाना, नानी, दादी, चाचा, चाची या मामा, कोई दूर-दूर तक राजनीति से नहीं जुड़ा है. उस बैकग्राउंड से आकर जब हमने सरकार में कदम रखा, तो हमने सबसे पहले स्कूल, अस्पताल, बिजली, पानी, महंगाई जैसे मुद्दों का समाधान करने की कोशिश की. यह सब कोई सोच भी नहीं सकता था.

केजरीवाल ने कहा कि मुझे याद है कि जब हम सुंदर नगरी की झुग्गियों में काम किया करते थे, तो उन दिनों पिछली सरकार के साथ काफी झगड़े हुआ करते थे. धरना प्रदर्शन करते थे. उन दिनों राशन सिस्टम बहुत गड़बड़ था. उन दिनों केवल राज्य स्तर पर ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा चलती थी कि सरकार स्कूल नहीं चला सकती. मैं मन में सोचता था कि जो सरकार स्कूल नहीं चला सकती, वो सरकार क्या चलाएगी? सरकार चलाना तो बहुत बड़ी बात है. जिस सरकार से एक स्कूल नहीं चल सकता, उस सरकार को तो इस्तीफा दे देना चाहिए.

उन्होंने कहा कि उन दिनों यह नैरेटिव बनाया जा रहा था कि सरकार स्कूल नहीं चला सकती, इसलिए सरकारी स्कूलों को प्राइवेटाइज कर दो, चैरिटी के आधार पर एक-एक कॉर्पाेरेट को दो-दो, तीन-तीन स्कूल दे दो. फिर वह कॉर्पाेरेट ही स्कूल चलाएगा. यह नैरेटिव चलाया जा रहा था कि चार स्कूल इस कंपनी को दे दो और चार स्कूल उस कंपनी को दे दो. असल में वह एक जमीन घोटाला था, क्योंकि ये सारे सरकारी स्कूल एक अच्छी जमीन पर दिल्ली के बीचों-बीच हैं.

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कंपनियां जमीन लेकर पता नहीं स्कूल और बच्चों का क्या करतीं, लेकिन उस जमीन पर जरूर अपना कुछ न कुछ खड़ा कर लेतीं. हमने आकर इस पूरी विचारधारा को बदला कि अगर सरकार का सही इरादा हो, तो वह स्कूल चला सकती है. सरकार स्कूल चला सकती है. सरकार अस्पताल भी चला सकती है. सरकार मोहल्ला क्लीनिक भी चला सकती है, अगर सरकार की नियत साफ हो तो.

हमने सरकारी स्कूल ठीक किए- अरविंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि हमने सरकारी स्कूल ठीक किए. अस्पताल बनाए. हमने 24 घंटे बिजली की. गजब की बात है कि हमारे देश को आजाद हुए 75 साल हो गए, लेकिन इन 75 सालों में पूरे देश में एक भी सरकार कहीं 24 घंटे बिजली नहीं कर पाई. जैसे कि यह कोई बड़ा रॉकेट साइंस हो. आज पूरे देश में दिल्ली इकलौता राज्य है, जहां 24 घंटे बिजली है. बाकी आप यूपी, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में फोन करके पूछ लो, 10 से 12 घंटे के पावर कट लगते हैं. इससे एक चीज और दिमाग में आती थी. उन दिनों सुंदर नगरी में काम करने के दौरान जब हम राजनीति पर बात करते थे, तो देखते थे कि ये पार्टी उसको गाली दे रही है और वो पार्टी इसको गाली दे रही है. मतलब केवल गाली ही चल रही है. जैसे आज भी चल रहा है.

केजरीवाल ने कहा कि अभी दिल्ली में चुनाव आने वाले हैं. बीजेपी के पास कोई मुद्दा ही नहीं है. बीजेपी 24 घंटे केवल यही बात करती है कि केजरीवाल का घर ऐसा है, केजरीवाल की जैकेट ऐसी है. केजरीवाल के जूते ऐसे हैं. आज केजरीवाल ने नए जूते क्यों पहने? ये जैकेट क्यों पहनी? ये लोग 24 घंटे केवल गाली-गलौच करते हैं. उस समय मैं सोचता था कि ये लोग आखिर मुद्दों की बात क्यों नहीं करते. लेकिन, धीरे-धीरे हमने थोड़ा-बहुत तो इन्हें राजनीति के अंदर मुद्दों की बात करने के लिए मजबूर किया है. प्रधानमंत्री को गुजरात चुनाव में एक फर्जी क्लासरूम बनवाकर, वहां जाकर फोटो खिंचवानी पड़ी थी. देश की राजनीति के अंदर हमारा इतना योगदान तो है. धीरे-धीरे हमने इन्हें मजबूर किया है. ये लोग जाति-धर्म के नाम पर चुनाव लड़ते थे.

