Delhi News: दिल्ली नगर निगम की आम सभा की बैठक में एक बार फिर हंगामा देखने को मिला. नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व महापौर सरदार राजा इकबाल सिंह ने आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षदों पर सदन की मर्यादा को तार-तार करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि निगम एक्ट के तहत महेश कुमार महापौर बने, लेकिन जब वे सदन में पहुंचे, तो उनकी ही पार्टी के पार्षदों ने उनके सम्मान में खड़े होने की जहमत तक नहीं उठाई.
राजा इकबाल सिंह ने कहा, "बीजेपी के पार्षदों ने महापौर के आसन ग्रहण करने तक खड़े होकर गरिमा का सम्मान किया, जबकि आप के पार्षदों ने इसे नजरअंदाज कर दिया." उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह पहली बार नहीं है जब महापौर की मर्यादा को ठेस पहुंची हो. सत्ता पक्ष के पार्षद कई बार महापौर को निर्देशित करते नजर आए हैं, जिससे उनकी स्वतंत्रता प्रभावित होती है.
हंगामे के बीच पास हुए प्रस्ताव
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब बीजेपी ने इस मुद्दे को सदन में उठाया, तो आप के पार्षदों ने माफी मांगने के बजाय शोर-शराबा शुरू कर दिया. इस बीच, बिना बहुमत के ही प्रस्ताव पास कर दिए गए, जिससे सदन की कार्यवाही पर सवाल खड़े हो गए हैं.
आप सरकार पर लगाए ये आरोप
राजा इकबाल सिंह ने कहा कि जब से आप निगम में सत्ता में आई है, तब से न तो रिहायशी इलाकों में विकास हो रहा है और न ही किसी महत्वपूर्ण योजना पर चर्चा की जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि आप के वरिष्ठ नेता जानबूझकर सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालते हैं, ताकि विकास के मुद्दे पीछे छूट जाएं.
कौन सही, कौन गलत?
बताते चलें कि, दिल्ली नगर निगम में सत्ता और विपक्ष के बीच यह टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है. बीजेपी जहां आप पर भ्रष्टाचार और सदन की मर्यादा भंग करने के आरोप लगा रही है, वहीं आप का दावा है कि बीजेपी मुद्दों को भटकाने के लिए बेवजह हंगामा करती है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सदन में हंगामे की राजनीति के बीच दिल्ली के विकास कार्य यूं ही अटके रहेंगे, या फिर कोई समाधान निकलेगा?
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