Delhi Election 2025: क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा होंगे संदीप दीक्षित, इन संकेतों से समझें
Delhi Assembly Election 2025: कांग्रेस ने नई दिल्ली सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बाटे संदीप दीक्षित को अपना उम्मीदवार बनाया है. अब सवाल है कि क्या कांग्रेस संदीप दीक्षित को चेहरा बना रही है?
Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो चुकी है. इस चुनाव में अब दो महीने से भी कम का वक्त बचा है. इस बीच कांग्रेस की ओर से उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है. इसमें संदीप दीक्षित का नाम भी शामिल है. पार्टी ने उन्हें राजधानी दिल्ली की नई दिल्ली सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. ऐसे में अब इस बात की भी चर्चा तेज हो गई है कि क्या वे कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे.
ईस्ट दिल्ली से साल 2004 और 2009 में सांसद रहे संदीप दीक्षित की दिल्ली की सत्ता पर पहले भी दावेदारी रही है. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वह अपनी मां शीला दीक्षित के साथ मिलकर दिल्ली की राजनीति में दिलचस्पी लेते रहे हैं. ऐसे अब उन्हें अपनी मां की सीट से टिकट देकर कांग्रेस ने इस सवाल को बल दे दिया है कि वह उनकी जगह ले सकते हैं. हालांकि यहां उनकी राह आसान नहीं होगी.
क्या मां की हार का बदला ले पाएंगे संदीप दीक्षित?
नई दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद कजरीवाल चुनाव लड़ते हैं. केजरीवाल ने इस सीट पर साल 2013 के अपने पहले चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हरा चुके हैं. साल 2013 के विधनसभा चुनाव में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे अरविंद केजरीवाल को करीब 6 हजार वोटों से जीत मिली थी. लेकिन, उसके बाद साल 2015 में वह यहां से करीब 31 हजार मतों से जीते थे. हालांकि, साल 2020 के चुनाव में यह आंकड़ा फीका पड़ गया और तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे अरविंद केजीरवाल को यहां 21,697 वोटों से जीत हासिल हुई.
कांग्रेस में गुटबाजी ने संदीप दीक्षित का रास्ता रोका!
शीला दीक्षित तीन पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रही हैं. साल 1998 से 2013 तक उन्होंने देश की राजधानी में सत्ता को चलाया है. उनके निधन के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर संदीप दीक्षित को दिल्ली की कमान देने की बात कई बार उठ चुकी है. लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय माकन गुट की रजामंदी न होने के कारण संदीप दीक्षित को आगे नहीं आने दिया गया.
आसान नहीं होगा खोई हुई जमीन तलाशना!
संदीप दीक्षित के लिए अपनी मां के काम के नाम पर वोट मांगना और कांग्रेस की विचारधारा को आगे रखकर चुनाव लड़ना कोई आसान काम नहीं होगा.
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