Delhi Vidhan Sabha Election 2025: दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में चुनाव का बिगुल बज गया है. पिछले तीन बार के चुनावों की तरह इस बार भी मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही बताया जा रहा है. हालांकि, इस बार कांग्रेस पार्टी करीब एक दशक के बाद पूरी ताकत से दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस नेताओं की कोशिश चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की है. यही वजह है कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव इस बार सबसे ज्यादा रोचक हो गया है.
इससे भी ज्यादा रोचक यह है कि नई दिल्ली सीट से जिस पार्टी का प्रत्याशी जीतता है, उसी की सरकार बनती है. इसे आप सियासी संयोग भी कह सकते हैं. ऐसा इसलिए कि 1993 में जब दिल्ली में पहली बार विधानसभा गठित हुई तो इस सीट से बीजेपी के कीर्ति झा आजाद विधानसभा चुनाव जीते थे. उस समय बीजेपी के नेता मदन लाल खुराना सीएम बने थे. उसके बाद उसी टर्म में साहिब सिंह वर्मा और फिर सुषमा स्वराज भी सीएम बनीं.
यहां इस बात का जिक्र कर दें कि जिस नई दिल्ली सीट की हम बात कर रहे हैं, उसे 2008 के चुनावी परिसीमन से पहले गोल मार्केट सीट के नाम से लोग जानते थे. साल 2008 में सीट का नाम बदलकर नई दिल्ली कर दिया गया.
1993 के बाद 1998 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली (गोल मार्केट) से क्रिकेटर कीर्ति झा आजाद की पत्नी पूनम आजाद को हराकर शीला दीक्षित गोल मार्किट (नई दिल्ली) सीट से चुनाव जीतीं. साल 2003 में भी वह गोल मार्केट से विधायक चुनी गई. साल 2008 में जब परिसीमन के बाद गोल मार्केट सीट का नाम बदलकर नई दिल्ली हो गया तो शीला दीक्षित ही वहां से से चुनाव जीतीं.
उसके बाद नई दिल्ली सीट से 2013, 2015 और 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में लगातार अरविंद केजरीवाल चुनाव जीतते आए हैं. वही, हर बार दिल्ली के सीएम भी बने हैं.
इस बार भी चुनाव आयोग ने 7 जनवरी 2025 को दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का ऐलान कर दिया है. इस बार नई दिल्ली सीट से आप की ओर से प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल हैं. कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित और बीजेपी की ओर से प्रवेश वर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है. प्रवेश वर्मा पूर्व सीएम साहिब वर्मा के बेटे हैं. प्रवेश और संदीप दोनों पूर्व सीएम के बेटे हैं. इस बार नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल के लिए टफ फाइट माना जा रहा हैं. हालांकि, अभी भी उन्हीं कमतर नहीं आंका जा सकता, लेकिन इस बार चुनावी समीकरण लगातार बदल रहे हैं.
क्या है नई दिल्ली सीट का इतिहास?
देश की राजधानी नई दिल्ली दिल्ली (NCT) का एक हिस्सा है. यह विधानसभा सीट भी है. नई दिल्ली क्षेत्र में ही राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट स्थित हैं. नई दिल्ली के भीतर नगर पालिका (एनडीएमसी) है. एनडीएमसी (NDMC) क्षेत्र में लुटियन जोन के लगभग सभी इलाके आते हैं.
प्रशासनिक लिहाज से नई दिल्ली नगरपालिका परिषर नई दिल्ली जिले का हिस्सा है. नई दिल्ली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 2008 परिसीमन से पहले गोले मार्केट निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता था. यह दिल्ली के 70 दिल्ली विधानसभा सीटों में से एक है. नई दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा भी है. इस निर्वाचन क्षेत्र का गठन साल 2008 में परिसीमन के बाद हुआ था.
साल 1991 प्रधानंत्री नरसिम्हा राव के कार्यकाल में संविधान में 69वां संशोधन कर दिल्ली के लिए विधानसभा की व्यवस्था की गई. 1992 में दिल्ली में परिसीमन हुआ. 1993 में दिल्ली की पहली विधानसभा गठित हुई. तब से दिल्ली में हर 5 साल पर विधानसभा के लिए इलेक्शन होते आ रहे हैं. इस बार 5 फरवरी 2025 को वोट डाले जाएंगे और 8 फरवरी को मतगणना के बाद नतीजों का ऐलान होगा.