'दिल्ली के सीएम नहीं करते...', वीरेन्द्र सचदेवा का अरविंद केजरीवाल पर बड़ा आरोप
Arvind Kejriwal News: दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा का दावा है कि सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) मंत्रीमंडल की बैठक बुलाकर चर्चा करने और सहमति से फैसला लेने में भरोसा नहीं करते.
Virendra Sachdeva On Arvind Kejriwal: दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने सीएम अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे लोकतांत्रिक तरीके से जरूर चुने गए हैं, लेकिन लोकतांत्रिक प्रशासनिक प्रक्रिया में वे बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते हैं. यही वजह है कि वर्ष 2022 से 31 जुलाई 2024 तक दिल्ली सरकार के मंत्रीमंडल की हुए कुल 71 बैठकों में से 56 सर्कुलेशन बैठकें हुईं, जिनमें अरविंद केजरीवाल ने मनमाना निर्णय लिया, जिसे बाद में सभी संबंधित मंत्रियों एवं अधिकारियों को दबाव में अनुमोदित करना पड़ा.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया सरकार की नींव होती है. जिसके तहत मंत्रीमंडल की बैठक में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री के समक्ष लाए गए प्रस्तावों पर मंत्रीमंडल के साथ ही मुख्य सचिव एवं अन्य भागीदार अधिकारी अपने सुझाव देते हैं. फिर सर्वसम्मति से प्रस्ताव आगे बढ़ता है.
हालांकि, किसी आपात स्थिति में मंत्रीमंडल की सर्कुलेशन बैठक का भी संवैधानिक प्रावधान है, जिसके अंतर्गत मुख्यमंत्री निर्णय लेकर लागू कर देते हैं और बाद में सभी मंत्री एवं अधिकारी उस पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य होते हैं.
दिल्ली सीएम नहीं है इसमें भरोसा
अरविंद केजरीवाल सरकार लगातार संविधान की खुली अवेहलना कर रही है. मुख्यमंत्री अपने मंत्रीमंडल की बैठक बुला कर चर्चा करने में विश्वास नहीं रखते और उन्होने आपात स्थिती के लिए बनाए गए मंत्रिमंडल की सर्कुलेशन बैठक के प्रावधान को प्रशासनिक व्यवस्था बना लिया है.
ढाई साल में सिर्फ 15 बार हुईं मंत्रीमंडल की बैठकें
बीजेपी नेता ने आगे कहा कि दिल्ली बीजेपी लगातार कहती आ रही है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोकतांत्रिक प्रशासनिक व्यवस्थाओं में विश्वास नही रखते. वह सरकार को सभी की सहमति से नहीं चलाते हैं. दिल्ली में नियमानुसार पिछले ढ़ाई साल में महज 15 बार ही मंत्रीमंडल की बैठकें हुईं. इसस साफ है कि अरविंद केजरीवाल हिसाब से निर्णय लेकर सरकार चलाते हैं.
अब समय आ गया है की अरविंद केजरीवाल सरकार मनमाने तरीके से चलाई जा रही मंत्रीमंडलीय व्यवस्था के सभी निर्णयों का पुनः अवलोकलन करे. ताकि पता लग सके कि इनमे कहीं कोई भ्रष्टाचार तो नहीं हुआ.
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