Delhi News: दिल्ली नगर निगम में अब तक स्थायी समिति के साथ-साथ कई अनिवार्य वैधानिक समितियों और क्षेत्रीय समितियों का गठन नहीं हो पाया है. इसे लेकर निगम में विपक्षी दलों के पार्षदों में काफी गुस्सा है और इसका आरोप मेयर शैली ओबरॉय (Shelly Oberoi) पर किया जा रहा है. बीजेपी ने भी अब तक सभी आवश्यक समितियों के गठित न हो पाने को लेकर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और मेयर शैली ओबरॉय की निंदा की है. इसके अलावा विपक्षी पार्षदों के बिना नगर निगम के अधिकारियों के साथ जोनल वार्ड पार्षद स्तर की मीटिंग बुलाने पर भी बीजेपी ने आप की आलोचना की है.


दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि आम आदमी पार्टी और मेयर शैली ओबरॉय ने बाजेपी और अन्य विपक्षी पार्षदों को बैठकों में आमंत्रित किए बिना नगर निगम के अधिकारियों के साथ जोनल वार्ड पार्षद स्तर की बैठकें बुलाकर परंपराओं का उल्लंघन किया है. बीजेपी प्रवक्ता ने मेयर का ध्यान डी.एम.सी. एक्ट 1957 की धारा 68 की तरफ खींचते हुए कहा कि स्थायी समिति एक ऐसी समिति है, जो नगर निगम चुनावों के बाद नई समिति के गठन होने तक बनी रहती है. यानी नए चुनाव के बाद भी नई समिति के चुने जाने तक पुराने सदन की स्थायी समिति काम करती रहती है.


मेयर स्थायी समिति के गठन में डाल रहीं बाधा
दुर्भाग्य से चूंकि यह तीनों एमसीडी के एकीकरण के बाद बना एक नया सदन है. इसलिए इसमें स्थायी समिति नहीं है और 22 फरवरी को हुए स्थायी समिति के चुनाव के परिणाम को अवैध रूप से अस्वीकार करके मेयर और सत्तारूढ़ दल ने स्थायी समिति के संवैधानिक गठन में बाधा डाली है. उन्होंने कहा कि इसी तरह से मेयर ने अनिवार्य जोनल वार्ड समितियों और शिक्षा समिति और ग्रामीण समिति जैसी अन्य वैधानिक समितियों के गठन की अनुमति नहीं दी है. इससे विकास कार्य रुके हुए हैं और संविदा कर्मचारियों के अनुबंधों का उचित नवीनीकरण भी नहीं हो रहा है. बीजेपी प्रवक्ता ने मेयर से डी.एम.सी. एकट 1957 के अनुसार काम करने और क्षेत्रीय बैठकों के लिए बीजेपी पार्षदों को आमंत्रित करके महापौर के उच्च पद की परंपराओं को बनाए रखने के अलावा स्थायी समिति, क्षेत्रीय वार्ड समितियों और अन्य वैधानिक समितियों के तत्काल गठन की अनुमति देने का आग्रह किया है.


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