Delhi Assembly Session: 'सीवर डालने के लिए आए 1500 करोड़ रुपये सैलरी में बंटे', सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली विधानसभा में बताया DJB का लेखा-जोखा
Delhi Vidhan Sabha Satra: सौरभ भारद्वाज ने सदन में बताया कि, 4600 करोड़ इस साल का जल बोर्ड का बजट है, लेकिन हमारी आमदनी होती है करीब 1200 करोड़. ऐस में जाहिर है कि हर साल घाटे में जाएंगे.
Delhi News: दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र आज से शुरू हो गया है. बुधवार को सदन की कार्यवाही के दौरान मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने दिल्ली में हो रही पानी की समस्या और जल बोर्ड में फंड की कमी को लेकर अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि, अगर किसी इलाके में पानी नहीं आ रहा तो पब्लिक विधायक के ही ऑफिस में पहुंचती है. रामबीर बिधुड़ी ने सहायता की भी बात कही, लेकिन समस्या समझना जरूरी है.
भारद्वाज ने बताया कि यह समस्या पिछले साल शुरू हुई. दिल्ली जल बोर्ड की आमदनी बिलों के भुगतान से होती है. कोरोना के दौरान मीटर रीडिंग नहीं हुई, लेकिन खर्च होता रहा. बहुत पहले हमने अगर 1500 करोड़ रुपए मांगे तो वो फाइलों में घूमता रहा. वो मिला नहीं फिर कुछ समय बाद 2000 करोड़ मांगा तो कहा गया कि 1500 करोड़ दे तो दिया है, जबकि वो मिला नहीं था.
'जो पैसा मिला सैलरी देने में गया'
वहीं 2023-24 में हम 824 करोड़ की देनदारी के साथ घुसे जो पैसा मार्च में मिलना था नहीं मिला. हमने बहुत मांगा तो मई में 25 फीसदी पैसा मिला, जो कर्मचारियों की सैलरी में खर्च हो गया. ऐसा नहीं है कि सरकार के पास पैसा नहीं है. सरकार के पास बहुत पैसा है, जल बोर्ड के पास भी पैसा है लेकिन फाइनेंस डिपार्टमेंट पैसे दे नहीं रहा है. हम अधिकारियों को सिर्फ इसलिए माफ नहीं कर सकते कि उन पर ऊपर से दबाव है. वे अधिकारी सैलरी लेते हैं, उनकी जवाबदेही है. हरियाणा-यूपी से पानी नहीं बढ़ा, हमने अपने इंटरनल सोर्सेज से पानी का प्रोडक्शन बढ़ाया है. यमुना की सफाई करनी है तो अन ऑथोराइज्ड कॉलोनी में सीवर लाइन डालनी पड़ेगी. 2014-15 में 220 से बढ़ाकर अभी 700 से ज़्यादा अन ऑथोराइज्ड कॉलोनियों में हम सीवर लाइन डाल चुके हैं. बड़े लेवल पर प्लांट डाल रहे हैं, इतने काम कर रहे हैं तो बजट की जरूरत तो पड़ेगी.
'आमदनी कम होने से हर साल घाटा'
बता दें कि, 4600 करोड़ इस साल का जल बोर्ड का बजट है, लेकिन हमारी आमदनी होती है करीब 1200 करोड़, ऐसे में जाहिर है कि हर साल घाटे में जाएंगे. हर पब्लिक इंस्टिट्यूट घाटे में जाते हैं. हाथिनीकुंड बैराज से कई राज्यों के लिए पानी का बंटवारा होता है. जितना पानी का हिस्सा हिमाचल का है वो चाह कर भी हिमाचल नहीं लेकर जा पाता, क्योंकि वो ऊंचाई पर है. वो पानी हरियाणा को मिल जाता है. हमने हिमाचल से MoU किया कि आपके हिस्से का पानी हम खरीद लेंगे. हिमाचल तैयार हो गया, लेकिन हरियाणा ने मना कर दिया कि हम तुम्हें रास्ता नहीं देंगे पानी लेकर जाने का. यूपी को हमारा प्रस्ताव था कि हम आपको ट्रिटेड वाटर देंगे क्योंकि आपको खेतों के लिए चाहिए और उसके बदले आप हमें पीने का पानी दे दो.
'फाइनेंस डिपार्टमेंट नहीं दे रहा पैसा'
अधिकारियों के लेवल पर यह अच्छी बात हो रही थी, लेकिन जिस दिन यह फाइल सीएम योगी के पास गई उन्होंने मना कर दिया. हमारा कनाल भी बना हुआ है, उसी के रास्ते पानी चाहिए था. आप (रामबीर बिधुड़ी को संबोधित करते हुए) बात करो हरियाणा और यूपी से, करेंगे आप? दिल्ली वालों का पैसा फाइनेंस डिपार्टमेंट नहीं दे रहा, इसके लिए एलजी से बात करो आप. करेंगे आप? एलजी को एक अधिकारी को हटाना था तो रैन बसेरे की गंदी चादर के बहाने DUSIB के उस अधिकारी को हटा दिया, लेकिन अधिकारियों द्वारा पेंशन रोका गया, अस्पतालों के OPD काउंटर पर काम बाधित हुआ, मोहल्ला क्लिनिक की दवाई रोकी गई, लेकिन एलजी ने किसी अधिकारी को नहीं हटाया. आज फंड की कमी के कारण जल बोर्ड के एक दर्जन प्रोजेक्ट रुके हुए हैं.