(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बिजली बिल पर लगे PPAC के खिलाफ बीजेपी ने खोला मोर्चा, दिल्ली के सभी 14 जिलों में प्रदर्शन का ऐलान
Delhi BJP Protest: दिल्ली में बिजली के बिलों पर लगे पीपीएसी, पेंशन अधिभार शुल्क से केजरीवाल सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. कांग्रेस के बाद अब बीजेपी ने दिल्ली में मोर्चा खोल दिया है.
Delhi News Today: दिल्ली में बिजली के बिलों पर लगे पीपीएसी, पेंशन अधिभार शुल्क को लेकर बीजेपी ने आम आदमी पार्टी की सरकार और बिजली वितरण कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बीते दिनों इस मामले को लेकर दिल्ली बीजेपी ने सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था.
इस मामले में एक और कदम आगे बढ़ते हुए बीजेपी कल सोमवार (15 जुलाई) से दिल्ली के सभी 14 जिलों में प्रदर्शन करने जा रही है. इसके साथ ही दिल्ली बीजेपी ने डीईआरसी के चेयरमैन को भी चिट्ठी लिख कर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.
DERC चेयरमैन को लिखे पत्र में की ये मांग
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एबीपी लाइव से बातचीत के दौरान डीईआरसी चेयरमैन सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जयंत नाथ को लिखे पत्र की प्रति शेयर की. वीरेंद्र सचदेवा ने चेयरमैन को लिखी चिट्ठी में उनसे भारी पीपीएसी, पेंशन अधिभार, मीटर शुल्क, लोड अधिभार आदि के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अतिरिक्त शुल्कों की वजह से उपभोक्ताओं के बिजली के बिल काफी अधिक बढ़ जा रहे हैं.
दिल्ली के सभी जिलों BJP का प्रदर्शन
वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, "पीपीएसी और अन्य सरचार्ज के विरोध में कल सोमवार (15 जुलाई) को दिल्ली के सभी 14 जिलों में बीजेपी बिजली ऑफिस पर प्रदर्शन करेगी."
उन्होंने कहा, "दिल्ली के लोग आज दोहरी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, एक तरफ लंबी गर्मी के बाद उन्हें उमस भरे मॉनसून का सामना करना पड़ रहा है, दूसरी तरफ उन्हें भारी भरकम बिजली बिलों का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है."
दिल्लीवासियों के बिजली बिल सिर्फ गर्मियों में खपत के कारण ही नहीं, बल्कि अत्यधिक पीपीएसी और अन्य शुल्कों के कारण भी काफी बढ़ कर आ रहा है.
'दरें कंपनियों को लाभ देने के लिए पर्याप्त'
दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने बताया, "डीईआरसी चेयरमैन को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि मौजूदा दरें बिजली वितरण कंपनियों को लाभ में रखने के लिए पर्याप्त हैं, बशर्ते वे अपनी कारोबारी योजना ठीक से बनाएं."
उन्होंने कहा, "बिजली वितरण कंपनियां अत्यधिक गर्मी या उमस भरे मौसम, भीषण सर्दी की मांग को पूरा करने के लिए कोई योजना नहीं बनाती हैं. इसका नतीजा यह हुआ कि अप्रैल के मध्य में अचानक दिल्ली में बिजली आपूर्ति का संकट पैदा हो गया."
उन्होंने कहा, "दिल्ली सरकार और बिजली वितरण कंपनियां बिजली ग्रिड या अधिशेष वाले राज्यों से अतिरिक्त बिजली खरीदने के लिए जागी, जब बिजली प्रीमियम दरों पर मिलती है."
'बीजेपी ने पीपीएसी का किया था विरोध'
दरों को लेकर वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि 1.5 फीसदी बिजली खरीद समझौता शुल्क (पीपीएसी) पहली बार दिल्ली में 2011 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा अवैध रूप से लगाया गया था. 2014 में राष्ट्रपति शासन के दौरान बीजेपी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल की तत्कालीन केन्द्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात के बाद इसे वापस ले लिया गया.
सचदेवा ने कहा कि अगस्त 2014 से सितंबर 2015 के बीच शुल्क वापस नहीं लगा, लेकिन 2015 में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार सत्ता में आई और उसने बिजली वितरण कम्पनियों की पीपीएसी और पेंशन अधिभार को फिर से लागू करने की मांग का समर्थन किया.
जिसका दिल्ली सरकार द्वारा विरोध न किये जाने पर डीईआरसी ने पीपीएसी को वितरण कम्पनियों के लिए स्वीकृत व्यवसाय विनियामक योजना का एक घटक बना दिया. अब यह पूरी तरह से वैध हो गया.
'2015 से अब तक 37.5 फीसदी बढ़ी PPAC'
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सचदेवा ने कहा कि 2015 से हर सर्दी और गर्मी में वर्ष की संबंधित तिमाही के लिए PPAC बढ़ाया जाता है, लेकिन तिमाही के अंत के बाद कभी वापस नहीं लिया जाता है.
उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे करके जो पीपीएसी 2015 में 1.5 फीसदी थी, आज लगभग 37.5 फीसदी है और 8.75 फीसदी अतिरिक्त अधिरोपण जल्द ही होने की संभावना है. जैसा कि बीएसईएस राजधानी ने 25 अप्रैल 2024 को सचिव डीईआरसी को लिखे पत्र में घोषित किया है.
DERC से बीजेपी ने की ये मांग
सचदेवा ने कहा कि पीपीएसी 2015 तक कभी भी बिजली डिस्कॉम के लिए स्वीकृत व्यवसाय नियामक योजना का हिस्सा नहीं था. यह केजरीवाल सरकार और बिजली डिस्कॉम के बीच बड़े भ्रष्टाचार की मिलीभगत का हिस्सा है और हम इसकी न्यायिक जांच की मांग करते हैं.
उन्होंने कहा कि दिल्ली बीजेपी ने डीईआरसी को पत्र लिखा कर चेयरमैन से कहा कि पेंशन सरचार्ज, मीटर रेंट, लोड सरचार्ज में भी इसी तरह की असामान्य बढ़ोतरी हुई है, जो पीपीएसी के साथ मिलकर मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के वास्तविक बिजली खपत बिल के बराबर है.
उन्होंने डीईआरसी चेयरमैन से आग्रह किया है कि वे पीपीएसी, पेंशन सरचार्ज, मीटर रेंट, लोड सरचार्ज आदि में वृद्धि के मामले की जांच का आदेश दें, जबकि बिजली वितरण कंपनियां मौजूदा प्रति यूनिट शुल्क पर भी लाभ में हैं.
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