Delhi Vidhan Sabha 2025: विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ी राजधानी दिल्ली में जीत हासिल कर सत्ता पर काबिज होने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने हर एक विधानसभा सीट का विश्लेषण करने के बाद वहां पर अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. इसके बाद यहां जीत दर्ज करने के लिए तमाम उपायों किए जा रहे हैं. कालकाजी विधानसभा सीट की जहां ढाई दशक से भी ज्यादा समय से जीत के लिए बीजेपी तरस रही है, जबकि इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद पहली जीत बीजेपी ने ही दर्ज की थी.
बीजेपी की पूर्णिमा सेठी यहां से पहली विधायक बनीं. लेकिन, उसके बाद के चुनावों में लगातार बीजेपी को हार के मुंह देखना पड़ा. इस हार के सिलसिले और 26 साल से चले आ रहे अपने वनवास को तोड़ने के लिए बीजेपी ने पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी पर दांव लगाया है. कालकाजी विधानसभा सीट पर अस्तित्व में आने के बाद 1993 में पहला चुनाव हुआ था, जिसमें बीजेपी की पूर्णिमा सेठी ने कांग्रेस के सुभाष चोपड़ा को मात देकर पहली जीत दर्ज की थी.
पूर्णिमा को 22468 और सुभाष को 18456 वोट मिले थे और उन्होंने चोपड़ा को 4012 मतों से मात दी थी. लेकिन, उसके बाद हुए चुनावों में लगातार बीजेपी को मात खानी पड़ी. जहां तीन चुनावों में लगातार कांग्रेस ने बीजेपी को पटखनी दी, तो वहीं 2013 में यह सीट अकाली दल के खाते में रही. लेकिन, उसके बाद 2015 और फिर 2020 में लगातार आम आदमी पार्टी ने यहां से जीत दर्ज की और आम आदमी पार्टी की वर्तमान विधायक और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी कालकाजी से लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ने जा रही हैं.
पूर्व साथी को चुनौती देंगी अलका लांबा
आतिशी के खिलाफ बीजेपी के पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी और आप का साथ छोड़ कर वापस कांग्रेस में शामिल हुईं आप की पूर्व विधायक अलका लांबा चुनावी मैदान में उतर रही हैं. कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाली अलका लांबा ने कांग्रेस का हाथ छोड़ कर आप का दामन थाम लिया था और 2015 में वे चांदनी चौक से आप की विधायक भी रही थीं, लेकिन 2019 में उन्होंने कांग्रेस में वापसी कर ली और अब अपनी ही साथी रहीं आतिशी के सामने चुनौती पेश कर रही हैं.
वहीं, रमेश बिधूड़ी, बीजेपी के कद्दावर नेता और तुगलकाबाद विधानसभा सीट से लगातार तीन बार विधायक रहने के बाद, दक्षिणी दिल्ली से दो बार सांसद भी रह चुके हैं और इनके जीत का रिकॉर्ड काफी शानदार रहा है. शायद यही वजह है कि बीजेपी नेतृत्व ने बिधूड़ी पर भरोसा जताते हुए उन पर बड़ा दांव लगाया है, ताकि उनका ढाई दशक से चला आ रहा वनवास खत्म हो सके.
पांच बार दूसरे नंबर रही है बीजेपी
ये इतना भी आसान नहीं होने जा रहा, क्योंकि उनके सामने सबसे मजबूत चुनौती होंगी वर्तमान मुख्यमंत्री और आप की वर्तमान विधायक आतिशी, जिन्हें यहां से लोगों का अच्छा-खासा समर्थन मिला है. ऐसे में बीजेपी का यह दांव कितना कारगर होता है, यह देखना काफी दिलचस्प होगा.
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