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नई दिल्ली हॉट सीट! जो जीता वो बना मुख्यमंत्री, जानें क्या है इस विधानसभा का इतिहास

Delhi Assembly Election: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट हॉट सीट मानी जा रही है. पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को चुनौती देने के लिए इस पर दो पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे चुनावी मैदान में हैं. 

Delhi Assembly Election 2025: नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र दिल्ली की राजनीति में काफी अहम स्थान रखता है. यह सीट हमेशा से ही हाई प्रोफाइल मानी जाती रही है और इस विधानसभा क्षेत्र के 1993 अस्तित्व में आने के बाद से अब तक के इतिहास और जीत के आंकड़े भी काफी दिलचस्प रहे हैं. यहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला बराबरी का रहा है.

अस्तित्व में आने के बाद से अब तक के हुए 7 चुनावों में से तीन-तीन चुनाव कांग्रेस और आप के नाम रहे हैं, जबकि यहां पहली बार हुए चुनाव में बीजेपी ने बाजी मारी थी. दिलचस्प बात यह है कि 6 चुनाव में जिस भी पार्टी के उम्मीदवार ने यहां से जीत दर्ज की, उसी की सरकार बनी और वह दिल्ली का मुख्यमंत्री बना.

इस सीट पर क्या है जीत का इतिहास?

कभी कांग्रेस और शीला दीक्षित का गढ़ रही यह सीट बीते तीन चुनाव से आप और केजरीवाल का मजबूत किला बना हुआ है. केजरीवाल ने पहली बार शीला दीक्षित को हरा कर दिल्ली की सत्ता हांसिल की थी और तब से वे लगातार तीन बार यहां से जीत कर मुख्यमंत्री बन चुके हैं, जबकि चौथी बार भी वे यहां से चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल को चुनौती दे रहे दो पूर्व सीएम के बेटे

लेकिन इस बार यहां पर होने जा रहे त्रिकोणीय मुकाबले में केजरीवाल की जीत की राह बिल्कुल भी आसान नहीं होने जा रही. क्योंकि यहां से आप के दोनों ही विरोधी दलों ने पूर्व सांसद और पूर्व सीएम के बेटों को चुनावी मैदान के उतारा है, जो केजरीवाल के चुनावी रथ को रोक सकते हैं और उन दोनों को ही पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा भी माना जा रहा है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, क्या है इस सीट का समीकरण और क्यों इसे दिल्ली की हॉट सीट मानते हैं.

नई दिल्ली विधानसभा में कई VIP इलाके 

सबसे पहले बात करते हैं इस विधानसभा क्षेत्र की लोकेलिटी की जो है दिल्ली के केंद्र में और यहां कई वीआईपी इलाके आते हैं, जिनमें कनॉट प्लेस, लुटियन्स दिल्ली और सरकारी कार्यालयों वाले क्षेत्र शामिल हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के अधिकतर मतदाता शिक्षित और आर्थिक रूप से संपन्न हैं, जिनमें सरकारी अधिकारी, कारोबारी और वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं. बात करें, जातीय समीकरण की तो यहां ब्राह्मण मतदाताओं का विशेष प्रभाव है.

बीजेपी और कांग्रेस के परंपरागत समर्थक माने जाने वाला या वर्ग आम आदमी पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद से उनके सपोर्ट में वोट कर रहा है, यही वजह है कि, केजरीवाल यहां से जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं. इसके अलावा यहां पंजाबी, खत्री और दलित मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है.

दिल्ली को मुख्यमंत्री देने वाला यह सीट, इस बार किसके सिर और जीत का सेहरा बांधेगी यह तो आने वाले चुनाव के बाद ही साफ हो पायेगा, लेकिन केजरीवाल के विरोध में चुनावी मैदान में उतर रहे बीजेपी के प्रवेश वर्मा, जो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं और दो बार के सांसद रहे चूके हैं और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित केजरीवाल को इस त्रिकोणीय मुकाबले में बड़ी टेंशन देते नजर आ रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल पर हमलावर हैं दोनों उम्मीदवार

इस सीट से बीजेपी द्वारा उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ही प्रवेश वर्मा एक्टिव मोड़ में आ गए हैं, और लगातार केजरीवाल पर हमलावर बने हुए हैं. जिंसमें वे केजरीवाल के शीशमहल का मुद्दा, दिल्ली की जनता की समस्याओं और ध्यान नहीं देने का मुद्दा उठाते हुए जनता के टैक्स के पैसों को गलत तरीके से खर्च करने का आरोप लगा रहे हैं. उनकी जीत होने पर वे क्षेत्र की जनता के लिए किए जाने वाले चुनावी वादों की गिनती भी कराते नजर आ रहे हैं.

वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार संदीप दीक्षित भी केजरीवाल के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं. भ्र्ष्टाचार, शराब घोटाला, दिल्ली की बदहाली जैसे मुद्दे उठा कर वे केजरीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी करते दिख रहे हैं. अब देखना ये दिलचस्प होगा कि 2025 के दिल्ली चुनाव में क्या यहां की जनता एक बार फिर केजरीवाल को आशीर्वाद देकर चौथी बार मुख्यमंत्री बनाती है या फिर, तीन-तीन चुनाव में जीत दिलाने के बाद, किसी और के सिर जीत का सेहरा बांधती है.

यह भी पढ़ें: 'महिलाओं के प्रति इतनी...', प्रियंका गांधी को लेकर रमेश बिधूड़ी के बयान पर भड़के मनीष सिसोदिया

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