Delhi Assembly Session News: दिल्ली विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र आज यानी सोमवार से शुरू हो रहा है. यह सत्र एलजी वीके सक्सेना (LG VK Saxena)और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार के बीच कामकाज के तरीके और एमसीडी (MCD) के मसले पर जारी घमासान के बीच हो रहा है. कुछ देर के बाद विधानसभा सत्र (Delhi Assembly Session) बाद शुरू हो जाएगा. इस बार विधानसभा का सत्र काफी हंगामेदार होने की आशंका है. 


विशेष तौर से दिल्ली सरकार (Delhi government) के कामकाज में हस्तक्षेप और एमसीडी के मसले पर एलजी की मनमर्जी को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं में गहरा असंतोष है. तय है कि आप के नाराज विधायक इन मसलों पर एलजी वीके सक्सेना पर हमला बोलने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे. दूसरी तरफ बीजेपी की केजरीवाल सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार खासकर सत्येंद्र जैन और आबकारी घोटाले के मसले को जोरदार तरीके से उठाने की तैयारी है. या​नि छोटे से सत्र में भी दिल्ली विधानसभा में हंगामा लगभग तय है. हालांकि, आप सरकार के पास प्रचंड बहुमत होने की वजह से सदन में उसे अपने हिसाब से विधेयक व प्रस्ताव को पास कराने में परेशानी नहीं होगी.


भ्रष्टाचार के मसले पर सरकार को घेरने की तैयारी 
बीजेपी के नेताओं का आरोप है कि विधानसभा सत्र में जनता के मुद्दे गायब होते हैं. सत्र का समय बहुत कम रखा गया है. केजरीवाल सरकार न तो प्रश्नकाल रखा गया है न ही विपक्ष को बोलने का मौका दिया जाता है. वहीं, विपक्ष आवाज दबाने व संविधान के तहत सत्र नहीं बुलाने को लेकर भी सरकार को घेरने की मन बना चुका है. दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि सरकार ने तीन दिन का विधानसभा सत्र बुलाया है. यह सत्र भारत के संविधान का उल्लंघन करते हुए बुलाया गया है. नियम के अनुसार एक साल में सदन में बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र बुलाना जरूरी होता है, मगर ऐसा नहीं हो रहा है. हर सत्र में प्रश्नकाल की व्यवस्था होती है, जिसमें जनप्रतिनिधि जनता के मुद्दों को उठाते हैं, लेकिन इसका मौका नहीं दिया गया है. इस सत्र में प्रश्न काल नहीं रखा गया है. 


सत्तापक्ष के निशाने पर होंगे एलजी 
वहीं सत्ता पक्ष ने विपक्ष के आरापों को नकारते हुए कहा कि हम जनहित में ही काम कर रहे हैं. विधानसभा का सत्र 16, 17 और 18 जनवरी तक चलेगा. जरूरत पड़ने पर सत्र को आगे बढ़ाया जा सकता है. तीन दिवसीय दिन के दौरान केजरीवाल सरकार वित्तीय वर्ष 2022-23 का संशोधित बजट का अनुमान पेश करेगी. उसमें योजनाओं को लेकर अतिरिक्त फंड भी दिया जाएगा. इसके अलावा विधानसभा समितियों की कुछ रिपोर्ट भी सदन पटल पर रखी जा सकती हैं. एलजी के सरकार के रोजमर्रा के कामकाज में हस्तक्षेप, नौकरशाही के जरिए काम रुकवाने के मुदे को भी सत्ता पक्ष के नेता उठा सकते हैं. इसके अलावा, सदन में चुनी हुई सरकार के अधिकार व उपराज्यपाल के लिए संविधान में निर्धारित अधिकारों पर भी चर्चा होगी. 


बता दें कि इस मसले पर केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच लंबे अरसे से तनातनी जारी है. तनातनी का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि दिल्ली की कई विकास परियोजनाएं दोनों के बीच तकरार की वजह से रुकी हुई हैं. एमसीडी में एल्डरमैन काउंसलर से लेकर महापौर चुनाव में देरी का मुद्दा पर विधानसभा में उठाने की तैयारी सत्ता पक्ष की है. 


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