उन्होंने कहा कि हमने दिल्ली में अपने सारे उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. जब हम टिकट की घोषणा कर रहे थे, तो हमारी बातचीत में कभी यह नहीं आता कि कोई सीट इस जाति की है, इसलिए उस जाति को दे दो. केवल परफॉर्मेंस के आधार पर हमारी टिकटें बांटी जाती हैं. हम केवल यह देखते हैं कि कौन काम कर रहा है. किसको जनता पसंद कर रही है. हमने इस देश के अंदर यह साबित किया है कि केवल गवर्नेंस के आधार पर चुनाव लड़े जा सकते हैं और गवर्नेंस के दम पर चुनाव जीते जा सकते हैं.

'आप' प्रमुख ने कहा कि पहले कहा जाता था कि केवल धर्म के नाम पर ही चुनाव लड़ा जा सकता है. यही कारण है कि दिल्ली में अब इतनी ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं चलती है. 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में इन्होंने कितना शाहीन बाग करने की कोशिश की थी, लेकिन स्कूल और अस्पतालों ने इनके शाहीन बाग के नारे को हरा दिया. यह बहुत बड़ी बात है. इनके इतना शाहीन बाग करने के बाद भी हमारी 70 में से 62 सीट आईं. और ये लोग दिल्ली में केवल आठ सीटें ले पाए.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जनता की मूलभूत समस्या पर ध्यान देना सबसे जरूरी है. हम कुछ तो अच्छा कर ही रहे होंगे, क्योंकि हम जो भी काम कर रहे हैं, वह जनता को पसंद आ रहा है. तीन बार तो हम दिल्ली में चुनाव जीत चुके. अब चौथा चुनाव है. इसमें भी जनता कह रही है कि सरकार तो आम आदमी पार्टी की ही बनेगी. दो-चार सीटें ऊपर-नीचे हो सकती हैं. अब हम दिल्ली में चौथी बार सरकार बनाने जा रहे हैं. उसी के आधार पर पंजाब में सरकार बन गई. उसी के आधार पर गुजरात में हमारे पांच विधायक आ गए. गोवा में दो एमएलए आ गए. उसी के दम पर आज जम्मू-कश्मीर में हमारा एक विधायक आ गया. इसलिए जिन मूलभूत समस्याओं के बारे में हम चर्चा करते हैं, वे सबसे जरूरी बात हैं.

'ईमानदारी से काम करके दिल्ली में खूब पैसा बचाया'

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली मॉडल ऑफ गवर्नेंस में ईमानदारी बहुत जरूरी है. ईमानदारी होनी चाहिए. लेकिन सबसे जरूरी बात है कि इतने स्कूल, अस्पताल बनाने और फ्री शिक्षा और इलाज देने के लिए पैसा कहां से आएगा. फ्री में बिजली, पानी और बस यात्रा, बुजुर्गों को मुफ्त में तीर्थ यात्रा कराने और महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये देने के लिए पैसा कहां से आएगा? पैसा तभी आएगा जब ईमानदारी से काम करके पैसा बचाओगे. हमने ईमानदारी से काम करके दिल्ली में खूब पैसा बचाया और उसी पैसे से हमने न केवल लोगों की मूलभूत समस्याएं दूर की, बल्कि मैं चैलेंज के साथ कह सकता हूं कि पिछले दस साल के अंदर दिल्ली में जितना इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हुआ है, उतना पिछले 65 साल के अंदर भी नहीं हुआ था.

उन्होंने कहा कि पिछले 65 साल में दिल्ली के अंदर 62 फ्लाईओवर बने. हमारी सरकार 2015 में बनी थी. आजादी के बाद पहले 65 साल में दिल्ली के अंदर 62 फ्लाईओवर बने थे. वहीं हमारे 10 साल में दिल्ली के अंदर 38 नए फ्लाईओवर बने हैं. हमारी सरकार से पहले दिल्ली में 200 किलोमीटर मेट्रो बनी थी. वहीं हमारी 10 साल की सरकार में 250 किलोमीटर मेट्रो लाइन और बनी. जिससे करीब 450 किलोमीटर मेट्रो लाइन हो गई. हमने पिछले 10 साल में 10 हजार किलोमीटर की नई सड़कें बनवाई हैं. 6800 किलोमीटर की नई सीवर लाइन डलवाई हैं.

