Delhi News: दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने दिल्ली जल बोर्ड में हुए घपलों की जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि CAG की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 के दिल्ली जल बोर्ड में भारी घपला हुआ है. इस घोटाले की विधानसभा में चर्चा कराने की जरूरत है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष के मुताबिक जल बोर्ड ने साल 2017-18 वित्तिय वर्ष में कुल घाटा 766.31 करोड़ रुपये बताया है. जबकि ऑडिट के बाद 1933.07 करोड़ रुपये का घाटा सामने आया है. 


बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि CAG ऑडिट के अनुसार जल बोर्ड के पूरे खाते नहीं उपलब्ध कराए जा रहे हैं और जो खाते दिखाए जा रहे हैं, वह विश्वसनीय नहीं हैं. उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार वित्तीय वर्ष के खत्म होते ही अगले तीन महिने में खाते CAG के पास जमा कराना होता है, लेकिन ऑडिट के अनुसार 2015 से कोई खाता नहीं जमा किया गया. जबकि खाते 2021 में लिखे गए. इतना ही नहीं, जलबोर्ड ने साल 2017-18 वित्तिय वर्ष में कुल घाटा 766.31 करोड़ रुपये बताया था. जबकि ऑडिट के बाद इस घाटे के 1933.07 करोड़ रुपये होने का पता चला.


6558.41 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं


बीजेपी नेता सचदेवा के मुताबिक जलबोर्ड ने CAG को लिखित में कहा है कि बोर्ड 9306.20 करोड़ रुपये का घाटे में हैं, लेकिन जब खाते जमा कराया गया तो उसमें 2747.79 करोड़ रुपये का ही हिसाब मिला. मतलब साफ है कि 6558.41 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं है. उन्होंने कहा कि जल बोर्ड ने मुताबिक 10.12 करोड़ रुपये कैश इन हैंड है, लेकिन जब इसकी ऑडिट की गई तो मात्र 58 लाख रुपये का ही हिसाब मिल पाया है. यानि अपने ही दिए लिखित हिसाब के अनुसार जलबोर्ड कुल 9.54 करोड़ रुपये का जवाब देने में असमर्थ है.


CAG के 21 पत्रों के पत्र का जल बोर्ड ने नहीं दिया जवाब


उन्होंने कहा कि जलबोर्ड द्वारा 974.58 करोड़ रुपये के चेक इन ट्रांजिट दिखाए गए हैं, जबकि केवल 8.06 करोड़ रुपये के चेक की पुष्टी हुई है. दिल्ली सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि हमारे पास कुल लोन 26238 करोड़ और उस पर इंटरेस्ट 25257 करोड़ रुपये लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली जल बोर्ड का कहना है कि उसके पास 26238 करोड़ रुपये का लोन है और उसका इंटरेस्ट 19151 करोड़ रुपये है. लेकिन जब CAG द्वारा ऑडिट की गई तो उसमें लोन 21540 करोड़ रुपये और इंटरेस्ट 22447 करोड़ रुपये है. जिसका मतलब सीधा 5000 करोड़ रुपये का घोटाला है. यही कारण है कि CAG द्वारा लिखे गए 21 पत्रों का जवाब जलबोर्ड द्वारा नहीं दिया गया है.


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