पूर्व सीएम ने कहा कि 4 हजार किलोमीटर पानी की नई पाइप लाइन डलवाई है. 4 लाख नई स्ट्रीट लाइट लगवाई हैं. पहले दिल्ली में केवल 66 हजार स्ट्रीट लाइट थीं. पहले मुश्किल से 10 से 15 हजार सीसीटीवी कैमरे होते थे. हमने पूरी दिल्ली में 3 लाख सीसीटीवी कैमरे लगवाए हैं. आज दिल्ली में प्रति वर्ग किलोमीटर डेंसिटी के हिसाब से लंदन, न्यूयॉर्क, टोक्यो, फ्रांस, पेरिस समेत दुनिया के किसी भी शहर से डेंसिटी के आधार पर सबसे ज्यादा सीसीटीवी कैमरे हैं.

अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि वहीं हम देखें कि उनका मॉडल ऑफ गवर्नेंस क्या है? उनका मॉडल ऑफ गवर्नेंस मूलतः इस पर है कि सरकारी पैसा कहां खर्च होना चाहिए? ये लोग कहते हैं कि सारा सरकारी पैसा कुछ टॉप के कॉर्पाेरेट और कंपनियों को दे दो. और वहां से फिर वो ट्रिकल-डाउन थ्योरी के हिसाब से नीचे वालों तक पहुंचेगा. जिसने भी यह ट्रिकल-डाउन थ्योरी बनाई है, उसने बहुत शातिर काम किया है. उसने भ्रष्टाचार के रूप को बताने के लिए बड़े अच्छे शब्दों का इस्तेमाल करके एक ट्रिकल-डाउन थ्योरी बनाई कि जो सरकार है, आप उन्हें खूब पैसा दो और बदले में वो तुम्हें डोनेशन देंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार इन्हें टैक्स में छूट दे देगी, लोन माफ कर देगी. लेकिन वहीं इनसे स्कूल ठीक करने के लिए बोलो तो कहेंगे कि नहीं-नहीं हम इन्हें टैक्स में छूट दे रहे हैं, लोन माफ कर रहे हैं. इन्होंने 15 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ कर दिए. लेकिन, वहीं जब स्कूल ठीक करने को बोलते हैं तो ये कहते हैं कि इनके पास पैसे नहीं हैं. सरकार ने इन्हें करीब 1 लाख करोड़ रुपये की टैक्स में छूट दी है. लेकिन, जब हम उनसे किसी काम के लिए कहते हैं तो ये बोलते हैं कि पैसे नहीं हैं.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दरअसल ये लोग सारा पैसा टॉप के कुछ कॉर्पाेरेट को देना चाहते हैं. उनको देते रहते हैं और कहते हैं कि धीरे-धीरे बूंद-बूंद करके जनता तक पैसा पहुंचेगा. कहते हैं कि ये बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री लगाएंगे, उसमें लोगों को नौकरियां मिलेंगी और जब नौकरियां मिलेंगी तो लोगों के पास पैसा आएगा. लेकिन, हमारा इससे बिल्कुल उल्टा मॉडल है. हमारा मॉडल जनता को शिक्षित करने पर फोकस है. ह्यूमन कैपिटल पर निवेश करो. आप जनता को शिक्षा दो, जनता को स्वास्थ्य सेवाएं दो.

उन्होंने कहा कि इस देश की जनता को तैयार करो और एक आम आदमी की जेब में पैसा डालो. एक आम आदमी की जेब में पैसा डालोगे तो अर्थव्यवस्था के अंदर डिमांड पैदा होगी. जब डिमांड बढ़ेगी तो अर्थव्यवस्था की प्रोडक्शन बढ़ेगी. फिर उसी से लोगों को रोजगार मिलेगा और देश का विकास होगा. यह हमारी इकोनॉमी का मॉडल है.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने दिल्ली में 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी. एक आम आदमी को महंगाई से थोड़ी राहत दी. क्या पूरे देश की बिजली फ्री की जा सकती है? बिल्कुल की जा सकती है. मैंने सारा कैलकुलेशन किया है. 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इतना पैसा तो ये लोग एक आदमी को ही दे देते हैं. क्या देश के सारे स्कूलों को ठीक किया जा सकता है? बिल्कुल किया जा सकता है. देश में 10 लाख सरकारी स्कूल हैं. 18 करोड़ बच्चे पढ़ते हैं. इसमें कुल 5 लाख करोड़ रुपे का खर्च आएगा.

'आप' संयोजक ने कहा कि देश के सारे, छोटे से छोटे गांव के अंदर भी सरकारी स्कूल ठीक हो जाएंगे और प्राइवेट से भी अच्छे हो जाएंगे. इनके लिए 5 लाख करोड़ रुपये तो कुछ भी नहीं है. क्या देश के सारे सरकारी अस्पतालों को ठीक किया जा सकता है? बिल्कुल किया जा सकता है. उसमें पांच लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इतने से पैसों में देश के अंदर इतना जबरदस्त विकास हो सकता है. लेकिन इनकी नीयत नहीं है. मैं हमेशा कहता हूं कि सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है, नीयत की कमी है.

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